
इस साल देश में चीनी उत्पादन में भारी गिरावट देखी जा रही है. इसका मुख्य कारण गन्ने की फसल पर मौसम का प्रभाव और कई कीट रोगों का प्रकोप है. गन्ने में मुख्य रूप से "लाल सड़न" और "चोटी बेधक" जैसे रोगों का प्रकोप हुआ है, जिससे बड़े पैमाने पर फसल खराब हुई है. जलवायु परिवर्तन के कारण अनियमित बारिश और सूखे ने भी गन्ने की पैदावार को कम कर दिया है. इससे गन्ना किसानों और चीनी मिलों दोनों पर विपरीत प्रभाव पड़ा है. श्री जी शुगर मिल बैतूल के गन्ना प्रबंधक अनुज तोमर के अनुसार, गन्ने की पैदावार में जलवायु परिवर्तन, मिट्टी की गिरती गुणवत्ता और कीट-रोगों का प्रकोप गन्ने की पैदावार को सीमित कर रहा है.
उन्होंने बताया कि इन समस्याओं के समाधान के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित कृषि तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है. गन्ने की खेती में एआई आधारित सिस्टम रियल-टाइम इनसाइट्स, भविष्यवाणी विश्लेषण और डेटा आधारित सिफारिशें प्रदान करते हैं, जिनका उपयोग करके गन्ने के उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है और लागत को कम किया जा सकता है.
उन्होंने बताया कि उनकी शुगर मिल गन्ने की खेती के लिए MapMyCrop की एआई स्मार्ट 50 एकड़ में तकनीक का उपयोग कर रही है. MapMyCrop गन्ने की खेती में स्मार्ट एआई खेती की तकनीक सैटेलाइट क्रॉप मॉनिटरिंग लाई है. इस कंपनी के डायरेक्टर और एग्रोनॉमी एक्सपर्ट डॉ. भूषण गोस्वामी ने बताया कि उर्वरक के सही उपयोग से इनपुट लागत में 41 फीसदी तक कमी आती है और उपज में 110 फीसदी तक की वृद्धि होती है, जिससे गन्ना खेती अधिक लाभकारी और टिकाऊ बनती है.
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उन्होंने ने बताया कि एआई-संचालित सलाहकार प्रणाली, सैटेलाइट क्रॉप मॉनिटरिंग, स्मार्ट सिंचाई योजना और डेटा-आधारित उर्वरक रणनीतियों ने गन्ने की उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय सुधार किया है. उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र के बारामती में उनकी तकनीक से गन्ने की उपज 70 टन प्रति एकड़ से बढ़कर 120 टन तक पहुंच गई, जिससे इनपुट लागत में 41 फीसदी की कमी आई.
डॉ. गोस्वामी ने बताया कि गन्ना खेती में एआई और सैटेलाइट-आधारित निगरानी खेती में बदलाव ला रही है. एआई तकनीक से स्मार्ट सिंचाई और फर्टिगेशन प्रबंधन संभव है. उन्होंने बताया कि गन्ने में जल और पोषक तत्व प्रबंधन गन्ने की वृद्धि के लिए बेहद अहम है. पानी और उर्वरकों का अधिक उपयोग मिट्टी के स्वास्थ्य और लागत दोनों को प्रभावित करता है.
स्मार्ट एआई तकनीक से सही समय पर सटीक सिंचाई के माध्यम से जल खपत में 30% तक की कमी होती है और उर्वरकों के सही उपयोग से पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं. समय से फर्टिगेशन के कारण गन्ने की ऊंचाई में 15 फीट तक की वृद्धि हुई है.
गन्ने की फसल तना छेदक, माहू और सफेद मक्खी जैसे कीटों के साथ-साथ लाल सड़न रोग (Red Rot) और स्मट (Smut) जैसे रोगों से प्रभावित होती है. लेकिन इस तकनीक के माध्यम से रोग का पहले पता चल जाता है, जिससे फसल हानि में 20% तक की कमी की जा सकती है. इसके कारण कीटनाशक उपयोग में 35% तक की कमी आई है.
स्मार्ट एआई तकनीक के आधार पर गन्ने की खेती करने पर गन्ने की वृद्धि में प्रति पौधा कल्लों की संख्या 9-10 से बढ़कर 13-14 हो गई है. इंटरनोड की लंबाई में 33% की वृद्धि हुई है, जिससे सुक्रोज सामग्री अधिक हुई है. गन्ना खेती के निरंतर चक्र से मिट्टी के कार्बनिक तत्वों (SOC) और सूक्ष्मजीव विविधता में गिरावट होती है, जिससे उपज कम हो सकती है. एआई आधारित खेती से मिट्टी के कार्बनिक तत्व 0.86 फीसदी से बढ़कर 1.38 फीसदी तक वृद्धि दर्ज की गई है.
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एक्सपर्ट ने बताया कि सटीक कृषि अब भविष्य की कल्पना नहीं, बल्कि वर्तमान की वास्तविकता है. एआई-आधारित कृषि ने किसानों को अधिक डेटा-संचालित, लागत प्रभावी और टिकाऊ खेती के लिए सक्षम किया है. एआई प्रत्येक किसान को सशक्त बनाएगा, जिससे वे कम संसाधनों के साथ अधिक उपज ले सकेंगे.
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