पलवार विधि से उगाएं तरबूज तो गर्मियों में भरपूर होगी कमाई, खेती की लागत भी घटेगी

पलवार विधि से उगाएं तरबूज तो गर्मियों में भरपूर होगी कमाई, खेती की लागत भी घटेगी

तरबूज लगाने के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी 1.5 मीटर और पौधे से पौधे की दूरी 1 मीटर रखते हैं. तरबूज को हम बिजाई विधि और रोपाई विधि से भी लगा सकते हैं. सीधी बिजाई करने के लिए सबसे पहले खेत को अच्छे से तैयार कर लेना चाहिए और उसके बाद 1.5-1.5 मीटर की दूरी से रिज मेकर की सहायता से धोरे (प्लांटिंग बेड) बना लेना चाहिए.

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पलवार विधि से उगाएं तरबूज तो गर्मियों में भरपूर होगी कमाई, खेती की लागत भी घटेगीमतीरा तरबूज

सर्दियों आने वाली हैं और उसके बाद गर्मी का सीजन शुरू होगा. गर्मी का नाम आते ही तरबूज और खरबूजे का खयाल आता है. तो किसान भी इसी खयाल को ध्यान में रखते हुए अभी से तरबूज और खरबूजे की खेती की प्लानिंग शुरू कर देते हैं. किसानों को पता होता है कि जितनी जल्दी वे उपज निकालेंगे, उन्हें उतनी अच्छी कमाई होगी. ऐसे में किसान उन सभी तकनीकों से तरबूज की खेती करना चाहेंगे जिनसे उन्हें भरपूर उपज के साथ भरपूर कमाई भी मिल सके. साथ ही, उनकी खेती की लागत भी कम हो सके. इसी में एक तकनीक है पलवार विधि जिससे किसान तरबूज या खरबूज की अधिक पैदावार ले सकते हैं.

तो आइए जानते हैं कि पलवार विधि से कैसे तरबूज की खेती कर सकते हैं. पलवार को अंग्रेजी में मल्च कहते हैं जिसमें किसान अलग-अलग रंग की प्लास्टिक शीट का प्रयोग करते हैं. यहां तक कि खेतों से निकले घास-पात को भी पलवार यानी कि मल्च के रूप में प्रयोग करते हैं. किसानों को अगर तरबूज लगाना है तो उन्हें अलग-अलग रंग की पलवार का प्रयोग करना चाहिए, जैसे कि काली, सफेद, नीली, पारदर्शी आदि. यहां तक कि फसलों के बचे हुए अवशेष को भी पलवार के काम में ले सकते हैं.

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तरबूज लगाने के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी 1.5 मीटर और पौधे से पौधे की दूरी 1 मीटर रखते हैं. तरबूज को हम बिजाई विधि और रोपाई विधि से भी लगा सकते हैं. सीधी बिजाई करने के लिए सबसे पहले खेत को अच्छे से तैयार कर लेना चाहिए और उसके बाद 1.5-1.5 मीटर की दूरी से रिज मेकर की सहायता से धोरे (प्लांटिंग बेड) बना लेना चाहिए. आईसीएआर की पत्रिका फल-फूल में दी गई जानकारी के मुताबिक, धोरों पर ड्रिप लेन लगाकर 1-1 मीटर की दूरी पर बीज की बुवाई करनी चाहिए और अंत में पलवार बिछा लेनी चाहिए. रोपाई विधि में तरबूज की नर्सरी तैयार करके 30 दिनों बाद पौधों की रोपाई करते हैं.

पलवार लगाने के फायदे

  • अनावश्यक पानी का बचाव, पानी की उपयोग दक्षता में वृद्धि होती है.   
  • खरतवार प्रबंधन
  • अलग-अलग रंगों की प्लास्टिक पलवार लगाने से हरा तेला, चेंपा, सफेद मक्खी, बीटल का प्रकोप कम होता है.
  • पोषक तत्वों की हानि नहीं होती है.
  • फसलों की पकने के समय को कम कर देता है.
  • फसलों की क्वालिटी में सुधार होता है.

कीट-पतंगे भी होंगे दूर

पलवार विधि से तरबूज लगाने से खरपतवार का नियंत्रण आसान हो जाता है क्योंकि पलवार लगाने के बाद धोरों पर सॉयल सोलेराइजेशन द्वारा खरपतवार या तो उगते नहीं हैं या उगने के बाद नष्ट हो जाते हैं. इतना ही नहीं, तरबूज में मुख्यतः हरा तेला, चेंपा, सफेद मक्खी, बीटल और व्याधियों में पाउडरी मिल्ड्यू, डाउनी मिल्ड्यू, बड नेक्रोसिस और उकठा रोग प्रमुख हैं. इन्हें रोकने के लिए व्याधि ग्रसित पौधों को बाहर निकाल देना चाहिए और खेत के अंदर पीले और नीले रंग के फेरोमॉन ट्रैप का प्रयोग करना चाहिए. रात में उड़ने वाले कीट-पतंगों के लिए प्रकाश प्रपंच (लाइट ट्रैप) का प्रयोग करना चाहिए और नीम सत्त 4 परसेंट का प्रयोग करना चाहिए. इससे तरबूज पर कीटों का हमला नहीं होगा या कम होगा और इससे उपज बढ़ेगी.

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