केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने देश में मछली पालन को लेकर एक बड़ी योजना की जानकारी दी है. इस योजना में केज फार्मिंग पर फोकस किया जा रहा है जिसमें बड़े-बड़े पिंजरों में मछली पालन किया जाएगा. देश में केज फार्मिंग पहले से चल रही है, लेकिन अब इसका दायरा और बढ़ाया जाएगा. नई योजना के मुताबिक बड़े-बड़े पिंजरों में मछली पालन को बढ़ावा दिया जाएगा ताकि इससे जुड़े किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सके. केज फार्मिंग में किसान सिंथेटिक नेट से बने पिंजरों में मछली पालन करते हैं. इसके लिए समुद्र, बड़े तालाब, झील और नदियों का इस्तेमाल किया जाता है. पिंजरे एक वर्ग मीटर से 500 वर्ग मीटर तक हो सकते हैं.
एक कार्यक्रम में रूपाला ने कहा कि केज फार्मिंग में पिंजरे के डाइजन को बेहतर किया जाएगा और 30 वर्ग मीटर या उससे बड़े पिंजरों में मछली पालन को बढ़ावा दिया जाएगा ताकि लाखों छोटी मछलियों को एक साथ एक ही जगह पर पाला जा सके. व्यावसायिक स्तर पर अभी समुद्री के तटीय इलाकों में छह डाईमीटर के पिंजरे में मछली पालन किया जा रहा है. लेकिन इसका दायरा बहुत जल्दी बढ़ाया जाएगा.
सरकार केज फार्मिंग को इसलिए बढ़ावा दे रही है क्योंकि इसमें कम मेहनत और कम लागत में अधिक इनकम होती है. तालाबों या झीलों में मछली पालन में जितनी मेहनत लगती है, उससे बेहद कम में केज फार्मिंग की जा सकती है. केज को जहां मर्जी वहां हटाया भी जा सकता है. मछुआरे या किसान को जहां सुविधाजनक लगे, वहां केज लगाकर मछली पालन किया जा सकता है. मछली निकालने के लिए किसान को जाल लगाने की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि पूरे केज को उठाकर एक साथ मछलियां निकाल ली जाती हैं.
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किसान अपनी जरूरत और मांग के हिसाब से केज से मछली निकालते हैं. जरूरत न होने पर मछलियों को केज में ही छोड़ा जा सकता है, इससे कोई नुकसान नहीं होता बल्कि मछलियों को बढ़ने का मौका ही मिलता है. इस तरह किसान को मछली पालन में कई तरह की सुविधाएं मिल जाती हैं. खास बात ये कि केज बनाने के लिए केवल सिंथेटिक ही नहीं बल्कि बांस, हल्का स्टील, आयरन, पीवीसी का भी प्रयोग किया जा सकता है.
तालाब या झील की तुलना में केज में मछलियों का विकास तेजी से होता है. इसमें मछलियां स्वस्थ और सुरक्षित रहती हैं. मछलियों को खिलाना भी आसान होता है. इसमें मछलियों के चोरी होने और बीमार होने की संभावना भी कम होती है क्योंकि बाहरी मछलियों से संपर्क नहीं होता. इससे मछलियों में संक्रमण का खतरा नहीं होता. अच्छी बात ये है कि केज तकनीक से किसान जल्दी डबल मुनाफा कमा सकते हैं.
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