वीगन लेदर गन्ने से बना एक बेहतर शाकाहारी चमड़ा है, जिसे पीए फुटवियर पी लिमिटेड ने नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर इंटरडिसिप्लिनरी साइंस एंड टेक्नोलॉजी के साथ साझेदारी में बनाया है. ऐसे में मार्केट में अब लोगों को गन्ने से बने वीगन लेदर का सामान मिलेगा. इसके लिए नैतिक उपचार (पेटा) इंडिया से प्रशंसा और “पेटा-स्वीकृत शाकाहारी” प्रमाणन प्राप्त कर लिया है. प्रमाणन को अपनाने वाले अन्य ब्रांडों में विरगियो शामिल है, जो फ्लिपकार्ट की फैशन कंपनी मिंत्रा के पूर्व सीईओ अमर नागरम द्वारा लॉन्च किया गया एक 100 फीसदी शाकाहारी ब्रांड है. साथ ही आदित्य बिड़ला फैशन एंड रिटेल लिमिटेड के एलन सोली, जो अपने शाकाहारी उत्पादों को “पेटा-स्वीकृत शाकाहारी” लोगों के साथ चिह्नित करेंगे.
पी ए फुटवियर पी लिमिटेड के उपाध्यक्ष चिन्नासामी अंबुमाला ने कहा कि हमें वीगन लेदर का उद्घाटन करते हुए बहुत खुशी हो रही है, यह एक अद्भुत सामग्री है, जिसमें 95 फीसदी से अधिक पौधे-आधारित तत्व शामिल हैं, मुख्य रूप से गन्ने की खोई है. साथ ही इसमें 60 फीसदी कृषि से जुड़े सामान शामिल है. उन्होंने कहा कि "हमारा मिशन 'कचरे से धन' के सिद्धांत के इर्द-गिर्द घूमता है, जो हमारे विजन की दिशा में हमारा मार्गदर्शन करने वाला एक मूलभूत सिद्धांत है.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि हम क्रूरता-मुक्त और नैतिक फैशन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए PETA द्वारा मान्यता प्राप्त करने से रोमांचित हैं. विरगियो के सह-संस्थापक और सीईओ अमर नागरम ने कहा कि यह प्रमाणन नैतिकता, पारदर्शिता, नवाचार और हमारे ग्रह और उसके सभी निवासियों के प्रति जिम्मेदारी के हमारे मूल्यों के अनुरूप है. यह पर्यावरण और उसके निवासियों का सम्मान करने वाले फैशन बनाने के हमारे मिशन में एक महत्वपूर्ण कदम है. हम ऐसे फैशन में विश्वास करते हैं जो लंबे समय तक चले, बेहतर दिखे और कोई नुकसान न पहुंचाए.
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पेटा इंडिया की मुख्य कॉर्पोरेट संपर्क अधिकारी आशिमा कुकरेजा ने कहा कि पेटा-स्वीकृत शाकाहारी' लोगो वाले ब्रांड जानते हैं कि शाकाहारी जीवनशैली ही भविष्य है. साथ ही उन्होंने कहा कि हम अन्य कंपनियों से आग्रह करते हैं कि वे इस पर ध्यान दें और पर्यावरण और पशु-अनुकूल शाकाहारी चमड़े और अन्य सामग्रियों को अपनाएं, क्योंकि चमड़ा और ऊन फैशन में सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाली सामग्रियों में से एक है.
पेटा संस्थाओं ने कई वीडियो जारी किए हैं, जिनमें खुलासा किया गया है कि कर्मचारी ऊन काटने के दौरान भेड़ों को लातें मारते और उनका अंग-भंग करते हैं. मोहायर और कश्मीरी ऊन के कामों में बकरियों को खून से लथपथ और गहरे घावों के साथ छोड़ देते हैं. चमड़े के लिए गायों और भैंसों का गला जलाते और काटते हैं. विदेशी खाल उद्योग में सचेत मगरमच्छों की रीढ़ में धातु की छड़ें घुसा देते हैं. साथ ही बिजली से मारते हैं और रेशम के कीड़ों को रेशम बनाने के लिए ज़िंदा उबाल देते हैं.
जानवरों की खाल को कपड़ों में बदलने के लिए भी भारी मात्रा में ऊर्जा और खतरनाक रसायनों की ज़रूरत होती है, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं. 2017 की “पल्स ऑफ़ द फैशन इंडस्ट्री” रिपोर्ट से पता चला है कि चमड़ा, रेशम और ऊन फ़ैशन में सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाली सामग्री हैं.
पेटा इंडिया ने कहा है कि भारत दुनिया भर में गन्ने के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है, इसलिए पी ए फुटवियर पी लिमिटेड की तकनीक गन्ने के कचरे का प्रभावी ढंग से उपयोग करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्राप्त किया है. अन्य खुदरा विक्रेता जिन्हें अपने शाकाहारी फ़ैशन आइटम के लिए “पेटा-स्वीकृत शाकाहारी” प्रमाणन प्राप्त हुआ है, उनमें लुसो लाइफस्टाइल, आईएमएआरएस फ़ैशन, द सीएआई स्टोर, एथिक और पापा डोंट प्रीच शामिल हैं.
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