एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर ने अपनी एक नई रिपोर्ट में कहा है कि लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में चुनाव लड़ रहे 1,352 उम्मीदवारों में से केवल 9 प्रतिशत महिलाएं हैं. जबकि 18 प्रतिशत ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं. लोकसभा चुनावों का तीसरा चरण सात मई को है जिसके तहत 94 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे. एडीआर और द नेशनल इलेक्शन वॉच की तरफ से तीसरे चरण में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के विवरण के विश्लेषण के अनुसार, सात उम्मीदवारों ने बताया है कि उन पर पहले दोष साबित हो चुका है.
रिपोर्ट के मुताबिक 244 उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक रिकॉर्ड हैं. इनमें से पांच पर मर्डर से जुड़े जबकि 24 उम्मीदवार हैं जिन पर हत्या के प्रयास के मामले दर्ज किए गए हैं. इसके अलावा 38 उम्मीदवारों पर महिलाओं के खिलाफ अपराध और 17 पर हेट स्पीच जुड़े मामले हैं. 1352 उम्मीदवारों के स्व-शपथ पत्रों पर आधारित विश्लेषण ने राजनीतिक उम्मीदवारों के बीच क्राइम और पैसे आपराधिकता और संपत्ति इकट्ठा करने के रुझान पर रोशनी डालती है.
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रिपोर्ट पर अगर यकीन करें तो प्रमुख राजनीतिक दलों में आपराधिक मामलें काफी अलग-अलग हैं. आंकड़े भाजपा, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसे प्रमुख दलों के उम्मीदवारों के बीच रुझानों को उजागर करते हैं. एडीआर की रिपोर्ट में उम्मीदवारों की आर्थिक पृष्ठभूमि में असमानता के बारे में बताया गया है. इसमें खुलासा हुआ कि 29 फीसदी या 392 उम्मीदवार 'करोड़पति' हैं. साथ ही प्रति उम्मीदवार औसत संपत्ति 5.66 करोड़ रुपये है.
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घोषित संपत्ति के मामले में शीर्ष तीन उम्मीदवारों के पास सैकड़ों करोड़ रुपये की संपत्ति है. इसमें सबसे ज्यादा घोषित संपत्ति 1,361 करोड़ रुपये से ज्यादा है. इस रिपोर्ट में विश्लेषण उम्मीदवारों की शैक्षिक और जनसांख्यिकीय पृष्ठभूमि पर भी प्रकाश डालता है. रिपोर्ट बताती है कि 47 फीसदी या 639 उम्मीदवारों पांचवी से 12वीं तक ही शिक्षा हासिल किए हुए हैं. जबकि 44 फीसदी या 591 ग्रेजुएट हैं या हायर एजुकेशन की योग्यता रखते हैं. आयु के हिसाब से, 30 फीसदी या 411 उम्मीदवार 25-40 साल के दायरे में आते हैं. जबकि 53 फीसदी या 712 उम्मीदवार 41 से 60 वर्ष के बीच के हैं.
रिपोर्ट में उम्मीदवारों के चयन में लैंगिक असमानता के बारे में भी बताया गया है. इसमें तीसरे चरण में सिर्फ नौ फीसदी या 123 महिलाएं ही चुनाव लड़ रही हैं. एडीआर ने राजनीति में अपराधीकरण को कम करने के लिए कड़े उपायों को लागू करने का प्रस्ताव दिया है. इसमें जघन्य अपराधों के दोषी उम्मीदवारों की स्थायी अयोग्यता और 'दागी' उम्मीदवारों को मैदान में उतारने वाले राजनीतिक दलों के लिए कर छूट को रद्द करना शामिल है. रिपोर्ट ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया की अखंडता को बनाए रखने के लिए चुनाव सुधारों के महत्व पर जोर देते हुए भारत के राजनीतिक परिदृश्य में जवाबदेही और पारदर्शिता की जरूरत पर जोर दिया है.
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