जलवायु परिवर्तन और दूसरी वजहों से किसानों को खेती की बढ़ती लागत और श्रम की कमी के साथ-साथ उत्पादन और आय बढ़ाने की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. जलवायु परिवर्तन और खेती की जाने वाली भूमियों की उर्वरता एवं गुणवत्ता में गिरावट के साथ बढ़ती चुनौतियां और अधिक होने की उम्मीद है. उत्पादकता और फायदे को बढ़ाने के लिए मशीनों के प्रयोग से खेती करना एक ऐसा विकल्प है जो किसानों के लिए मददगार साबित हो सकता है. आज हम आपको ऐसी पांच मशीनों के बारे में बताते हैं जो हर किसान के लिए बड़े काम की हो सकती हैं.
यह बैल से चलने वाला इक्विपमेंट है जो खेत को कीचड़दार करने के लिए इस्तेमाल में आता है. इसमें हर खोखले ड्रम पर दो गैंग वाला नॉच प्रकार का डिस्क हैरो लगा होता है. मिट्टी में बेहतर पकड़ बनाने के लिए ड्रम के अंदर रेत डाल कर इसका वजन बढ़ाया जाता है.
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बैल से चलने वाला एक इक्विपमेंट जिसका प्रयोग खेत को कीचड़दार करने के लिए किया जाता है. हर खोखले ड्रम के ऊपर तीन प्लेन डिस्क के साथ दो गैंग लगाए गए हैं. इसकी क्षेत्र की क्षमता 0.4 हेक्टेयर प्रति घंटा है. फ्लोट-हैरो को दो बार चला लेने से खेत में अच्छी स्थिति बन जाती है जिससे पौधों की रोपाई आसानी से हो पाती है. देसी हल से खेत को कीचड़दार करने में 42 घंटे तक का समय लगता था लेकिन इस उपकरण की मदद से उसी काम को करने के लिए बस 11 घंटे की जरूरत होती है.
एक कतारवाला धान बीज ड्रिल हाथ से चलने वाला इक्विपमेंट है और 20 से.मी. की कतार दूरी में धान बीज की शुष्क बुआई के लिए सही रहता है. इसकी क्षेत्र क्षमता 0.008 से 0.01 हेक्टेयर प्रति घंटा है.
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एक हाथ से चलने वाला बीज ड्रिल है. यह 20 से.मी. की कतार दूरी में धान बीज की शुष्क बुआई के लिए उपयुक्त है. इसमें कप टाइप सीड मीटरिंग मैकेनिज्म है. इसकी क्षेत्र क्षमता 0.019 से 0.022 हेक्टेयर प्रति घंटा है.
यह भी हाथ से चलने वाला एक इक्विपमेंट है. इसमें रोलर टाइप सीड मीटरिंग मैकेनिज्म है. यह 20 से.मी. की कतार दूरी में धान के बीज की शुष्क बुआई के लिए उपयुक्त है. इसकी क्षेत्र क्षमता 0.03-0.04 हेक्टेयर प्रति घंटा है. इस यंत्र से फसलों की बीज की बुवाई करने में बीज और मजदूरी की बचत होती है. साथ ही कतारों के बीच में खरपतवारों को हटाने और बाकी कार्य करने में मदद मिलती है.
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