हाल ही में अमृतसर जिले के कई गांवों में आई बाढ़ ने किसानों की मुसीबतें बढ़ा दीं. खेतों में पानी भर गया और मिट्टी दलदली हो गई. ऐसे में परंपरागत टायर वाले कम्बाइन हार्वेस्टर खेतों में घुस ही नहीं पा रहे थे. धान की फसल कटने के लिए तैयार थी, लेकिन किसान बेबस थे.
ऐसे मुश्किल समय में उत्तर प्रदेश से आईं ट्रैक चेन वाली नई कम्बाइन मशीनें किसानों के लिए राहत बनकर आईं. ये मशीनें आम टायर की जगह ट्रैक चेन (टैंक जैसे चेन) का इस्तेमाल करती हैं, जिससे ये गीली और कीचड़ भरी जमीन पर भी आसानी से चलती हैं.
गांव अजनाला के किसान गुरमीत सिंह ने बताया, “अगर ये मशीनें नहीं आतीं, तो हमें बहुत दिक्कत होती.” उन्होंने बताया कि इन मशीनों से पानी भरे खेतों में भी धान की कटाई संभव हो पाई है. हालांकि इनका किराया करीब ₹3,500 प्रति घंटे है, फिर भी इससे फसल को नुकसान नहीं हो रहा और समय पर कटाई हो रही है.
ये मशीनें टैंक की तरह चेन से चलती हैं. इसका फायदा ये है कि मशीन का वजन खेत में एकसमान बंटता है और ये दलदली जमीन में नहीं धंसती. जहां ट्रैक्टर भी फंस जाते हैं, वहां ये मशीनें आराम से चल रही हैं.
कृषि विभाग के अधिकारियों ने भी माना कि ये मशीनें पहली बार जिले में आई हैं और बाढ़ प्रभावित गांवों में नियमित रूप से काम कर रही हैं. किसानों का कहना है कि इस तकनीक से न केवल फसल समय पर कट रही है, बल्कि दाने भी खराब होने से बच रहे हैं.
नई ट्रैक कम्बाइन मशीनें बाढ़ के बीच किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं. इनसे न केवल समय पर फसल की कटाई हो रही है, बल्कि नुकसान से भी बचाव हो रहा है. ऐसी तकनीकें अगर और फैलें, तो प्राकृतिक आपदाओं के समय भी खेती जारी रह सकती है.
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