भारत में अब मशरूम की मांग तेजी से बढ़ रही है. पहले यह शहरी लोगों तक ही सीमित था, लेकिन अब यह गांवों-गांवों तक पहुंच गया है. मशरूम जिसे क्षेत्रीय भाषाओं में खुंब, गर्जना और धरती के फूल आदि नामों से जाना जाता है. इसके पोषण तत्वों और अन्य कई गुणों के कारण रोम में इसे भगवान का भोजन कहा जाता है. वहीं भारत में इसे सब्जियों की मल्लिका भी कहा जाता है. मशरूम की खपत दुनिया के कुछ ही हिस्सों तक सीमित थी. लेकिन समय के साथ इसी खपत अब लगभग हर क्षेत्र में बढ़ती जा रही है. जिस वजह से इसकी खेती कर रहे किसानों को भी अच्छा मुनाफा मिल रहा है.
ऐसे में अगर आप भी मशरूम की खेती कर मुनाफा कमाना चाहते हैं तो अब सोलर से चलने वाली इस मशीन में मशरूम उगा सकते हैं. इस मशीन से खेती करने में किसानों को कम खर्च में बंपर उत्पादन मिलेगा. आइए जानते हैं सोलर से चलने वाली इस मशीन में कैसे उगाएं मशरूम.
देश के किसान अब कम लागत वाली सौर ऊर्जा से चलने वाली मशीन की मदद से आयस्टर मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं. इस मशीन का उपयोग ग्रामीण और शहरी दोनों स्तरों पर हो सकती है. दरअसल वर्तमान समय में अधिकांश किसान मशरूम उगाने के लिए कई अलग-अलग तकनीक को अपनाते हैं. लेकिन अब किसान इस नए मशीन का उपयोग करके मशरूम का बंपर उत्पादन कर सकते हैं. वहीं इस नए डिज़ाइन किए गए मोबाइल चैंबर मशीन की लागत स्थायी तरीके से मशरूम उगाने की तुलना में कम है और यहां तक कि अप्रैल और मई के महीनों जैसी गैर-अनुकूल परिस्थितियों के दौरान भी मोबाइल चैंबर मशीन मशरूम उगाने के लिए बेहतर है.
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इस मशीन की मदद से मशरूम उगाने में कम जगह की जरुरत होती है, इसलिए इस मशीन का रखरखाव आसान है और इस तकनीक को अपनाने में कम खर्च आता है. साथ ही ये तकनीक न केवल मशरूम की खेती में में मदद करेंगी बल्कि जरूरतमंद किसानों को इकाइयां बनाने और बेचने में भी मदद करेंगी.
बात करें इस मशीन के बनावट कि तो इसके ग्रोइंग चैंबर का आकार 1.35 x 0.93 x 1.69 मीटर है, जो 1 सीपीवीसी पाइप और फिटिंग से बना है. इसे कीड़ों के प्रवेश से बचाने के लिए नायलॉन के जाल से ढका गया है. इसे आगे से कवर किया गया है. साथ ही इसमें चारों ओर से बोरी लगाई गई है जो चैम्बर के अंदर नमी बनाए रखने का काम करता है. वहीं इस मशीन को बिजली से या 300 वॉट के सोलर पैनल, इन्वर्टर और 12V के बैटरी उपयोग करके चलाया जा सकता है. इसके अलावा सौर पैनल फ्रेम की छत के ऊपर लगे होते हैं और इन्वर्टर और बैटरी फ्रेम में लगे होते हैं.
इस नए तकनीक के मशीन में हर महीने सीप की दो किस्मों जैसे एल्म ऑयस्टर और व्हाइट ऑयस्टर मशरूम को फसल कक्ष और बाहरी कक्ष दोनों में उगाया जा सकता है. वहीं आपको बता दें कि क्रॉपिंग रूम की उपज की तुलना में मोबाइल चैंबर में एल्म सीप की उपज में औसतन 108 फीसदी अधिक उत्पादन होता है. इसी प्रकार, सफेद मशरूम की पैदावार में 51 फीसदी अधिक पैदावार होता है. वहीं इस मशीन में मशरूम की औसत उपज 25-28 किलोग्राम प्रति महीने है.
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