New Farming Pattern : कृष‍ि वैज्ञानिक पता करेंगे कि खेत में कम क्यों हो रही उपज, 5 गांव गोद लेकर शुरू हुआ पायलट प्रोजेक्ट

New Farming Pattern : कृष‍ि वैज्ञानिक पता करेंगे कि खेत में कम क्यों हो रही उपज, 5 गांव गोद लेकर शुरू हुआ पायलट प्रोजेक्ट

विभिन्न फसलों के उन्नत बीज किसानों काे देने से पहले कृष‍ि वैज्ञानिकों के फार्म में इनकी उत्पादन क्षमता का परीक्षण किया जाता है. बेहतर उपज मिलने की पुष्टि के बाद ही ये बीज किसानों को दिए जाते हैं. मगर, किसान जब इन्हें खेत में उपजाते हैं तो उत्पादन कम मिलने की श‍िकायतें मिलती हैं. इसे दूर करने के लिए कृष‍ि वैज्ञानिक अब किसानों के खेत में उपज लेंगे.

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New Farming Pattern : कृष‍ि वैज्ञानिक पता करेंगे कि खेत में कम क्यों हो रही उपज, 5 गांव गोद लेकर शुरू हुआ पायलट प्रोजेक्टकृष‍ि वैज्ञानिक किसानों को खेत में ही उपजा कर दिखाएंगे उन्नत बीज

बुंदेलखंड में उन्नत बीजों से भी किसानों को कम उपज मिलने की शिकायतें खूब सामने आती हैं. इसके समाधान के लिए झांसी स्थित Central Agricultural University ने 5 गांवों को गोद लेकर किसानों के साथ मिलकर उन फसलों को उपजाने की पहल की है, जिनकी बेहतर उपज विश्वविद्यालय के फार्म में ली जाती रही है. इससे यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि कृष‍ि विश्वविद्यालय के फार्म में वैज्ञानिक जिन improved seeds से जितनी उपज ले रहे हैं, उन्ही बीजों से किसान के खेत में कम उपज क्यों मिल रही है. ये जानने के लिए वैज्ञानिक अब किसानों के साथ मिलकर खेती करेंगे. इसके साथ साथ विश्वविद्यालय के Agricultural Scientist किसानों के साथ मिलकर उनके खेतों में ही आधुनिक खेती पर शोध भी करेंगे.

यूपी और एमपी के 5 गांव लिए गोद

रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृष‍ि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अशोक कुमार सिंह की ओर से इस अनूठे प्रोजेक्ट के बारे में बताया गया कि बीजों की उत्पादन क्षमता को लेकर शोध के परिणाम में किए गए दावों पर किसान यकीन नहीं कर पाते हैं. किसानों को लगता है कि जिन बीज से University Farm में जितनी उपज हो जाती है, उतनी उपज उनके खेत में वही बीज उपजाने पर क्यों नहीं होती है. उन्होंने कहा कि किसानों के मन में वैज्ञानिकों के दावों को लेकर पनपे भ्रम को दूर करने के लिए वैज्ञानिक अब उनके खेतों पर ही अपने बीजों से उतनी ही उपज लेकर दिखाएंगे.

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श‍िक्ष‍ित किसानों को जोड़ा गया

डॉ सिंह ने बताया कि इस परियोजना में शामिल किए गए श‍िक्ष‍ित किसानों को जोड़ा गया है. इन किसानों के खेत पर scientific method का प्रयोग कर मिट्टी से लेकर फसल तक, सभी मामलों में modern farming के प्रयोग भी किए जाएंगे. जिससे किसान खेती में आधुनिक तकनीक से रूबरू हो सके. प्रोजेक्ट से जोड़े गए किसानों को मानदेय भी दिया जाएगा.

इस प्रोजेक्ट की कमान विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ एसएस सिंह को सौंपी गई है. इसका संयोजक डॉ प्रशांत जांंबुलकर और डॉ आशीष गुप्ता को बनाया गया है. इसके तकनीकी विशेषज्ञ डॉ डीवी सिंह होंगे.

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