एक समय था जब मकान के चारों ओर बाग-बगीचे होते थे. छोटे से मकान में भी केला, अमरूद जैसे फलों के पेड़, थोड़े से फूल, तुलसी आदि से सजी छोटी-सी बगिया होती थी. परंतु अब जगह की कमी के कारण यह सब मुश्किल हो गया है. आजकल विकास के नाम पर लोग कंक्रीट के जंगल तो तैयार कर रहे हैं, फिर भी बागवानी के शौकीन लोगों ने अपने फ्लैट में गमलों में पौधे लगाकर अपनी दुनिया सजा ली है. घर के बरामदे, छत, छोटी-सी बालकनी में भी फूलों, पौधों का आनंद उठाया जाने लगा है. लेकिन अगर आपको गमलों में लगे पौधों को देखकर बगीचे की याद आने लगती है तो वर्टिकल गार्डन आपके इस शौक को पूरा कर सकते हैं. वर्टिकल गार्डन नई शैली के बगीचे हैं जिसे आप दीवारों पर लगा सकते हैं.
घर की दीवारें वर्टिकल गार्डन के लिए सही रहती हैं. आपको अपना लिविंग एरिया बहुत अच्छा लगता है तो आप उसकी दीवार पर वर्टिकल गार्डन बना सकते हैं. वर्टिकल गार्डन के लिए आप चाहें तो वुडन फ्रेमिंग कराकर इसमें अपनी पसंद के पौधों को जगह दे सकते हैं. इसके लिए आप डार्क और लाइट कलर के पौधों का इस्तेमाल करें. बस ध्यान रखें कि दीवार पर सूरज की रोशनी आती हो. किचन में कम खर्चे पर हर्बल वर्टिकल गार्डन बना सकते हैं. जरूरत है किचन में पड़े टिफिन बॉक्स की. इन टिफिन बॉक्स को आप वुडन वॉल में फ्रेम करवा लें और इसमें अपनी पसंद के हर्बल प्लांट लगाएं. चूंकि हर्बल प्लांट को ज्यादा धूप और पानी की जरूरत नहीं होती, इसलिए आप आराम से इनका खयाल रख सकते हैं.
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बालकनी का वॉल स्पेस भी वर्टिकल गार्डन का अच्छा आइडिया बन सकता है. जरूरत है बस वर्टिकल गार्डन के स्टाइल में बदलाव लाने की. बालकनी में आप फूलों वाली बेल को लगाएं तो अच्छा है. बालकनी की दीवारों पर ज्यादा जगह नहीं होती इसलिए एक छोटे से पार्ट को वुडन पैलट के जरिए वर्टिकल गार्डन में कन्वर्ट किया जा सकता है.
वर्टिकल गार्डन के लिए ऐसे पौधों को चुनाव करें जिन्हें बहुत कम पानी की आवश्यकता पड़ती हो. जिसमें बोगनवेलिया, ग्रास प्लांट और कैक्टस आदि शामिल हैं. जहां तक हो सके, स्थानीय पौधों को ही वर्टिकल गार्डन में लगाएं. ये पौधे स्थानीय वातावरण में जीवित रहने के लिए अनुकूल होते हैं और इन्हें पानी कम देना पड़ता है. इस प्रकार करें कि वे सभी पौधे जिन्हें समान मात्रा में पानी की जरूरत हो, एक जगह रहें.
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इसके लिए वर्टिकल गार्डन में ड्रिप वाटर सप्लाई सिस्टम का उपयोग कर सकते हैं. इसमें सभी पौधों की जड़ों तक पतली पाइपें बिछाई जाती हैं. इन पाइपों में पौधों की जड़ों के पास एक छोटा छेद रहता है, जिसमें से पानी टपकता रहता है. इससे पौधे को उतना ही पानी प्राप्त होता है जितना आवश्यक जरूरी हो. कितना अच्छा हो कि सुबह-सुबह चाय का कप हाथ में लिए जब आप बालकनी में पहुंचें तो हरी-भरी दीवार आपका मुस्कुराते हूए स्वागत करे. इससे अच्छा आपके लिए आखिर क्या हो सकता है.
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