स्थायी और टिकाऊ खेती के लिए जरूरी है अमृत मिट्टी, पढ़ें यहां इसे तैयार करने की विधि और फायदे

स्थायी और टिकाऊ खेती के लिए जरूरी है अमृत मिट्टी, पढ़ें यहां इसे तैयार करने की विधि और फायदे

अमृत कृषि का विकास प्रो दाभोलकर ने किया था. यह कृषि की एक ऐसी प्रणाली है जिसमें खेती के बाहरी चीजों का इस्तेमाल कम करके इसकी लागत को कम किया जाता है और स्थानीय तौर पर उपलब्ध किया जाता है.

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स्थायी और टिकाऊ खेती के लिए जरूरी है अमृत मिट्टी, पढ़ें यहां इसे तैयार करने की विधि और फायदेअमृत मिट्टी तैयार करने की विधि और फायदे फाइल फोटो

आज के दौर पर कृषि में रसायनिक उर्रवरक और कीटनाश के प्रयोग के कारण खेत की मिट्टी पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. इसकी उत्पादक क्षमता कम हो रही है. इसके कारण स्थायी खेती या लंबे समय तक खेती करने को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. क्योकि अगर मिट्टी ही सही नहीं रहेगी तो फिर खेती कैसे होगी. पर प्राकृतिक खेती के जरिए इसका भी समाधान निकाल लिया गया है. अमृत मिट्टी, इसे किसान अपने खेत में तैयार कर सकते हैं. इस मिट्टी में खेती करने के लिए किसी भी प्रकार के रसायनिक उर्रवरक या कीटनाशक की आवश्यकता नहीं होती है और मिट्टी की उर्रवरक क्षमता भी बनी रहती है. 

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के बिजनेस एंड प्लानिंग डिपार्टमेंट के सीइओ सिद्धार्थ जायसवाल बताते हैं कि इस अमृत कृषि का विकास प्रो दाभोलकर ने किया था. यह कृषि की एक ऐसी प्रणाली है जिसमें खेती के बाहरी चीजों का इस्तेमाल कम करके इसकी लागत को कम किया जाता है और स्थानीय तौर पर उपलब्ध किया जाता है. इसमें सुरज की रोशनी फायदा उठाकर सूखे पत्तो और पेड़ों को बचे हुए अंश का मिट्टी में बदला जा है. अमृत मिट्टी में उगाए गए फसल की खासियत यह होती है कि इसमें पोषण तत्वो की मात्रा प्रयाप्त होती है.

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कैसे बनती है अमृत मिट्टी

अमृत मिट्टी कैसे बनाई जाती  है इसका जवाब जानने के लिए हमे प्राकृतिक जंगलों के पारिस्थितिकी तंत्र को समझना पड़ेगा. क्योंकि दुनिया में सबसे अधिक अमृत मिट्टी जंगलों में ही तैयार होती है. जंगल में जिस प्रणाली से उपजाऊ मिट्टी तैयार होती है उसी तरीके से किसान अपने खेत में भी उपजाऊ अमृत मिट्टी तैयार कर सकते हैं. इसके लिए सबसे पहले अमृत जल तैयार करना पड़ता है. इसके बाद किसान अमृत मिट्टी बना सकते हैं. अमृत मिट्टी बनाने के लिए सबसे पहले खर-पतवार, पेड़ के सूखे पत्ते, भूसा और घास को जमा किया जाता है. इसके अलावा सब्जी के बचे हुए छिलके और बचा हुआ खाना का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.

अमृत जल का करें छिड़काव

इसके बाद इस जैविक कचरे को खेत में बेड की तरह बिछा दे. इसके उपर से इसमें अमृत जल का छिड़काव करें. समय समय पर बेड में तैयार हो रहे जैविक कचरे के खाद को पलटते रहे हैं. इसमें सात से 15 दिनों के अंतराल पर अमृत जल का छिड़काव करना चाहिए. ध्यान रखें कि बेड का आकार 10 फीट लंबा और तीन फीट चौड़ा होना चाहिए. अधिक चौड़ाई होने पर इसे पलटने में असुविधा हो सकती है. तीन से चार महीने के अंतराल पर अमृत मिट्टी किसान के खेत में तैयार हो जाती है. 

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अमृत जल बनाने कि विधी

अमृत जल बनाने के लिए एक किलो ताजा गोबर, एक लीटर गोमूत्र, 50 ग्राम देशी गुड़ और 10 लीटर पानी की जरूरत होती है. सबसे पहले गोबर को गोमूत्र में मिलाए उसके बाद उसमें गुड़ का घोल बनाकर उसे मिलाएं. फिर गोबर, गोमूत्र और गुड़ के बने घोल को 10 लीटर पानी में मिला दें और एक लकड़ी की सहायता से सीधा और उल्टा 12 बार घुमाएं. फिर इसे तीन दिनों तक छांव में ढंककर रख दे. इन तीन दिनों में इसे सुबह, दोपहर और शाम 12-12 तक उल्टा सीधा घुमाते रहे. चौथे दिन इस घोल को 100 लीटर पानी में डाल दीजिए. यह आपका अमृत जल तैयार हो जाएगा.    


 

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