पराली जलाने को लेकर अब केंद्र से लेकर राज्य सरकारें लगातार सख्ती बढ़ाती जा रही हैं. सिर्फ पंजाब में ही 2 अक्तूबर तक पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) ने पराली जलाने के 95 मामलों में 2.45 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है और किसानो से 1.90 लाख रुपये वसूले हैं. इन किसानों के खिलाफ पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 के तहत 53 एफआईआर दर्ज की हैं. यही वजह है कि ऐसी कड़ी कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए किसानों को पराली जलाने से परहेज करना चाहिए और इस पराली का बेहतर उपयोग करना चाहिए. ऐसे में हम आपको पराली निपटान करने के लिए कुछ काम की मशीनों के बारे में बता रहे हैं. इन मशीनों की मदद से आप आप पराली को अगली फसल के लिए पोषक खाद में तब्दील कर पाएंगे.
इसमें पहली मशीन है सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम. ये मशीन एक ट्रैक्टर के कंबाइन हार्वेस्टर से कनेक्ट होकर काम करती है. इसके बाद सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम खेतों की पराली को एक दम बारीक काटती है और समान रूप से पूरे खेत में फैला देती है. इससे होता ये है कि पराली को जलाने की जरूरत ही नहीं पड़ती और वह आराम से मिट्टी में फैल जाती है.
सबसे खास बात ये कि पराली का इस तरह से निपटान करने से मिट्टी में नमी और कार्बन कंटेंट प्रचुर मात्रा में बना रहता है. साथ ही रबी की अगली बुवाई के लिए समय की अतिरिक्त बरबादी भी नहीं होती. सबसे खास बात है कि जो कभी पराली धुआं बनती थी वह इसे मशीन से पोषक तत्व में तब्दील हो सकती है.
पराली प्रबंधन के लिए दूसरी काम की मशीन है हैप्पी सीडर. इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि किसान को पराली को काटने और खेत में फैलाने के लिए अलग से मेहनत और लागत नहीं लगानी पड़ती. हैप्पी सीडर की मदद से किसान खेत में पराली हटाए बिना ही सीधे इसके ऊपर से अगली फसल जैसे- गेहूं या अन्य फसलों की बुवाई कर सकते हैं. हैप्पी सीडर सीधे ट्रैक्टर में सीड ड्रिल की तरह जुड़ जाता है और बिना जुताई के ही खेत में सीधे बुवाई कर देता है.
हैप्पी सीडर का फायदा ये है कि इससे पराली प्रकृतिक रूप से सड़कर मिट्टी में जैविक खाद की तरह समा जाती है. जब ये खेत पर सड़कर एक परत जैसी बना लेती है तो खेत में नमी बनी रहती है, जिससे किसानो को सिंचाई की भी जरूरत कम होती है. सबसे बड़ा फायदा ये है कि हैप्पी सीडर से किसानों की मेहनत और डीजल दोनों बच जाते हैं. किसान बस इस बात का ध्यान रखें कि हैप्पी सीडर से बुवाई, कटाई के ठीक बाद करें, इससे मिट्टी में पर्याप्त नमी बनी रहेगी.
रोटावेटर एक ऐसी मशीन है जो पराली निपटान के लिए किसानों को अलग से नहीं खरीदना पड़ेगी और अधिकतर किसानों के पास पहले से ही उपलब्ध रहती है. रोटावेटर सीधे पराली को मिट्टी में मिला देता है, यानी डायरेक्ट पराली प्रबंधन. इसे आप ट्रैक्टर की पीटीओ शाफ्ट में आसानी से लगाकर खेत में चलाएं, इससे ना सिर्फ पराली का निपटान होगा, बल्कि खेत की मिट्टी भी बारीक बन जाती है. फायदे की बात करें तो रोटावेटर से पराली छोटे टुकड़ों में कटकर खेत में मिल जाती है और फिर सड़ने के बाद खेत की उर्वरता बढ़ाती है. इतना ही नहीं इससे खरपतवार का भी नियंत्रण होता है.
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