लाल मिर्च की खेतीकम क्षेत्रफल में खेती, अधिक बारिश और कीटों के हमलों के कारण, साल 2025-26 में भारत की लाल मिर्च की फसल में कमी आने की संभावना है. ऐसा इसलिए क्योंकि किसान मक्का, कपास और दालों जैसी अन्य फसलों की ओर तेजी से रुख कर रहे हैं. हालांकि, अधिक मात्रा में बचे हुए भंडार से आपूर्ति में वृद्धि होगी, जिससे निर्यात मांग के कमजोर होने के बावजूद कीमतें नियंत्रण में रहेंगी.
गुंटूर में मिर्च निर्यातक संघ के अध्यक्ष वेलागापुडी सांबासिवा राव ने कहा कि इस वर्ष लगभग 70 प्रतिशत क्षेत्र में फसल की बुवाई हो चुकी है. फसल की मात्रा का सटीक अनुमान लगाना अभी जल्दबाजी होगी, क्योंकि दक्षिण के तीनों प्रमुख उत्पादक राज्यों में बुवाई अलग-अलग चरणों में हुई है. उन्होंने कहा कि फसल की मात्रा का स्पष्ट अंदाजा जनवरी के पहले सप्ताह में ही लगेगा.
हालांकि, सांबासिवा राव ने कहा कि भारी मात्रा में बचे हुए स्टॉक से कीमतें नियंत्रित रहेंगी. उन्होंने बताया कि आंध्र प्रदेश में अनुमानित बचे हुए स्टॉक लगभग 55 लाख बोरी (प्रत्येक 50 किलो की), तेलंगाना में लगभग 36 लाख बोरी और कर्नाटक में लगभग 45 लाख बोरी है. उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय फसल अधिक होने के कारण सबसे बड़े खरीदार चीन से निर्यात की मांग कम बनी हुई है.
बिगहाट एग्रो प्राइवेट लिमिटेड के महाप्रबंधक संदीप वोड्डेपल्ली ने कहा कि पिछले वर्ष की तुलना में कुल कृषि क्षेत्र में 25-30 प्रतिशत की कमी आई है और फसल में लगभग 20 प्रतिशत की कमी होने की संभावना है. उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर, मिर्च की फसल 2025-26 के दौरान 11.4 लाख टन रहने का अनुमान है, जबकि पिछले वर्ष यह 14.1 लाख टन थी.
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के अलग-अलग हिस्सों में मिर्च की फसल में फूल आने और फल लगने लगे हैं, जबकि कर्नाटक में फसल की आवक धीरे-धीरे शुरू हो गई है. वोद्देपल्ली ने बताया कि हालांकि कई स्थानों पर कीटों का हल्का हमला हुआ है, लेकिन फसल पर इसका कोई बड़ा प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है.
उन्होंने अनुमान लगाया कि ठंडे मौसम में जमा होने वाले अनाज का भंडार 157 लाख बोरी है, जो पिछले साल नवंबर में जमा हुए 138 लाख बोरी से लगभग 14 प्रतिशत अधिक है. वोद्देपल्ली ने आगे कहा कि किसान और भंडारधारक आने वाले महीनों में बेहतर कीमतों की उम्मीद में स्टॉक जमा कर रहे हैं.
हुबली स्थित हम्पाली ट्रेडर्स के बसवराज हम्पाली ने बताया कि कर्नाटक में फसल क्षेत्र में 25-30 प्रतिशत की कमी आई है. मॉनसून के दौरान, विशेषकर अगस्त में हुई भारी बारिश ने फसल को प्रभावित किया है. अधिक बारिश के कारण फसल का नुकसान 10-15 प्रतिशत तक हो सकता है. वहीं, ब्याडगी किस्म की आवक धीमी गति से शुरू हुई है और आने वाले महीनों में इसमें तेजी आने की उम्मीद है.
हम्पाली ने बताया कि ब्याडगी किस्म की मिर्चों की कीमतें 40,000-45,000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच बनी हुई हैं, जो एक साल पहले 30,000-35,000 रुपये प्रति क्विंटल थीं. उन्होंने अनुमान लगाया कि कर्नाटक में ब्याडगी मिर्चों का भंडार लगभग 30-35 लाख बोरी है, जो एक साल पहले के 45-50 लाख बोरी से कम है. हालांकि, बचा हुआ भंडार सामान्य 15-25 लाख बोरी से अधिक है.
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