Hi Tech Farming : हवा में आलू उगाने के लिए ग्वालियर में बनेगी एमपी की पहली Aeroponic Lab

Hi Tech Farming : हवा में आलू उगाने के लिए ग्वालियर में बनेगी एमपी की पहली Aeroponic Lab

मिट्टी के बिना खेती की कल्पना भी नहीं की जा सकती है, मगर विज्ञान ने इसे मुमकिन कर दिखाया है. अब मिट्टी के बिना ही हवा में उपज ली जा सकती है. जिस तकनीक से इस अकल्पनीय खेती को करना मुमकिन हुआ है उसे एयरोपोनिक तकनीक कहते हैं. मध्य प्रदेश के ग्वालियर में पहली हाईटेक नर्सरी युक्त एयरोपोनिक लैब जल्द बनेगी.

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Hi Tech Farming : हवा में आलू उगाने के लिए ग्वालियर में बनेगी एमपी की पहली Aeroponic Labएमपी के ग्वालियर में मिट्टी के बिना ही आलू के बीज की उपज मिलेगी एयरोपोनिक लैब से, फोटो: साभार, फ्रीपिक
अत्याधुनिक तकनीक की बदौलत खेती उस मुकाम पर पहुंच चुकी है जिसमें, अब उपज लेने के लिए मिट्टी और खेत की दरकार नहीं रह गई है. अब खेत के बजाय हाईटेक नर्सरी और लैब में खेती करने का चलन भारत में भी जोर पकड़ रहा है. इसके तहत बिना मिट्टी के सिर्फ पानी की मदद से हाईटेक नर्सरी में की जा रही खेती को हाइड्रोपोनिक कहते है. इसी तरह मिट्टी के बिना, महज पोषक तत्वों से युक्त धुंध की मदद से हवा में की जाने वाली खेती को एयरोपोनिक फार्मिंग कहा जाता है. हवा में उपज देने से जुड़ी एयरोपोनिक फार्मिंग की एमपी में पहली लैब ग्वालियर में जल्द बनाई जाएगी. ग्वालियर में हाईटेक नर्सरी और एयरोपोनिक लैब बनाने की यह परियोजना एक साल से लंबित थी. इस पर काम शुरू नहीं हो पाया था. एमपी के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री भारत सिंह कुशवाह ने अब इसका निर्माण कार्य जल्द शुरू करने के आदेश जारी कर दिए हैं.
 

बीज के लिए आलू उपजेगा हवा में

 
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक आलू के उत्पादन में एमपी, देश में छठे पायदान पर है. राज्य में आलू का उत्पादन बढ़ाने में फसल पर लगने वाले रोग बाधक बन गए थे. एमपी सरकार ने तकनीक की मदद से इस समस्या का समाधान निकाला. इसके फलस्वरूप राज्य सरकार ने एयरोपोनिक तकनीक की मदद से रोग रहित उच्च गुणवत्ता वाले आलू का बीज इस तकनीक से उपजाने के लिए ग्वालियर में प्रदेश की पहली एयरोपोनिक लैब और हाईटेक नर्सरी बनाने का फैसला 2022 में ही कर लिया था.
 

कुशवाह ने भरोसा दिलाया कि अब जल्द ही इस लैब का निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले फसली सीजन में राज्य के आलू किसानों को एयरोपोनिक तकनीक से उपजाए गए आलू के बीज की आपूर्ति होने लगेगी. यह लैब बनाने के लिए एमपी की शिवराज सिंह चौहान सरकार का कृष‍ि तकनीक से जुड़ी अग्रणी कंपनी एग्रीनोवेट इंडिया लिमिटेड के साथ करार कर चुका है.

अब नहीं होगी बीज की कमी

एमपी सरकार का मानना है कि राज्य के आलू उत्पादक किसानों को मांग के अनुरूप आलू के बीज की आपूर्ति नहीं हो पाती है. एयरोपोनिक तकनीक से बीज के उत्पादन में 10 से 12 प्रतिशत तक उपज में इजाफा हो जाता है. राज्य सरकार का दावा है कि ग्वालियर में एयरोपोनिक लैब बनने से बीज की भरपूर सप्लाई हो सकेगी. इस तकनीक से उपजे बीज के इस्तेमाल से फसल की उत्पादन क्षमता भी बढ़ती है.

क्या है एयरोपोनिक तकनीक 

भारतीय कृष‍ि अनुसंधान परिषद के श‍िमला स्थित केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान ने हवा में आलू का बीज तैयार करने वाली इस अनूठी तकनीक को ईजाद किया है. इसके तहत पौधे की जड़ों को मिट्टी से मिलने वाले पोषक तत्वों का पानी की फुहार के माध्यम से जड़ों पर छिड़काव किया जाता है. इससे पहले बीज को नमी युक्त अंधेरे बॉक्स में रख कर पौधे तैयार की जाती है. बीज से निकला पौधा बॉक्स से बाहर आकर हवा में रहता है. जबकि पौधे की जड़ें अंधेरे बॉक्स में होती हैं.
इन पर पोषक तत्वों का स्प्रे किया जाता है. जड़ों को पोषक तत्व और हवा में मौजूद पौधे पौधे की तेज ग्रोथ होती है. इन जड़ों पर पोषक तत्वों के लगातार स्प्रे होने से एक जड़ से आलू के 35 से 60 बीज मिलते हैं. वैज्ञानिकों का दावा है कि इस विधि में मिट्टी का इस्तेमाल नहीं होता है इसलिए इसके बीज मिट्टी जनित रोगों से मुक्त होते हैं.
 

 

एमपी में आलू की खेती का दायरा

कुशवाह ने कहा कि एमपी में 'एक जिला एक उत्पाद' यानी ODOP योजना के तहत ग्वालियर जिले के विशिष्ट उत्पाद के रूप में आलू को शामिल किया गया है. इसलिए ग्वालियर में हाईटेक नर्सरी और एयरोपोनिक लैब बनाने का निर्णय किया गया है. उन्होंने कहा कि एमपी में हर साल औसतन 4 लाख टन आलू के बीज की जरूरत होती है. इस जरूरत को 10 लाख मिनी ट्यूबर क्षमता वाली एयरोपोनिक लैब से पूरा करने में मदद मिलेगी. 
उन्होंने कहा कि एमपी में मालवा संभाग आलू का मुख्य उत्पादक क्षेत्र है. इसके अलावा ग्वालियर, देवास, शाजापुर, और भोपाल जिलों में भी आलू की खेती व्यापक पैमाने पर होती है. वहीं छिंदवाड़ा, सीधी, सतना, रीवा, राजगढ़, सागर, दमोह, जबलपुर, पन्ना, मुरैना, छतरपुर, विदिशा, बैतूल और रतलाम जिलों के कुछ इलाकों में भी आलू की खेती की जाती है.
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