गेहूं की पैदावार हो सकती है प्रभावित! 99 फीसदी प्रमुख उत्पादक राज्य कर रहे हैं बारिश की कमी का सामना

गेहूं की पैदावार हो सकती है प्रभावित! 99 फीसदी प्रमुख उत्पादक राज्य कर रहे हैं बारिश की कमी का सामना

देश के प्रमुख गेंहू उत्पादक क्षेत्रों के किसानों ने कहा कि समय पर बारिश होने से ना केवल गर्मी को कम करने में राहत मिलती है. साथ ही फसलों के सिंचाई के लिए भी सहायक साबित होती है.

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गेहूं की पैदावार हो सकती है प्रभावित! 99 फीसदी प्रमुख उत्पादक राज्य कर रहे हैं बारिश की कमी का सामनाइस बार सर्दियों में भी नहीं हुई बारिश, गेंहू की फसल पर क्या होगा असर फोटोः किसान तक

देश में इस बार रबी फसलों के उत्पादन पर संशय बरकार है. इस बीच यह बात सामने आ रही है देश में इस बार सर्दियों में जनवरी से लेकर फरवरी महीने के बीच 39 फीसदी बारिश की कमी हुई है. साल की शुरुआत मे अचानक बढ़ते तापमान को फरवरी में हुई कम बारिश के साथ जोड़कर देखा जा रहा है. वहीं मौसम विभाग ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी है. बारिश की कमी का सबसे अधिक असर गेंहू की खेती पर पड़ा है. इसके कारण उत्तर प्रदेश,पंजाब, हरियाणा मध्यप्रदेश और राजस्थान जैसे प्रमुख गेंहू उत्पादक राज्यों में फरवरी के महीने में लगभग 99 से 100 फीसदी तक बारिश की कमी दर्ज की गई है. 

टाइम्स ऑफ इंडिया के रिपोर्ट के मुताबिक इन प्रमुख गेंहू उत्पादक क्षेत्रों के किसानों ने कहा कि समय पर बारिश होने से ना केवल गर्मी को कम करने में राहत मिलती है. साथ ही फसलों के सिंचाई के लिए भी सहायक साबित होती है. 23 फरवरी को भारतीय मौसम विज्ञान विभाग द्वारा जारी किए गए बारिश के आंकड़ों के मताबिक पूर्वी और पश्चिमी यूपी, बिहार, राजस्थान के अलावा पूर्वी और पश्चिमी मध्यप्रदेश में 100 फीसदी बारिश कम हुई है, जबकि पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली जैसे राज्यों में 99 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है.

 

गेहूं की फसल को सिंचाई की जरूरत 

नेशनल वेदर फॉरकास्टिंग सेंटर आईएमडी के वैज्ञानिक राजेंद्र जेनामणि ने बताया कि आमतौर पर उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में सर्दियों में अच्छी बारिश होती है. उत्तरी महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में फरवरी में ओलावृष्टि गतिविधि भी होती है, जो इस साल नहीं हुई है. हालांकि, 20-22 फरवरी को इन हिस्सों के तापमान में तीन से चार डिग्री की कमी आई है. उत्तर प्रदेश के एक गेंहू के किसान ने बताया कि गेंहू के परिपक्व होने के वक्त सिंचाई की जरुरत पडत़ी है. ऐसे में प्रति एकड़ 540 रुपए का अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है. उन्होंने 3.5 एकड़ में गेहूं की खेती की है, उन्होंने आगे कहा कि फरवरी की शुरुआत में अधिक गर्मी की वजह से स्टार्च की कमी होगी. साथ ही गेंहू की आकार पर फर्क पड़ेगा. इसलिए गेहूं की इस अवस्था के दौरान सिंचाई की सबसे अधिक जरूरत होती है. 

सर्दियों की बारिश है महत्वपूर्ण

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक श्रमित भारती संगठन से जुड़े राणा सिंह ने कहा कि उनके संगठन से 3500 किसान जुड़े हुए हैं. उनका कहना है कि यह गेंहू के फलने का समय है, पर इस समय गेहूं के दाने को फलने के लिए जितना तापमान की जरूरत है वो नहीं मिल पा रहा है. इसके कारण यह गेंहू के दाने की वद्धि और आकार सभी को प्रभावित कर रहा है. जिससे दाने सिकुड़ जाते हैं उपज प्रभावित हो सकती है. उन्होंने आगे कहा कि गेंहू की फसल के लिए सर्दियों की बारिश महत्वपूर्ण है.

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