Fertilizer Knowledge: खेतों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की भारी कमी, हो रहा नुकसान...अब क्या करे क‍िसान? 

Fertilizer Knowledge: खेतों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की भारी कमी, हो रहा नुकसान...अब क्या करे क‍िसान? 

पौधों को कुल 17 पोषक तत्वों की जरूरत होती है. अगर इनकी कमी होती है तो पौधों में कई तरह के रोग लग जाते हैं. इसील‍िए सरकार ने सल्फर कोटेड यूर‍िया की शुरुआत कर दी है. आने वाले द‍िनों में ज‍िंक और बोरोन कोटेड यूर‍िया भी लाई जाएगी. खेतों में हरी खाद और वर्मी कंपोस्ट का इस्तेमाल बढ़ाने का वक्त.  

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Fertilizer Knowledge: खेतों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की भारी कमी, हो रहा नुकसान...अब क्या करे क‍िसान? रासायन‍िक खादों का संतुल‍ित इस्तेमाल जरूरी (Photo-Kisan Tak).

औद्योगीकरण के पहले उर्वरकों की अनुपलब्धता के कारण देश में जैविक खादों के माध्यम से खेती होती थी. परंतु हरित क्रांति के साथ ही उर्वरकों का बहुत ज्यादा मात्रा में प्रयोग शुरू हुआ. सबसे पहले नाइट्रोजन उर्वरकों का प्रयोग हुआ, फिर धीरे-धीरे फास्फेटिक एवं पोटैशिक उर्वरकों का इस्तेमाल प्रचलन में आया. जिसके कारण मिट्टी से प्राप्त किए जाने वाले अन्य पोषक तत्वों जैसे मैग्नीशियम, सल्फर, जिंक, आयरन, कॉपर, मैग्नीज, बोरान, मोलिब्डेनम एवं क्लोरीन की कमी होती चली गई. पौधों को ये तत्व आवश्यकतानुसार उपलब्ध नहीं हो सके. नतीजा यह है क‍ि अधिकांश क्षेत्रों में उत्पादन में ठहराव आ गया है. इस समय भारत के खेतों में 42 फीसदी सल्फर, 39 फीसदी ज‍िंक और 23 फीसदी बोरॉन की कमी है. ऐसे में पोषक तत्वों का प्रबंधन बहुत जरूरी है. 

पौधों को कुल 17 पोषक तत्वों की जरूरत होती है. अगर इनकी कमी होती है तो पौधों में कई तरह के रोग लग जाते हैं. इसील‍िए सरकार ने सल्फर कोटेड यूर‍िया की शुरुआत कर दी है. आने वाले द‍िनों में ज‍िंक और बोरोन कोटेड यूर‍िया भी लाई जाएगी, क्योंक‍ि इन दोनों तत्वों की भी जमीन में पूर्त‍ि की जा सके. क्योंक‍ि जमीन ही बीमार रहेगी, कमजोर रहेगी तो फ‍िर क‍िसान खेती कैसे कर पाएगा. अच्छी उपज कैसे ले पाएगा. ऐसे में मृदा व‍िशेषज्ञ डॉ. आशीष राय ने हमारे क‍िसानों को रबी फसलों में पोषक तत्वों के प्रबंधन की पूरी जानकारी दी है. उन्होंने कहा क‍ि म‍िट्टी की जांच में यद‍ि सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी द‍िख रही है तो उसे नजरंदाज न करें. उसकी पूर्त‍ि करें. 

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उर्वरकों का व‍िवेकपूर्ण इस्तेमाल जरूरी 

डॉ. राय ने कहा क‍ि पोषक तत्वों की उपेक्षा करके नाइट्रोजन और फास्फेटिक उर्वरकों का अध‍िक इस्तेमाल करने की वजह से म‍िट्टी की भौतिक, रसायनिक एवं जैविक क्रियाओं में परिवर्तन हुआ. फिर यह कमी महसूस की गई कि म‍िट्टी की उर्वरता का संतुलन इस प्रकार किया जाए कि फसल की आवश्यकता के अनुसार उन्हें आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध होते रहें तथा फसल की वांछित उपज भी मिले. साथ ही मृदा स्वास्थ्य सुरक्षित रहे. इसके लिए स्थान विशेष एवं फसल विशेष को देखते हुए आवश्यकताअनुसार अकार्बनिक एवं कार्बनिक स्रोतों का उचित सम्मिश्रण की सोच के साथ खेती को बढ़ावा देने पर बल दिया गया. इस तकनीकी को समेकित पोषक तत्व प्रबंधन के नाम से भी जाना जाता है. इसके तहत जैविक खादों तथा जैव उर्वरकों का विवेकपूर्ण ढंग से प्रयोग क‍िया गया. 

रासायन‍िक उर्वरकों के अधिक उपयोग का नुकसान

कार्बनिक खाद जैसे गोबर की खाद और हरी खाद का प्रयोग प्राचीन काल से होता चला आ रहा है. मिट्टी में गोबर की खाद का प्रभाव कई वर्षों तक देखा जाता है. क्योंकि इसमें उपस्थित कार्बनिक पदार्थ धीरे-धीरे पौधों को पोषक तत्व उपलब्ध कराते रहते हैं. लेक‍िन, रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक प्रयोग किए जाने से फसल की उपज कुछ वर्षों तक तो बढ़ी, लेक‍िन उसके बाद धीरे-धीरे घटने लगी. मिट्टी में भी कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होने लगीं. रासायन‍िक उर्वरकों के अधिक उपयोग से मृदा में जीवाणुओं की सक्रियता कम हो जाती है जिस से पोषक तत्व प्रबंधन पर बहुत बड़ा असर देखा गया. 

हरी खाद और वर्मी कंपोस्ट का इस्तेमाल बढ़ाने का वक्त

राय का कहना है क‍ि अब समय की जरूरत यह है क‍ि उत्पादकता बढ़ाने और धरती की सेहत को ठीक रखने के ल‍िए हम हरी खाद का इस्तेमाल करें. फसल अवशेषों मुख्य रूप से गन्ना, धान, गेहूं तथा मक्का के अवशेषों को कार्बनिक पदार्थ के रूप में खेत में उपयोग करें. वर्मी कंपोस्ट, जैव उर्वरक का इस्तेमाल बढ़ाएं. गोबर की खाद, कंपोस्ट खाद, हरी खाद और कई प्रकार की खलियां आदि म‍िट्टी को लगभग सभी पोषक तत्व उपलब्ध कराने में सहायता प्रदान करती है. इनसे कार्बनिक पदार्थ पर्याप्त मात्रा में मिट्टी में मिलता है जिससे समय-समय पर पोषक तत्वों की आपूर्ति पौधों को होती रहती है. म‍िट्टी की भौतिक तथा रासायनिक अवस्था ठीक होती है और उसके गुणों में वृद्धि होती है. 

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पौधों को चाह‍िए 17 पोषक तत्व

राय का कहना है क‍ि रासायनिक उर्वरकों का उपयोग परीक्षण के आधार पर फसलों में किया जाना चाहिए, जिससे इनका प्रभाव फसलों पर अच्छा दिखे तथा प्रतिकूल दशा में भी पौधों को पोषक तत्व बराबर मिलता रहे. पौधों की सामान्य वृद्धि एवं विकास के ल‍िए 17 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है. इनमें से किसी भी पोषक तत्व की कमी होने पर पौधे सबसे पहले उस तत्व की कमी को दर्शाते हैं. कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन पौधे हवा तथा पानी से लेते हैं. 

नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटेशियम को पौधे मिट्टी से अधिक मात्रा में प्राप्त करते हैं. इसलिए इन्हें प्रमुख पोषक तत्व कहते हैं. दूसरी ओर, कैल्शियम, मैग्नीशियम एवं गंधक को पौधे अपेक्षाकृत कम मात्रा में मिट्टी से प्राप्त करते हैं, इसलिए इन्हें गौण पोषक तत्व कहते हैं. लोहा, जस्ता, मैंगनीज, तांबा, बोरान, निकिल, मोलिब्डेनम और क्लोरीन तत्वों की पौधों को काफी कम मात्रा में आवश्यकता पड़ती है. इन्हें हम सूक्ष्म पोषक तत्व कहते हैं. 

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