कई राज्‍यों में शीतलहर का प्रकोप, फसलों को पाले की चपेट में आने से बचाएं किसान

कई राज्‍यों में शीतलहर का प्रकोप, फसलों को पाले की चपेट में आने से बचाएं किसान

बीते कुछ दिनों में देशभर में कई राज्‍यों में तापमान अचानक गिरा है. मौसम विभाग ने उत्‍तर पश्चिमी समेत कई राज्‍यों में अगले 4 से 5 दिन शीतलहर चलने की चेतावनी जारी है. ऐसे में इन जगहों के किसानों को फसलों का खास ध्‍यान देने की जरूरत है. इस समय फसलों में पाला पड़ने और अन्‍य रोगों का खतरा रहता है. जानिए बचाव के उपाय

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कई राज्‍यों में शीतलहर का प्रकोप, फसलों को पाले की चपेट में आने से बचाएं किसानशीतलहर से फसलों को बचाएं किसान. (सांकेतिक तस्‍वीर)

देश के कई राज्‍यों में शीतलहर का प्रकोप जारी है, जो आने वाले कई दिनों तक जारी रहेगा. अगले कुछ दिनों में शीतलहर का दायरा और बढ़ने की आशंका है. ऐसे में किसानों को फसलों की देखभाल करने की ज्‍यादा जरूरत है. ज़रा-सी भी लापरवाही बरतने पर फसलों में कीट, रोग और पाला आदि लगने का खतरा मंडराएगा, जिससे फसल चौपट होते देर नहीं लगेगी. भारत मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख समेत पूर्वी और पश्चिमी राजस्‍थान, हि‍माचल प्रदेश, उत्‍तराखंड, दिल्‍ली-हरियाणा-चंडीगढ़, पंजाब, पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश, गुजरात के सौराष्‍ट्र और कच्छ में शीतलहर चल रही है.

वहीं, 12 और 13 नवंबर को पश्चिमी मध्‍य प्रदेश में भी शीतलहर चलेगी. हालांकि, आईएमडी ने कहा है कि इस सर्दी के सीजन में शीतलहर के दिन कम होंगे. आज से छत्‍तीसगढ़ में भी तापमान तेजी से लुढ़कने वाला है. अगले-दो तीन दिन में न्‍यूनतम तापमान 3 से 5 डिग्री सेल्सियस गिरने की संभावना है.

फसलों पर पाला पड़ने और झुलसा रोग का खतरा

कृषि वैज्ञानिक के अनुसार, किसानों को इस मौसम में फसलों का बचाव करना चाहिए इस सीजन में गेहूं, मटर और आलू जैसी फसलें लगी होती हैं, जिनपर शीतलहर से बुरा असर पड़ता है. इन फसलों में झुलसा रोग का खतरा बना रहता है, जिससे बचाव के लिए दवाओं का छिड़काव जरूरी है. कृषि वैज्ञानिक के मुताबिक, शीतलहर चलने पर गेहूं गेहूं की खेतों में हल्की सिंचाई करना अच्छा होता है. इससे फसल पर शीत लहर का दुष्‍प्रभाव नहीं पड़ता है. इसी तरह आलू के खेतों में भी पानी भरने की सलाह दी जाती है. 

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फसल को ढंकने की करें व्‍यवस्‍था

चार डिग्री या इससे कम तापमान रहने पर फसलों में पाला पड़ने की संभावना बनी रहती है. फसल को शीतलहर या पाला से बचाने के लिए रात में प्‍लास्टिक कवर, फूस की बनी टाट या पुआल से ढंक देना चाहिए. इससे फसल सुरक्षि‍त रहती है. लेकिन, इस बात का ध्‍यान रखें कि जिस भी चीज से फसल को ढंक रहे हैं, उसमें ज्‍यादा वजन न हो. नहीं तो फसल को नुकसान पहुंचेगा और पौधे टूट जाएंगे. 

ऐसे करें सरसों फसल का बचाव

सरसों को पाले से बचाने के लिए फसल पर थायोयूरिया के छिड़काव की सलाह दी जाती है. इसके लिए एक लीटर पानी में थायोयूरिया आधा ग्राम या 2 ग्राम घुलनशील गंधक मिलाकर घोल तैयार कर लें और फिर इसका छिड़काव करे. इससे 15 दिन तक फसल की पाले से सुरक्षा की जा सकती है.

शीतलहर में सबसे ज्‍यादा फल और सब्जियों के पौधों को खतरा रहता है. ऐसे में इन्‍हें रात के समय प्लास्टिक शीट से कवर करने से पाला नहीं पड़ता है और रात में मिट्टी का तापमान कम नहीं होता है. वहीं सुबह धूप होने पर प्लास्टिक की शीट हटा देना चाहिए.

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