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देश में हर प्लॉट का होगा आधार नंबर, कोर्ट में अब वर्षों तक नहीं लटकेंगे जमीन के मुकदमे 

देश में हर प्लॉट का होगा आधार नंबर, कोर्ट में अब वर्षों तक नहीं लटकेंगे जमीन के मुकदमे 

केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह का कहना है कि जमीन का आधार नंबर तैयार कर भारत ने दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटलीकरण अभियान चलाया है. वैसे भी हमारे देश में 130 करोड़ आधार कार्ड हैं. 125 करोड़ मोबाइल फोन उपयोगकर्ता हैं, वहीं देश में 85 करोड़ इंटरनेट यूजर्स भी हैं.

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भूमि संवाद सम्मेलन में बोलते पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह भूमि संवाद सम्मेलन में बोलते पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह

पंचायती राज मंत्रालय ने फ्लैगशिप योजना शुरू की है. इस योजना के तहत देश में जमीनों को एक आधार नंबर दिया जाएगा. इस नंबर को विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या (ULPIN) नाम दिया गया है. शुक्रवार को 'भूमि संवाद IV' विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था. सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि बड़ी परियोजनाओं में जमीनी विवाद के चलते देश की जीडीपी में 1.3 फीसद का नुकसान उठाना पड़ता है. औसत अनुमान के मुताबिक कोर्ट में ऐसे विवाद 20-20 साल तक चलते हैं. इतना ही नहीं देश की अदालतों में चल रहे सिविल मुकदमों में 66 फीसद केस जमीन विवाद से संबंधित हैं. 

सम्मेलन में बोलते हुए गिरिराज सिंह ने कहा कि भूमि अभिलेखों और पंजीकरण के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद, यह नंबर जमीनी विवादों से जुड़े अदालती मामलों की बड़ी संख्या को कम करने में मदद करेगा. साथ ही देशहित से जुड़ी बड़ी परियोजनाओं में जमीन के चलते लगने वाली अड़ंगेबाजी को भी खत्म करेगा. साथ ही उन्होंने याद दिलाया कि  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर योजना को तकनीक के आधार पर परिपूर्णता की ओर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. 

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सम्मेलन में जानकारी दी गई कि भू-आधार को 26 राज्यों में शुरू किया गया है. मेघालय को छोड़कर बाकी के नौ राज्यों में भी जमीनी आधार नंबर तैयार करने का काम चल रहा है. मार्च 2024 तक विभाग का लक्ष्य भू-आधार के तहत 100 प्रतिशत भूमि रिकॉर्ड को हासिल करने का है.

भू-आधार नंबर से जमीनों के लेन-देन में आएगी पारदर्शिता 

गिरिराज सिंह ने कहा कि भू-आधार नंबर तैयार हो जाने से आर्थिक और सामाजिक उन्नति होगी. क्योंकि यह एक नंबर जमीन के लेन-देन में पारदर्शिता लाएगा. उन्होंने कहा कि विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या (ULPIN) परियोजना को भूमि संसाधन विभाग द्वारा चलाया जा रहा है. जमीन के मालिकाना हक से जुड़ा यह दुनिया का सबसे बड़ा डेटाबेस होगा. इस मौके पर उन्होंने जिक्र करते हुए कहा कि जमीन का आधार नंबर होने की वजह से एग्रीकल्चर में ड्रोन का इस्तेमाल करने में आसानी होगी. प्राकृतिक आपदा या किसी और जरूरत के लिए जमीन का और फसल का ड्रोन से सर्वे करने में आसानी होगी. पेस्टीसाइड का छिड़काव करना हो या कोई सामान पहुंचाने में भी यह एक नंबर बहुत मददगार साबित होगा.

जमीनी रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण से तरक्की करेगा देश

सम्मेलन में बोलते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास और इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि जमीनी रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण से ही भारत प्रगति करेगा और एक विकसित राष्ट्र बनेगा. वहीं केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री कपिल मोरेश्वर पाटिल ने कहा कि भू-आधार और स्वामित्व योजनाओं से किसानों को ज्यादा से ज्यादा लाभ होगा. सम्मेलन में बताया गया कि भूमि पंजीकरण का कम्प्यूटरीकरण 94 फीसद पूरा हो गया है. जल्द ही जमीन से जुड़ा रिकॉर्ड 22 भाषाओं में उपलब्ध होगा. यह ऐतिहासिक कदम भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा.

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कहां-कहां काम आएगा जमीन का आधार नंबर 

सम्मेलन में जानकारी दी गई कि जमीन का आधार नंबर विभिन्न सरकारी प्लेटफार्मों के साथ क्षेत्रों जैसे सामाजिक क्षेत्र, बुनियादी ढांचा, ऊर्जा, रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र को ज्यादा से ज्यातदा फायदा पहुंचाएगा. भू-आधार का इस्तेमाल एग्रीस्टैक, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) योजना, गति शक्ति, भूमि अधिग्रहण परियोजनाओं, ब्लॉक चेन, सीमा प्रबंधन, हाईड्रिल, बिजली परियोजनाओं और वित्तीय संस्थानों द्वारा ऋण और बंधक सेवाओं से जुड़े लाभ लेने के लिए किया जा सकेगा.