जमीन के नीचे पानी का स्तर तेजी से घट रहा है. यही वजह है कि पीने के पानी और सिंचाई के लिए पानी की घोर किल्लत देखी जा रही है. सबसे ज्यादा किसान परेशान हैं क्योंकि उन्हें मॉनसूनी बारिश के अलावा बोरवेल पर निर्भर रहना पड़ता है. खेतों में लगे बोरवेल से ही वे फसलों की सिंचाई करते हैं. लेकिन उस बोरवेल का जलस्तर भी तेजी से घट रहा है. ऐसे में एक कंपनी ने बोरवेल के पानी का स्तर मापने के लिए एक खास प्रकार का ऐप बनाया है. इस ऐप का नाम है भूजल ऐप. इस ऐप की खासियत है कि इसकी मदद से बोरवेल के ढक्कन को छूकर ही पानी के स्तर का पता लगाया जा सकेगा.
पुणे की कंपनी वाटरलैब सॉल्यूशन्स ने भूजल ऐप तैयार किया है. इस ऐप की खासियत है कि महज आधा मिनट में पता चल जाएगा कि बोरवेल में कितना पानी है. भूजल ऐप पानी की मॉनिटरिंग करने वाला ऐप है जो पूरी तरह से सोनार टेक्नोलॉजी पर काम करता है. वाटरलैब सॉल्यूशन्स कंपनी के संस्थापक विजय गवाडे 'बिजनेसलाइन' से कहते हैं, हर तरह का बोरवेल एक मेटल के ढक्कन से लगा रहता है. बिना ढक्कन का कोई बोरवेल नहीं लगता. इसलिए इस मेटल के ढक्कन को छूकर पानी का स्तर जाना जा सकता है.
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विजय गवाडे कहते हैं, मेटल कैप पर किसी हथौड़े या लोहे के रॉड से हर दो सेकंड पर वार करना है. इस वार से जो आवाज या इको आती है, उसे भूजल ऐप कैप्चर करता है और इसी आधार पर भूजल स्तर की जानकारी देता है. इस पूरे प्रोसेस में 30 सेकंड का समय लगता है. यानी कोई किसान चाहे तो महज आधा मिनट में भूजल स्तर पता कर सकता है जबकि यह काम बहुत मुश्किल होता है.
अभी तक बोरवेल के पानी का स्तर जानना हो तो उसका मेटल का ढक्कन खोलना होता है. लेकिन भूजल ऐप इस झंझट को दूर करता है. आधा मिनट में भूजल ऐप पानी का स्तर बता देता है जिससे अपने खर्च के हिसाब से पानी का उपयोग करने में मदद मिलेगी. गवाडे का कहना है कि उनके भूजल ऐप को कई लोगों का अच्छा समर्थन मिल रहा है. भूजल ऐप एंड्रॉयड सिस्टम पर काम करता है जिसे गूगल प्लेस्टोर से फ्री में डाउनलोड किया जा सकता है.
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इस ऐप का इस्तेमाल करने के लिए किसान को सालाना 199 रुपये का सब्सक्रिप्शन चार्ज देना होगा. अभी तक इस ऐप के 1600 डाउनोलड हो सकते हैं. गवाडे कहते हैं कि भूजल ऐप का ध्यान किसानों, शहरी घर और सरकारी एजेंसियों को अपना ग्राहक बनाने पर अधिक है. इस ऐप की मदद से बेहतर ढंग से जल प्रबंधन किया जा सकता है. खासकर ऐसे समय में जब पानी की किल्लत बड़ी समस्या बनती जा रही है. भूजल ऐप बनाने वाली कंपनी वाटरलैब सॉल्यूशन्स को आईआईटी खड़गपुर से समर्थन मिला है. इसके अलावा इस कंपनी को केंद्रीय कृषि मंत्रालय और शहरी विकास मंत्रालय से फंडिंग मिली है.
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