खेती-बाड़ी के क्षेत्र में उतरेंगी कंपनियां, पेस्ट कंट्रोल और पैदावार बढ़ाने में करेंगी मदद

खेती-बाड़ी के क्षेत्र में उतरेंगी कंपनियां, पेस्ट कंट्रोल और पैदावार बढ़ाने में करेंगी मदद

कृषि मंत्रालय ने उन नौ क्षेत्रों की पहचान की है जहां कंपनियां पहले से काम कर रही हैं. आगे जो भी स्टार्टअप या कंपनियां इस क्षेत्र में काम करना चाहेंगी उनके प्रस्ताव का 17 सदस्यों की एक स्क्रीनिंग कमेटी मूल्यांकन करेगी. कृषि मंत्रालय के अवर सचिव इस कमेटी की अध्यक्षता करेंगे और मेंबर के तौर पर आईसीएआर, आईआईटी, आईआईएम और नीति आयोग के सदस्य शामिल होंगे.

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खेती-बाड़ी के क्षेत्र में उतरेंगी कंपनियां, पेस्ट कंट्रोल और पैदावार बढ़ाने में करेंगी मददकृषि क्षेत्र में काम करेंगी बड़ी बड़ी कंपनियां

कृषि मंत्रालय ने खेती-बाड़ी के क्षेत्र में सुधार के लिए स्टार्टअप और कंपनियों से सात नवंबर तक एक्सप्रेसन ऑफ इंटरेस्ट (EOI) मंगाए हैं. इस ईओआई में कई अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने की योजना बनाई गई है. स्टार्टअप और कंपनियों से नौ क्षेत्रों में काम के लिए सुझाव मांगा गया है. इन नौ क्षेत्रों में मौसम और उससे जुड़ी सेवाएं, फसल पैदावार का अनुमान और कीटनाशकों पर नियंत्रण जैसे काम शामिल हैं. 

कृषि मंत्रालय ने उन नौ क्षेत्रों की पहचान की है जहां कंपनियां पहले से काम कर रही हैं. आगे जो भी स्टार्टअप या कंपनियां इस क्षेत्र में काम करना चाहेंगी उनके प्रस्ताव का 17 सदस्यों की एक स्क्रीनिंग कमेटी मूल्यांकन करेगी. कृषि मंत्रालय के अवर सचिव इस कमेटी की अध्यक्षता करेंगे और मेंबर के तौर पर आईसीएआर, आईआईटी, आईआईएम और नीति आयोग के सदस्य शामिल होंगे. 

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जो भी कंपनियां कृषि क्षेत्र में काम करना चाहेंगी, पहले उन्हें अपना प्रस्ताव पत्र देना होगा. फिर कृषि मंत्रालय की कमेटी उनके प्रस्ताव का प्रेजेंटेशन देखेगी. इस प्रेजेंटेशन में टेक्नोलॉजी पर बात की जाएगी जो कि कृषि से जुड़ी होगी. स्टार्टअप या कंपनियों के दिए आइडिया को स्क्रीनिंग कमेटी देखेगी और परखेगी. इसी आधार पर स्क्रीनिंग कमेटी किसी कंपनी के प्रस्ताव को मंजूर करने या खारिज करने की सिफारिश करेगी.

कंपनियों से मांगे गए सुझाव

जिस कंपनी का चयन किया जाएगा, सरकार की तरफ से उस कंपनी को फंड जारी किया जाएगा जो कि ग्रांट के तौर पर होगा. इसमें सबसे अधिक मौसम का डेटा जुटाने पर जोर दिया जा रहा है. कंपनियां या स्टार्टअप इस दिशा में काम करेंगे और सरकार को इसमें मदद करेंगे. इसके अलावा फसल उत्पादन अनुमान को भी जुटाने पर ध्यान दिया जाएगा. ग्रामीण स्तर पर धान या गेहूं की कितनी पैदावार हो सकती है, इस तरह की जानकारी कंपनियां या स्टार्टअप जुटाएंगे.

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इस दिशा में कीटों के प्रबंधन पर भी बड़े स्तर पर काम होगा. अभी देश के कई राज्यों में कपास की फसल पर पिंक बॉलवर्म का आक्रमण देखा गया है जिससे पैदावार गिरने की आशंका है. इन कीटों का हमला इसलिए हुआ है क्योंकि मौसम में अचानक बदलाव हो गया. इस खतरे को देखते हुए सरकार मौसम जनित कीटों के प्रकोप से फसलों को बचाने पर काम कर ही है. इसके लिए भी कृषि मंत्रालय ने कंपनियों और स्टार्टअप से सुझाव मांगे हैं.

 

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