फसल प्रबंधन और उत्पादन में मदद करेंगे विदेशी वैज्ञानिक, कटाई के बाद उपज क्वालिटी बेहतर होगी

फसल प्रबंधन और उत्पादन में मदद करेंगे विदेशी वैज्ञानिक, कटाई के बाद उपज क्वालिटी बेहतर होगी

अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ हरियाणा सरकार के साथ मिलकर फसल कटाई के बाद प्रबंधन और टिकाऊ खेती को लेकर काम कर रहे हैं. इसके लिए पंचकूला में 15 एकड़ जमीन पर एक नया केंद्र स्थापित करने पर काम चल रहा है.

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फसल प्रबंधन और उत्पादन में मदद करेंगे विदेशी वैज्ञानिक, कटाई के बाद उपज क्वालिटी बेहतर होगीपंचकूला में एक नया कृषि के लिए केंद्र स्थापित होगा.

हरियाणा में खेती-किसानी के विकास के लिए सरकार तेजी से कार्य कर रही है. इसी दिशा में विदेशी वैज्ञानिक फसलों के प्रबंधन को लेकर हरियाणा सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. इससे फसलों के उत्पादन, क्वालिटी में सुधार के साथ ही कटाई के सही तरीके से उपज का प्रबंधन करने पर जोर दिया जा रहा है. हरियाणा के पंचकूला में कृषि सेंटर स्थापित किया जाएगा, जिसमें टिकाऊ फसल प्रबंधन पर फोकस किया जाएगा. पंचकूला के सेंटर में किसानों को ट्रेनिंग दी जाएगी. यहां पर टेक्नोलॉजी प्रजेंटेशन एरिया, टेक्नोलॉजी इनक्यूबेशन सेंटर बनाए जाएंगे.

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ हरियाणा सरकार के साथ मिलकर फसल कटाई के बाद प्रबंधन के लिए काम कर रहे हैं. विशेषज्ञों का एक समूह हरियाणा सरकार के साथ मिलकर पंचकूला में एक नया उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने पर काम कर रहा है, जो किसानों को उनके बागवानी उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने में मदद करने के लिए एक खाका तैयार करेगा. एजेंसी के अनुसार राज्य सरकार के फंड से हरियाणा-यूके सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ऑन सस्टेनेबल क्रॉप पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट एंड कोल्ड चेन (COI-SPMCC) कटाई के बाद टिकाऊ प्रबंधन (PHM) पर एक राष्ट्रीय ढांचा तैयार करेगा.

सालाना 13 अरब रुपये की फसल बर्बाद हो रही 

बर्मिंघम विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ हरियाणा के पंचकूला में COI-SPMCC विकसित करने में मदद करने के लिए यूके और अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के एक कंसोर्टियम को लीड कर रहे हैं.  कंसोर्टियम के नेता और बर्मिंघम विश्वविद्यालय में कोल्ड इकॉनमी के प्रोफेसर टोबी पीटर्स ने कहा कि खाद्य पदार्थों का नुकसान राज्य के लिए घातक है. इसका सीधा असर किसानों पर पड़ता है. हर साल किसानों और राज्य दोनों को लगभग 156 मिलियन अमरीकी डॉलर (13 अरब रुपये) की आय का नुकसान होता है. 

बागवानी उत्पादों की बर्बादी रुकेगी 

प्रोफेसर टोबी पीटर्स ने कहा कि टिकाऊ कोल्ड चेन अहम बुनियादी ढांचा है, जो अच्छी तरह से काम करने वाले समाज और कृषि अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है. यह केंद्र टिकाऊ कोल्ड चेन और PHM सिस्टम, गाइडलाइन और प्रोटोकॉल के तहत राष्ट्रीय स्तर का खाका विकसित करेगा, जिससे बागवानी उत्पादों की बर्बादी को रोकने और एक टिकाऊ कोल्ड चेन के लिए वर्तमान और भविष्य की जरूरतों का आकलन करने पर फोकस करेगा. 

पंचकूला में 15 एकड़ जमीन पर बनेगा केंद्र 

रिपोर्ट में हरियाणा सरकार के प्रवक्ता के हवाले से कहा गया कि यह साझेदारी हमारे कृषि बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के साथ ही विस्तार देगी. टिकाऊ फसल प्रबंधन को बढ़ावा मिलेगा और हमारे किसान फसल कटाई के बाद की तकनीक और कोल्ड चेन प्रबंधन में नए बदलावों से फायदा उठा सकेंगे. कहा गया कि हरियाणा ने COI-SPMCC स्थापित करने के लिए पंचकूला में लगभग 15 एकड़ जमीन चिन्हित की है. इस जमीन पर एक प्रशिक्षण केंद्र, टेक्नोलॉजी प्रजेंटेशन एरिया, परीक्षण केंद्र और टेक्नोलॉजी इनक्यूबेशन सेंटर शामिल होंगे.

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