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मुर्गियों से स्वस्थ चूजे चाहिए तो इन 6 बातों का रखें ध्यान, एक छोटी गलती से घट सकती है कमाई

मुर्गियों से स्वस्थ चूजे चाहिए तो इन 6 बातों का रखें ध्यान, एक छोटी गलती से घट सकती है कमाई

आजकल बढ़ती हुई आबादी की वजह से हमारी भूमि पर अधिक दबाव पड़ रहा है. इसके कारण यह संभव नहीं है कि अधिक भूमि पर अनाज आदि उगाया जा सके. ऐसी स्थिति में भोजन की समस्या को हल करने में मुर्गीपालन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. 

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मुर्गीपालन से जुड़े कुछ खास टिप्‍स  मुर्गीपालन से जुड़े कुछ खास टिप्‍स

भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां करीब 80 फीसदी आबादी कृषि उत्पादन पर अपना जीवन यापन करती है. हमारे देश की अर्थव्यवस्था में कृषि के साथ-साथ पशुपालन और मुर्गीपालन का बहुत महत्व है. आजकल बढ़ती हुई आबादी की वजह से हमारी भूमि पर अधिक दबाव पड़ रहा है. इसके कारण यह संभव नहीं है कि अधिक भूमि पर अनाज आदि उगाया जा सके. ऐसी स्थिति में भोजन की समस्या को हल करने में मुर्गीपालन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. 

इन बातों का रखें खास ध्‍यान 

जिस जगह पर मुर्गियां पाली जाती हैं, उन्‍हें कुक्‍कुट फार्म कहते हैं. यहां पर अच्‍छी व्‍यवस्‍था का होना बहुत जरूरी है जिसमें अंडे सेने से लेकर चूजे पैदा होने के समय तक मुर्गियों की बिक्री होने तक का पूरा प्रबंध कौशल शामिल होता है. मुर्गिंयों से स्‍वस्‍थ चूजे होना भी बहुत जरूरी है. इसके लिए कुछ बातों का ध्‍यान रखना चाहिए. 

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अंडों की क्वालिटी  

सेने के लिए अंडों के चुनाव से पहले अंडों की आंतरिक गुणवत्ता का परीक्षण करना चाहिए. गांवों में जहां बिजली उपलब्ध है, वहां केंलिंग लैंप द्वारा अंडों को रोशनी के सामने रख कर अंडों की आंतरिक गुणवत्ता का परीक्षण किया जा सकता है. अंडे की जर्दी मध्य भाग में होनी चाहिए. दो जर्दी वाले अंडे, मांस या खून के धब्बे वाले अंडे या बड़े वायु कोष वाले अंडों का चुनाव नहीं करना चाहिए. 

अंडों की आयु 

गर्मी में चूजे निकालने के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले अंडे 3-4 दिनों से ज्‍यादा पुराने नहीं होने चाहिए. सर्दियों में सात दिन पुराने अंडों को सेने के लिए मुर्गियों के नीचे रख सकते हैं. जैसे-जैसे अंडा पुराना होता चला जाता है, उसमें से चूजे निकलने की संभावना भी कम होती चली जाती है. अंडे ताजा हैं या पुराने, इसकी जांच करने के लिए एक बाल्टी में पानी भर कर उसमें अंडों को डालना चाहिए. नीचे बैठ गए अंडे ताजे और पानी के उपर तैरने वाले अंडे पुराने होते हैं. 

साफ अंडे 

सेने के लिए अंडे साफ होने चाहिए. गंदे अंडों का प्रयोग सेने के लिए नहीं करना चाहिए. गंदगी अगर कम है तो उसे कपड़े से साफ करने के बाद ही प्रयोग में लाना चाहिए. अंडे की गंदगी साफ करने के लिए कभी भी उसे पानी से रगड़ कर साफ नहीं करें. ऐसा करने पर खोल के छिद्र खुल जाते हैं और चूजा उत्पादन दर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. 

उत्तम नस्ल के अंडे 

अच्छी नस्ल के चूजे प्राप्त करने के लिए, अच्छी नस्ल की मुर्गियों से मिले अंडों का उपयोग चूजे निकालने के लिए किया जाना चाहिए ताकि पोल्ट्री फार्म पर मुर्गियों की नस्ल में सुधार किया जा सके और अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकें. 

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मुर्गियों की आयु

मुर्गियां सामान्यतया पांच माह की आयु में अंडा उत्पादन शुरू कर देती हैं. लेकिन जिन मुर्गियों से सेने के लिए अंडे हासिल करना है उनकी आयु 8 माह से कम और 18 माह से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि हर 6 से 8 मुर्गी समूह में एक नर जरूर हो ताकी जीवयुक्त अंडे मिल सकें. अंडों में भ्रूण का विकास अच्छा हो, अंडों से ज्यादा और स्वस्थ्‍य चूजे मिलें इसके लिए जरूरी है कि प्रजनन के काम आने वाले मुर्गे और मुर्गियां स्वस्थ हों और उन्हें संतुलित आहार मिल रहा हो. 

सेने से पहले अंडों को भंडारण 

प्रति दिन प्राप्त अंडों को सेने के लिए उपयोग करने तक ठंडे और नमी वाली जगह पर सुरक्षित भंडारण करना चाहिए. सेने के लिए चुने गए अंडे का भंडारण 16-17 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान और 60 फीसदी नमी वाली जगह पर तीन से सात दिनों तक चूजा दर प्रभावित किए बिना किया जा सकता है. चुने गए अंडों पर अति शीघ्र मुर्गी बैठा देनी चाहिए ताकि अधिक से अधिक चूजे प्राप्त किए जा सकें और भंडारण की समस्या भी कम हो सके.