झारखंड में पिछले दिनों बारिश हुई थी. इसके बाद एक बार फिर से 11-12 फरवरी को बारिश होन की संभावना है. इस बीच राज्य में कहीं कहीं पर सुबह के वक्त कोहरा देखा जा सकता है. ऐसे मौसम में फसलों और पशुओं की सुरक्षा को लेकर मौसम विभाग की तरफ से किसानों के लिए सलाह जारी की जाती है. ताकि किसानों को नुकसान नहीं हो. इस बार के सलाह में कहा गया है कि पिछले दिनों झारखंड में जो बारिश हुई थी उसे देखते हुए किसान खेतों की निगरानी करें. इस मौसम में फसलों में रोगा का प्रकोप हो सकता है. इसके अलावा गेहूं और मक्का की खेती में अगर जलजमाव हो गया है तो उसके निकासी की व्यवस्था करें.
दिन के सम. अभी खिली धूप रहने के कारण न्यूनतम तापमान में गिरावट देखी जा रही है पर रात का तामपान नीचे चला जाता है. ऐसे में मिट्टी का तापमान बनाए रखने के लिए सब्जियों की नर्सरी के उपर कम लागत वाले पॉलिथीन कवर या पुआल का इस्तेमाल ढंकने के लिए करें. ऐसे मौसम में आमतौर पर गेहूं की फसल में रोग होने की संभावना बनी रहती है.इसलिए किसान लगातार खेतों की निगरानी करते रहें. अगर फसल में काला, पीला या भूरा रतुआ का प्रकोप दिखाई दे रहा है तो डाइथेन-45 का 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें.
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मौसम को देखते हुए किसानों को सलाह दी जाती है कि सरसों की फसल में चेंपा कीट की लगातार निगरानी करते रहें. प्रारंभिक अवस्था में प्रभावित भाग को काट कर नष्ट कर दें. पर अगर कीट का प्रकोप अधिक दिखाई देता है को तीन मिली प्रति लीटर पानी की दर से दर से इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव करें. इसके अलावा चने के फसल में इस वक्त फली छेदक कीट का प्रकोप हो सकता है. इससे बचाव के लिए प्रति एकड़ जमीन में तीन से चार फिरोमेन ट्रैप लगाएं. इसके साथ ही जिस जगहों पर 25-35 फीसदी पौधों में फूल खिल गए हैं वहां पर टी आकार का खूंटा गाड़ दें. जहां पर पक्षियां आकर बैठ सकें.
सब्जियों की खेती को लेकर जारी सलाह में कहा गया है कि मटर की फसल में फलियों की संख्या बढ़ाने के लिए 20 ग्राम यूरिया प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर डंठलों पर छिड़काव करें. इससे फलियों की संख्या बढ़ती है साथ ही मटर को पाला से बचाया जा सकता है. ऐसे मौसम में मिर्च में मकड़ी का प्रकोप हो सकता है. कीट के प्रकोप के कारण पत्तियां नीचे की ओर मुड़ने लगती हैं और सिकुड़ने लगती हैं. पौधा बौना दिखाई देता है. इस दौरान मिर्च की फसल में घुन के प्रबंधन के लिए इथियन 50 प्रतिशत ईसी का 600 मिली प्रति एकड़ या स्पाइरोमेसिफेन का 22.9 प्रतिशत एससी का 200 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें.
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मुर्गी पालन को लेकर जारी सलाह में कहा गया है कि रात के समय में तापमान काफी नीचे चला जा रहा है जो मुर्गियों के लिए खतरनाक हो सकता है. इसलिए मुर्गी शेड में बल्ब की संख्या बढ़ा दें. इसके अलावा कमरे के तापमान को नियंत्रित करने के लिए ब्लोअर चलाएं. पशुओं की ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए सर्दियों के मौसम में उन्हें नमक के साथ मिनरल मिक्सचर और रोज के खाने में 10-20 फीसदी गेहूं के दाने और गुड़ मिलाकर दें.
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