Gorakhpur News: बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और बिजली गिरने से हर साल किसानों की फसलों (Crop Damage) को बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है. इस प्राकृतिक आपदा (Natural Disaster) से निपटने के लिए उप्र राहत विभाग द्वारा समस्याओं का समाधान निकल लिया है. इसी क्रम में गोरखपुर में आने वाले समय में जल्द ही किसानों को एक बड़ी राहत मिलेगी. जल्द ही पूर्वांचल में 16 ऑटोमिटिक वेदर स्टेशन (AWS) के जरिए किसानों को मौसम की सटीक जानकारी मिलेगी. इससे 15-15 मिनट पर मौसम का अपडेट मिलेगा. जिससे किसान भी अपडेट रहेंगे.
गोरखपुर आपदा विशेषज्ञ गौतम गुप्ता ने इंडिया टुडे के डिजिटल प्लेटफॉर्म किसान तक से खास बातचीत में बताया कि गोरखपुर जिले में 16 ऑटोमिटिक वेदर स्टेशन (AWS) करने की योजना हैं. जहां 6 वेदर स्टेशन जिले के अलग-अलग तहसीलों में अबतक लगाया जा चुका है. वहीं 10 पर कार्य जारी है. उन्होंने बताया कि वेदर स्टेशन के लगने से किसानों को कई हद तक राहत मिलेगी. आपदा विशेषज्ञ ने आगे बताया कि आने वाले समय में एक एप्प भी लांच करने की तैयारी है, जिससे किसानों को उनके फोन पर मौसम की सटीक जानकारी मिल सकेगी. उन्होंने बताया कि जैसा की देखने को मिलता है कि कुछ इलाकों में बारिश हो रही होती है, जबकि बाकी जगहों में सूखा होता है, ऐसे में इस ऑटोमिटिक वेदर स्टेशन से मौसम से जुड़ी हर ताजा अपडेट किसानों को अलर्ट मैसेज के जरिए उनके मोबाइल फोन पर प्राप्त होगा.
आपदा विशेषज्ञ गौतम गुप्ता बताते हैं कि ट्रायल के तौर पर खजनी, कैंपियरगंज समेत अलग-अलग जगहों में स्थापित कर दिया गया है. साथ ही जल्द 16 जगह पर भी इसे स्थापित किया जाएगा. इस ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन के जरिए हर 15-15 मिनट पर मौसम की सटीक जानकारी मिलेगी. इसके साथ ही जिस इलाके में बारिश होगी उसका रिकॉर्ड भी हो सकेगा कि कहां कितनी बारिश हुई है. वहीं, वेदर स्टेशन के लिए बजट फाइनल हो गया है. इस काम के लिए टीम यहां पहुंच गई है और सर्वे कर ओपन एरिया फाइनल कर रही है. विभाग की ओर से इस काम की जिम्मेदारी कार्यदाई संस्था ओपल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को सौंपी गई है. वेदर स्टेशन के जरिए आमजन को भी काफी लाभ मिलेगा. लेकिन किसानों को इसका बड़ा लाभ होगा. मौसम की जानकारी के अनुसार वह अपनी फसलों की सुरक्षा कर सकेंगे.
गौतम गुप्ता ने बताया कि ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन लगने से किसानों को फायदा ही फायदा होगा. क्योंकि हमारी खेती टोटल प्रकृति पर निर्भर है. जब उन्हें मौसम की सटीक जानकारी मिलेगी, तो वह अपनी फसल को काफी हद तक बचाने में कामयाब होंगे. उन्होंने कहा कि आलू और सरसों के साथ गेहूं, धान जैसी खेती में हमें पानी की जरूरत होती है. तो कई बार हमें इससे बचना भी होता है. पानी की जरूरत जब होती है तो वेदर कंडीशन जानने के बाद ही हम उसकी प्रक्रिया शुरू करेंगे. बता दें कि उत्तर प्रदेश में भारी बारिश और फिर ओलावृष्टि से फसलों को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ. इसके चलते किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
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