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Kharif Special: बरसात के सीजन में करें सब्जि‍यों की खेती, इसके ल‍िए ऐसे तैयार करें नर्सरी

Kharif Special: बरसात के सीजन में करें सब्जि‍यों की खेती, इसके ल‍िए ऐसे तैयार करें नर्सरी

बरसात के मौसम में बहुत सारी सब्जियों की खेती की जाती है, लेक‍िन इनकी खेती से पहले नर्सरी तैयार करना जरूरी है. नर्सरी तैयार करने के सभी पहलुओं पर विशेष ध्यान देना चाहिए. यदि अगर अच्छी नर्सरी से तैयार पौध रोपेंगे तो आपको बरसात की सब्जियों की अच्छी उपज प्राप्त होगी.

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बरसात के मौसम में सब्जी की खेती के लिए तैयार करें स्वस्थ नर्सरी- फोटो स्रोत सोशल मीड‍िया बरसात के मौसम में सब्जी की खेती के लिए तैयार करें स्वस्थ नर्सरी- फोटो स्रोत सोशल मीड‍िया

खरीफनामा: रबी का सीजन खत्म होने के बाद जायद सीजन अपने पीक पर है. मसलन, गर्मी शुरू हो गई है. ऐसे में क‍िसान गर्मी का सीजन खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं. क‍िसानों का ये इंतजार बरसात का है. असल में पहली बारिश के बाद से ही फसलों की बुआई का काम चालू हो जाता है. बरसात के मौसम में बहुत सारी सब्जियों की खेती की जाती है, लेकिन इनकी खेती से पहले नर्सरी तैयार करना जरूरी है, जो क‍िसान बैंगन, मिर्च, फूलगोभी,और  टमाटर की नर्सरी लगाने की तैयारी करना चाहते हैं. उनके ल‍िए क‍िसान तक की सीरीज खरीफनामा की इस कड़ी में पूरी र‍िपोर्ट...

असल में क‍िसी भी फसल की गुणवत्ता उसकी नर्सरी पर न‍िर्भर रहती है. यदि क‍िसान अच्छी नर्सरी से तैयार पौध रोपेंगे तो उन्हें बरसात में सब्जियों से अच्छी उपज प्राप्त होगी. 

जगह का चुनाव सबसे अहम

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (IIVR ) वाराणसी के सब्जी विज्ञान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ सूर्यनाथ  सिंह चौरसिया ने किसान तक से बातचीत में बताया कि बरसात में बंपर उपज मिल सके, इसके लिए क‍िसान जून से लेकर अगस्त तक नर्सरी तैयार कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि बरसात के मौसम नर्सरी समतल क्यारियों की जगह उठी हुई क्यारियों में तैयार करनी चाह‍िए.साथ ही जिस जगह नर्सरी लगाते हैं.

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वहां पानी नहीं भरना चाहिए. अगर बारिश के कारण जलभराव हो तो उसके निकासी की भी उचित व्यवस्था होनी चाहिए, नर्सरी की मिट्टी भूरभूरी हो, जिसमें पोषक तत्व पर्याप्त हों, जो पानी अच्छी तरह सोख सकें, इस बात का ध्यान रखना भी बेहद अहम है.

मिट्टी का उपचार जरूर करें 

क‍िसान तक से बातचीत में डॉ सूर्यनाथ  सिंह चौरसिया ने कहा क‍ि स्वस्थ पौधों को उगाने के लिए मिट्टी को बीमारियों और कीटों से मुक्त रखना अहम है. इसके लिए भूमिशोधन मृदा सौर्यीकरण विधि से कर लेना चाहिए, जिससे कि भूमि जनित बीमारियों से नर्सरी पौध का नुकसान ना हो . इसके नर्सरी बुवाई से  4 से 5 सप्ताह पहले  करना चाहिए. इसके सबसे पहले जमीन की अच्छी तरह से मिट्टी पलटने वाले  हल से जुताई कर लें.भूमिशोधन की दूसरी विधि इसके बाद फॉर्मेलिन 10 से 15 मिली लीटर मात्रा को  एक लीटर पानी हिसाब से घोल तैयार करना चाहिए. इस घोल मिट्टी को प्रति वर्ग 4 से 5 लीटर घोल से 15 से 20 सेंटीमीटर की गहराई तक भिगो दें. इसके बाद नर्सरी क्षेत्र को 1 दिन के लिए पॉलीथिन शीट से ढक दें. इसके बाद 10 से 15 दिन नर्सरी को खुला छोड़ दे ताकि बेकार गैस उड़ जाय. कवकनाशी दवा कार्बेडाजिम और ट्राईकोडर्मा से भूमि शोधन किया जा सकता है. लेकिन भूमिशोधन के लिए सौर्यकरण सबसे कारगर उपाय है. इस विधि में खरपतवार भी खत्म हो जाते हैं.

सब्जी नर्सरी क्यारियां कैसे बनाएं ?

सब्जी  विज्ञान के प्रधान वैज्ञानिक ने जानकारी दी की नर्सरी बेड के लिए प्रति वर्ग मीटर मिट्टी में 2 किलो सड़ी हुई खाद या 500 ग्राम वर्मीकम्पोस्ट डालें. अगर मिट्टी भारी है तो प्रति वर्ग 2 से 3 किलो रेत डालें क्यारियों की चौड़ाई एक मीटर होनी चाहिए, लेक‍िन ये एक मीटर से ज्यादा न हो, ताकि नर्सरी में निराई-गुड़ाई पौधों को बिना नुक़सान पहुंचाए किया जा सके. क्यारियों की लम्बाई खेत कितना समतल है. इस पर निर्भर करती है .जो 3 से 5 मीटर रखी जा सकती है.

बीजों का उपचार और बुआई

नर्सरी में बीजों की  बुवाई  से पहले बीमारियों से बचाव के लिए बीज का उपचार बेहद ज़रूरी होता है. इस बात का ध्यान नहीं दिया तो पूरी की पूरी पौधशाला रोगों की चपेट में आकर नष्ट हो सकती है. ऐसे में बीजों को बुआई से पहले 2-2.5 ग्राम कार्बेंडाजिम दवा से उपचारित करें. बीजों की बुआई  3 X1  नर्सरी बेड पर जिसकी क्यारियों की उंचाई  15 से 20 सेंटीमीटर होनी चाहिए . इसकेबाद 1 से 2 सेंटीमीटर की गहराई पर 5 से 7 सेंटीमीटर की दूरी पर कतारों में  बीज की बुवाई करनी चाहिए, जिससे की बारिश होने पर पौध को कोई नुकसान ना पहुंचे. और वर्षा का पानी नर्सरी से बाहर निकाला जाय

नर्सरी में बुआई के बाद क्या करें ?

क‍िसान तक से बातचीत में डॉ चौरसिया ने कहा कि बुआई के बाद सड़ी खाद , मिट्रटी और रेत को 2:1:1 अनुपात  मे मिलाकर  बोया हुआ बीज  कोअच्छी तरह से ढ़क दे  . इसके बाद क्यारि‍यों को सूखी पलवार से ढ़क दें ताकि क्यारि‍यों को सिंचाई करते  समय बीज और मिट्टी बह न जाए. बुआई के तुरंत बाद हजारे से सिंचाई करें. वर्षा ऋतु में अक्सर सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन जब जरूरी हो हल्की सिंचाई  करें.

कीट प्रूफ नेट-हाउस का करें इस्तेमाल

क‍िसान तक से बातचीत में डॉ सूर्यनाथ सिंह चौरसिया ने कहा क‍ि कीट प्रूफ नेट-हाउस हेल्दी सब्जियां और स्वस्थ नर्सरी पौधों को उगाने की एक अच्छी तकनीक है. उन्होंने कहा कि बैंगन, मिर्च, फूलगोभी, टमाटर,  और पपीते में कीट या वायरस का खतरा अधिक होता है. इन सब्जियों और पौधों के लिए कीट प्रूफ नेट-हाउस एक बेहतर संरचना है,क्योंकि कीट प्रूफ नेट-हाउस का उपयोग करके कीटों और अन्य वाहक कीटों को प्रभावी ढंग से रोका जा सकता है. मौसम की मार औऱ कीटोंं को नियंत्रित करने के लिए 40 मेस वाली जाली या मलमल के कपड़े से  क्यारी को 2 फीट  उंची सुंरग नुमा आकार बनाते  जाली से ढ़क दे  ताकि वाइरस जनित रोगों से पौध बचाव हो सके .शेडनेट हाउस का उपयोग किया जाता है. इसके इस्तेमाल से कीट और रोग प्रबंधन की लागत में काफी कमी आती है.

नर्सरी की देखभाल कैसे करें?

सब्जी विज्ञान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ चौरसिया ने कहा कि सब्जी की नर्सरी में बीजों के अच्छे अंकुरण के लिए नमी की कमी न होने दें, जब तक बीज अंकुरित न हो जाए, इसके लिए गर्मियों में  फुआरे से रोजाना सिंचाई करें.क्यारियों से खरपतवार निकालते रहें, जो पौधे की वृद्धि में बाधा उत्पन्न करते हैं. पौधों को तेज हवा और धूप से बचाने के लिए सब्जी की नर्सरी को 40 फीसदी छाया वाली जाली से ढ़का जा सकता है.