कृषि सलाह: फसलों के लिए घातक है घना कोहरा, अलग-अलग राज्यों के किसान पढ़ लें बचाव के उपाय

कृषि सलाह: फसलों के लिए घातक है घना कोहरा, अलग-अलग राज्यों के किसान पढ़ लें बचाव के उपाय

IMD ने कहा है कि उत्तर भारत से लेकर ऊत्तर पूर्व हिस्से तक घने कोहरे का असर देखा जा रहा है. इससे हवा में नमी की मात्रा बढ़ी है जिसका असर खेतों में खड़ी फसलों पर पड़ सकता है. आईएमडी ने राज्यवार जानकारी देते हुए बताया है कि फसलों को बचाने के लिए किसानों को क्या करना चाहिए. यहां पढ़ें डिटेल्स...

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कृषि सलाह: फसलों के लिए घातक है घना कोहरा, अलग-अलग राज्यों के किसान पढ़ लें बचाव के उपायपाले से फसलों को नुकसान

देश के अधिकांश इलाके अभी घने कोहरे की चपेट में हैं. खासकर उत्तर भारत के राज्यों में हालत ज्यादा खराब है. कोहरा न सिर्फ इंसानी जिंदगी के लिए खतरा पैदा कर रहा है बल्कि पेड़-पौधों और मवेशियों के लिए भी चुनौती पेश कर रहा है. ऐसे में किसानों को अपनी फसलों और मवेशियों का खास खयाल रखना होगा. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग यानी कि IMD ने कोहरे के बारे में आगाह किया है और खतरे को देखते हुए एहतियात बरतने की सलाह दी है. खेत में खड़ी फसलों पर विशेष ध्यान देने की हिदायत दी गई है क्योंकि अधिक कोहरा इन फसलों को चौपट कर सकता है.

आईएमडी ने कहा है, पंजाब, हरियाणा-चंडीगढ़, पूर्वी राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम राजस्थान, उत्तर पश्चिम मध्य प्रदेश, बिहार, उपहिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम, ओडिशा, असम और मेघालय के कुछ हिस्सों में घना/घना से बहुत घना कोहरा छाने की संभावना है. इसके अलावा मिजोरम और त्रिपुरा में अगले कुछ दिनों के दौरान, कीट रोगों के बढ़ने को देखते हुए खड़ी फसलों की निगरानी करें. सलाह के मुताबिक, अगेती या पछेती झुलसा रोग को देखते हुए आलू, टमाटर और प्याज की फसलों पर अधिक ध्यान दें. अगर कीट रोगों का लक्षण दिखाई देता है तो तुरंत बचाव का उपाय करें.

इन राज्यों के किसान ध्यान दें

-राजस्थान में आलू में अगेती झुलसा रोग के नियंत्रण के लिए प्रोपीकोनाज़ोल 0.5 मिली/लीटर पानी या 300 मिली/हेक्टेयर 600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.

-पंजाब में नए रोपे गए आलू में लेट ब्लाइट से बचाव के लिए 7 दिनों के अंतराल पर 250-350 लीटर पानी में 500-700 ग्राम इंडोफिल एम-45 का छिड़काव करें. गंभीर प्रकोप की स्थिति में मेटालैक्सिल 4% और मैंकोजेब 64% का छिड़काव करें.

-उत्तराखंड में आलू में पछेती झुलसा रोग के नियंत्रण के लिए मैंकोजेब 2.5 ग्राम/लीटर पानी की दर से छिड़काव करें.

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-उत्तर प्रदेश में हवा में नमी अधिक होने के कारण आलू और टमाटर में झुलसा रोग का संक्रमण हो सकता है. लक्षण दिखाई देने पर कार्बेन्डाजिम 1.0 ग्राम या डाइथेन-एम-45 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें.

-ओडिशा में टमाटर और आलू में पछेती झुलसा रोग के संक्रमण के लिए मौजूदा मौसम की स्थितियां अनुकूल हैं. रोकथाम के लिए मेटालैक्सिल + मैंकोजेब 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से डालें.

-अरुणाचल प्रदेश में हवा में नमी की मात्रा अधिक होने या कुछ स्थानों पर भारी ओस आलू में पछेती झुलसा रोग के संक्रमण के लिए मौसम की स्थिति को अनुकूल बना सकती है. इससे बचने के लिए कार्बेन्डाजिम @ 1 ग्राम/लीटर पानी या डाइथेन-एम-45 @ 2 ग्राम/लीटर पानी का छिड़काव करें.

-मिजोरम में नमी की मात्रा में उतार-चढ़ाव, कम तापमान और कोहरे के कारण, प्याज और लहसुन में ब्लाइट रोग और थ्रिप्स की संभावना है. इससे बचने के लिए लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 5 ईसी @ 6 मिलीलीटर + टेबुकोनज़ोल @ 10 मिलीलीटर को 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.

-बिहार में हवा में नमी की मात्रा अधिक होने के कारण टमाटर और आलू में झुलसा रोग का संक्रमण हो सकता है. इसके नियंत्रण के लिए डायथेनएम-45 @ 2 ग्राम/लीटर पानी का छिड़काव करें.

सभी राज्यों के लिए खास सलाह

राजस्थान में सरसों में सल्फ्यूरिक एसिड के 0.1% घोल का छिड़काव करें. एक लीटर सल्फ्यूरिक एसिड को 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर फसल में छिड़काव करें. किन्नू के छोटे पौधे को पॉलीथीन और पुआल से ढक दें.

➢ बुवाई/रोपाई/कटाई

• पंजाब में सूरजमुखी की बुवाई, टमाटर और प्याज की रोपाई.
• उत्तराखंड में गोभी की कटाई और प्याज की रोपाई.
• हिमाचल प्रदेश में आलू की बुवाई और प्याज की रोपाई.
• तेलंगाना में तिल, सूरजमुखी, मक्का, हरा चना, काला चना, तरबूज और खरबूज की बुवाई.
• आंध्र प्रदेश में पके लाल चने की कटाई, चावल की नर्सरी बुवाई और मक्का, दालें और रागी की बुवाई.
• असम में बोरो चावल की रोपाई.
• तमिलनाडु में काली मिर्च और हल्दी की कटाई.
• केरल में चावल की कटाई.
• कर्नाटक में पके हुए चावल, रागी, मिर्च और अरहर की कटाई, मूंगफली और तरबूज़ की बुवाई.
• आंतरिक महाराष्ट्र में कपास की कटाई और पके लाल चने की कटाई.

➢ कीट और रोग प्रबंधन

• मध्य प्रदेश में, गेहूं में जड़ एफिड और तना छेदक को नियंत्रित करने के लिए थियामेथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% ZC @ 200 मिलीलीटर प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें.
• जम्मू और कश्मीर में, सरसों में अल्टरनेरिया ब्लाइट के हमले के खिलाफ मैंकोज़ेब @ 2.5 ग्राम/लीटर पानी और रिडोमिल एमजेड @ 2.5 ग्राम/लीटर पानी को बारी-बारी से डालें.

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• तेलंगाना में, बंगाल चने में स्पोडोप्टेरा लिटुरा के हमले को नियंत्रित करने के लिए नोवलुरोन @ 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें.
• तमिलनाडु में, चावल में शीथ ब्लाइट को नियंत्रित करने के लिए साफ मौसम के दौरान 200 लीटर पानी में कार्बेन्डाजिम 200 ग्राम/एकड़ या प्रोपिकोनाज़ोल 200 मिलीलीटर/एकड़ की दर से छिड़काव करें.
• बिहार में, सरसों में यदि एफिड की संख्या ईटीएल से ऊपर है तो इमिडाक्लोप्रिड 0.25 मिली प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें.

 

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