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क्या है रेज्ड बेड विधि जिससे मूंग की खेती कर रहे बिहार के किसान, फायदा जानिए

क्या है रेज्ड बेड विधि जिससे मूंग की खेती कर रहे बिहार के किसान, फायदा जानिए

मूंग की खेती कर रहे किसानों के लिए यह तकनीक किसी चमत्कार से कम नहीं है. पारंपरिक विधि से अगर आप मूंग की बुवाई करते हैं तो उससे एक ही जगह पर एक साथ कई मूंग के पौधे निकल आते हैं जिससे ना सिर्फ उत्पादन बल्कि गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है. ऐसे में  रेज्ड बेड विधि मूंग की बुवाई करने में बेहद कारगर है.

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मूंग की खेती के लिए करें इस तकनीक का इस्तेमाल मूंग की खेती के लिए करें इस तकनीक का इस्तेमाल

बदलते समय के साथ हर चीज में बदलाव देखा जा रहा है. तकनीक का इस्तेमाक भी अब हर क्षेत्र में किया जा रहा है ताकि लोगों को आसानी हो सके. इतना ही नहीं तकनीक का इस्तेमाल अब खेती-किसानी में भी होने लगा है. खेती के तरीकों में लगातार बदलाव हो रहा है. नई तकनीक अपनाकर किसान अपनी आय बढ़ा रहे हैं और खेती की लागत कम कर रहे हैं. ऐसी ही एक तकनीक है रेज्ड बेड तकनीक, जो रेज्ड बेड प्लांटर मशीन से की जाती है. इस वर्ष खरीफ सीजन में कृषि विज्ञान केंद्र के अलावा दर्जनों किसानों ने इसे प्रयोग के तौर पर अपनाया है और उनका प्रयोग सफल होता दिख रहा है. किसान रेज्ड बेड विधि का इस्तेमाल मूंग की खेती में कर रहे हैं. जिससे किसानों को काफी फायदा भी हो रहा है. 

रेज्ड बेड विधि से कम खर्च होता है पैसा

किसानों का कहना है कि नई तकनीक, खासकर रेज्ड बेड पद्धति से खेती करने से सीधे तौर पर मजदूरी पर खर्च होने वाले पैसे की बचत हो रही है. ग्रीन सीकर मशीन से फसल में खाद और पानी की आवश्यकता की जानकारी मिलने से इन चीजों पर ज्यादा पैसा खर्च नहीं करना पड़ता है. पहले हम फसल को मनमाने ढंग से खाद और पानी देते थे, जिससे फसल को नुकसान होता था और पैसा भी ज्यादा खर्च होता था. लेकिन अब तकनीक की मदद से यह काम भी आसानी से हो जाता है और उर्वरक की मात्रा भी सही रहती है. जिससे पैसे की बचत होती है.

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रेज्ड बेड प्लांटर मशीन की खासियत

कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक कहते हैं कि रेज्ड बेड तकनीक से खेती की लागत कम हो जाती है. रेज्ड बेड प्लांटर मशीन खेत में क्यारियां बनाती है और बुआई भी करती है. मेहनत पर खर्च होने वाला पैसा बच जाता है. इस विधि से बीज एवं उर्वरक एक ही स्थान पर रहते हैं. इससे कम खाद में काम चल जाता है. खरपतवारों को खाद नहीं मिल पाती. इससे खरपतवार नियंत्रण पर होने वाला खर्च भी बच जाता है. खेत में क्यारियां होने के कारण सिंचाई में कम पानी का उपयोग होता है. कभी-कभी भारी बारिश के कारण पानी आसानी से खत्म हो जाता है.

मूंग की खेती कर रहे किसानों को मिल रहा फायदा

मूंग की खेती कर रहे किसानों के लिए यह तकनीक किसी चमत्कार से कम नहीं है. पारंपरिक विधि से अगर आप मूंग की बुवाई करते हैं तो उससे एक ही जगह पर एक साथ कई मूंग के पौधे निकल आते हैं जिससे ना सिर्फ उत्पादन बल्कि गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है. ऐसे में  रेज्ड बेड विधि मूंग की बुवाई करने में बेहद कारगर है. यह पहले खेतों में क्यारियों का निर्माण करती है और फिर उचित दूरी पर मूंग की बुवाई करती है. 

आपको बता दें जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत समस्तीपुर के चाको भिंडी में रेज्ड बेड विधि से मूंग की खेती की जा रही है. इस विधि से अंकुरण अच्छा होता है तथा उत्पादन अधिक होता है. इसके अलावा ऊंचे बेड प्लांटर से फसल बोने से बीज, उर्वरक, कीटनाशक और सिंचाई में कम पानी का उपयोग होता है.