Advisory for Farmers: सरसों, मटर, धान और सब्जियों की खेती के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने दिए टिप्स
इस मौसम में धान की फसल पर ब्लास्ट (बदरा) रोग का आक्रमण होने की निगरानी किसान हर 2 से 3 दिन के अंतराल पर करें. पूसा सुगंध धान-2511 में आभासी कंड (False Smut) भी आने की काफी संभावना है. सब्जी फसलों में भी रोगों और कीटों का हो सकता है अटैक.
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सरसों की अगेती किस्मों के बारे में जानिए (Photo-Kisan Tak).
पूसा के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए नई एडवाइजरी जारी की है ताकि वो खेती का काम वैज्ञानिक तरीके से कर सकें. वैज्ञानिकों ने सरसों की अगेती बुवाई के लिए तैयारी रखने को कहा है. इसके लिए उन्नत किस्मों का चयन करें. इसकी उन्नत किस्मों में पूसा सरसों-25, पूसा सरसों-26, पूसा सरसों 28, पूसा अगर्णी, पूसा तारक और पूसा महक आदि शामिल हैं. इनके बीज की व्यवस्था करें तथा खेतों को तैयार करें. ताकि उसका फायदा मिल सके. इस मौसम में अगेती मटर की भी बुवाई कर सकते हैं. इसकी उन्नत किस्में- पूसा प्रगति और पूसा श्री हैं. बुवाई से पहले बीजों को कवकनाशी केप्टान या थायरम @ 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से मिलाकर उपचार करें.
उसके बाद फसल विशेष राईजोबियम का टीका अवश्य लगाएं. गुड़ को पानी में उबालकर ठंडा कर लें और राईजोबियम को बीज के साथ मिलाकर उपचारित करके सूखने के लिए किसी छायेदार स्थान में रख दें तथा अगले दिन बुवाई करें. इस मौसम में किसान गाजर की बुवाई भी कर सकते हैं. बुवाई मेड़ों पर करना फायदेमंद रहेगा. बीज दर 4 किग्रा प्रति एकड़ होगी. लेकिन अगर बुवाई मशीन द्वारा की जा रही है तो बीज एक किलोग्राम प्रति एकड़ ही लगेगा. जिससे बीज की बचत तथा उत्पाद की गुणवत्ता भी अच्छी रहेगी. बुवाई से पूर्व बीज को केप्टान @ 2 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से उपचार करें तथा खेत में देसी खाद, पोटाश और फास्फोरस उर्वरक का अवश्य इस्तेमाल करें.
इस मौसम में फसलों व सब्जियों में दीमक का प्रकोप होने की संभावना रहती है, इसलिए किसान फसलों की निगरानी करें. यदि प्रकोप दिखाई दे तो क्लोरपाइरीफांस 20 ईसी @ 4.0 मिली/लीटर सिंचाई जल के साथ दें.
किसान अपने खेतों की नियमित निगरानी करें. यदि फसलों व सब्जियों में सफेद मक्खी या चूसक कीटों का प्रकोप दिखाई दें तो इमिडाक्लोप्रिड दवाई 1.0 मिली/3 लीटर पानी में मिलाकर आसमान साफ होने पर छिड़काव करें.
धान की फसल पर ब्लास्ट (बदरा) रोग का आक्रमण होने की निगरानी हर 2 से 3 दिन के अंतराल पर करें. इस रोग का सूचक है पत्तियों में एक छोटी आंख जैसा धब्बा, जिसका अंदर का भाग हल्का भूरा और बाहर गहरे भूरे रंग का होता है. आगे जाकर कई धब्बे मिलकर एक बड़ा धब्बा बन जाता है.
धान (पूसा सुगन्ध-2511) में आभासी कंड (False Smut) आने की काफी संभावना है. इस बीमारी के आने से धान के दाने आकार में फूल जाते है. इसकी रोकथाम के लिए ब्लाइटोक्स 50 की 500 ग्राम प्रति एकड़ की दर से आवश्यकतानुसार पानी में मिलाकर 10 दिन के अंतराल पर 2-3 बार छिड़काव करें.
धान की फसल को नष्ट करने वाली ब्राउन प्लांट होपर का आक्रमण आरंभ हो सकता है. इसलिए किसान खेत के अंदर जाकर पौध के निचली भाग के स्थान पर मच्छरनुमा कीट का निरीक्षण करें. यदि कीट का प्रकोप अधिक है तो इमिडाक्लोप्रिड़ @ 0.3 मिली प्रति लीटर की दर से छिड़काव आसमान साफ होने पर करें.
धान की फसल में तना छेदक कीट की निगरानी के लिए फीरोमोन ट्रैप 4-6 प्रति एकड़ की दर से लगाएं तथा प्रकोप अधिक हो तो करटाप दवाई 4 फीसदी दानें 10 किलोग्राम प्रति एकड़ का बुरकाव करें.