उत्तरी गोवा में केले के व्यापार में जल्द ही बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. राज्य सरकार मापुसा शहर में एक वैज्ञानिक पकाने वाला कक्ष यानी रिपनिंग चैंबर स्थापित कर रही है. इससे उपभोक्ताओं को सुरक्षित और केमिकल फ्री केले उपलब्ध कराए जा सकेंगे. इस सुविधा से न केवल फलों की बर्बादी कम होगी, बल्कि किसानों को अपनी उपज का बेहतर दाम भी मिलेगा. अधिकारियों के अनुसार, यह प्रोजेक्ट राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत तैयार चलाया जाएगा और केंद्र सरकार इसमें 35 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है. करीब दो करोड़ रुपये की लागत से बन रहा यह चैंबर अगले महीने से उपयोग के लिए तैयार हो जाएगा.
राज्य के कृषि निदेशक संदीप फोल्डेसाई ने बताया कि इस चैंबर का मकसद उपभोक्ताओं तक वैज्ञानिक रूप से पके हुए केले पहुंचाना है. उन्होंने कहा, 'फलों को प्राकृतिक प्रक्रिया से पकाया जाएगा, जिससे उनका पोषण मूल्य और स्वाद बेहतर रहेगा. यह सुविधा स्थानीय किसानों को दी जाएगी ताकि वे बाजार में अपनी उपज का सही मूल्य पा सकें.' इस चैंबर में हर चार दिन में 60 टन केले रखे जा सकेंगे. पकाने की प्रक्रिया में नियंत्रित मात्रा में एथिलीन गैस का प्रयोग होगा. साथ ही कार्बन का स्तर 500 पीपीएम से अधिक न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष सेंसर लगाए गए हैं. अधिकारी का कहना है कि इस तकनीक से पके केले पूरी तरह स्वास्थ्यकर होंगे.
वर्तमान में मापुसा मार्केट यार्ड में रोजाना 10–12 टन केले आते हैं.इस नई सुविधा का लाभ न केवल स्थानीय थोक व्यापारी बल्कि निजी किसान भी उठा पाएंगे. मापुसा के फल विक्रेताओं ने भी इस पहल का स्वागत किया है. स्थानीय व्यापारी अमेय नाटेकर ने कहा, 'सरकार ने वर्षों पुरानी जरूरत पूरी कर दी है. मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत और कृषि मंत्री रवि नाइक के सहयोग से यह प्रोजेक्ट दशहरे तक रेडी हो जाएगा. अब केमिकल से पकाने की प्रथा पूरी तरह खत्म होगी और हमारा कारोबार भी सुरक्षित और मजबूत होगा.'
दूसरी पीढ़ी के केले विक्रेता प्रसाद नाइक ने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा, 'पहले हम अगरबत्ती जलाकर केले पकाते थे, जिससे फल दो दिन में तैयार हो जाते थे. अब यह प्रक्रिया पूरी तरह वैज्ञानिक और सुरक्षित होगी.' विक्रेता रोशन चौहान ने बताया कि यह सुविधा खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) की कार्रवाई की चिंताओं को भी खत्म कर देगी. उन्होंने आगे कहा, 'अब हमें डर नहीं रहेगा, क्योंकि केले पूरी तरह स्वास्थ्य मानकों के अनुसार पकाए जाएंगे.' इसी तरह, लंबे समय से केले के व्यापार से जुड़े हबीबुल्लाह एम. कपनल्ली ने कहा कि पहले केले पकाने में असमानता रहती थी और यह एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया थी. लेकिन अब नया रिपनिंग चैंबर इन सभी समस्याओं का समाधान करेगा और उपभोक्ताओं को अच्छी क्वालिटी के केले उपलब्ध कराएगा.
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