पराली हरियाणा-पंजाब सहित पूरे उत्तर भारत में एक बहुत बड़ी समस्या है, जिसको लेकर सरकार, किसान, प्रशासन हर कोई चिंतित रहता है. वहीं, अब हरियाणा के करनाल के CSSRI में पिछले कई सालों से प्रयोग हो रहा है, ये प्रयोग करीब 6 साल से वैज्ञानिक कर रहे हैं, जिसका फायदा अब भारत के किसानों को मिलने वाला है. दरअसल, ये प्रयोग अलग-अलग रंग की मिट्टी में पैदावार को बढ़ाने के लिए, ज्यादा लवण वाली मिट्टी में फसल को उगाने और उसकी पैदावार को बढ़ाने के लिए था. लेकिन अब उसके और फायदे भी नजर आने लगे हैं. इस मशीन की मदद से पराली भी डी-कंपोज होने लगा है.
ये कट सॉइलर नाम की एक मशीन है जो जापान की तकनीक है और ये मशीन भी जापान में तैयार हुई है. इस मशीन की तकनीक को भारत लाया गया है जिसका प्रयोग CSSRI में वैज्ञानिक कर रहे हैं. ये मशीन का पहले वहीं पर प्रयोग हुआ जहां जमीन में ज्यादा लवण है. ऐसी जगहों पर फसल कम होती है. इस मशीन में लगे ब्लेड मिट्टी को खोदते हैं और लवण की मात्रा कम हो जाती है और पानी के साथ वो लवण बह जाते हैं और फसल की पैदावार अच्छी होती है.
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साथ ही जब ये मशीन जमीन खोदती है तो जहां मिट्टी के रंग की समस्या है वहां पानी गहराई तक जाता है और फसल को पर्याप्त मात्रा में पानी मिल जाता है. लेकिन जब वैज्ञानिक इस पर लगातार काम कर रहे थे तो उन्होंने देखा कि पराली भी इसके जरिए जमीन में दब जाती है और डी-कंपोज हो जाती है. फिर उन्होंने उस प्रयोग पर काम किया और देखा कि पराली को इस मशीन के जरिए जमीन में डी कंपोज किया जा सकता है. जिसके बाद पराली अपने आप अंदर गल जाएगी, जिससे किसानों को पराली जलाने की ना जरूरत नहीं पड़ेगी. साथ ही जब अगली फसल उगाई जाएगी तो पराली अपने आप अंदर गल जाएगी और खाद का काम करेगी.
फिर इसका प्रयोग अलग-अलग जगह किसानों के खेतों में अलग-अलग मिट्टी में किया गया, जिसका फायदा देखने को मिला, साथ ही साथ इसके जरिए पैदावार भी बढ़ी. धान में 10 से 12 प्रतिशत प्रति एकड़ और गेहूं में 15 से 16 प्रतिशत प्रति एकड़ की पैदावार बढ़ी. ये मशीन अभी जापान के पास है. वहां की कंपनी इसे बना रही है और वहां के कृषि संस्थान के सहयोग के जरिए भारत के करनाल के CSSRI के वैज्ञानिक इसे भारत में लाकर प्रयोग कर रहे हैं ताकि इस मशीन पर काम किया जा सके.
अब भारत के कृषि विभाग के वैज्ञानिक और जापान के वैज्ञानिक, जो ऐसे कृषि यंत्रों को भारत में कंपनियां बनाती हैं उनके साथ दिसंबर महीने में मीटिंग करेंगे, ताकि इस प्रोजेक्ट पर काम किया जा सके और सस्ते दाम पर ये मशीन भारत में तैयार हो जाए. साथ ही किसानों को मिल सके. इस मशीन के उपयोग से खेतों में पराली जलाने की समस्या, पैदावार ज्यादा हो, खाद का इस्तेमाल कम हो, ज्यादा लवण और रंग वाली भूमि पर भी फसल बढ़िया हो सकती है. देखना ये होगा कि ये मशीन कट सॉइलर कब तक तैयार होती है और किसानों को कितने दाम में कैसे उपलब्ध होती है.
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