उत्तर प्रदेश देश में सबसे ज्यादा गन्ने का उत्पादन करता है तो वहीं चीनी उत्पादन में भी यूपी का कोई जोड़ नहीं. प्रदेश का पश्चिमी भाग को गन्ना बेल्ट कहा जाता है. चीनी मिल का पेराइ सत्र नवंबर में शुरू होगा लेकिन गन्ना किसानों ने कोल्हू के द्वारा गुड़ बनाने का काम शुरू कर दिया है. मुजफ्फरनगर और सहारनपुर में किसानों के द्वारा गुड़ निर्माण का काम शुरू हो गया है. कोल्हू चलने के कारण अब गुड़ की महक फिजाओं में घुलने लगी है. अक्टूबर महीने में ज्यादा लाभ पाने के लिए किसानों ने तेजी से गुड़ बनाना शुरू कर दिया है. चीनी मिलों को चलने में अभी एक महीने का समय है. ऐसे में लोग ऊंचे भाव में गुड़ को खरीद रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग के सहारनपुर और मुजफ्फरनगर जिलों में अब कोल्हू चलने लगे हैं और गुड़ की महक फिजाओं में घुलने लगी है. सहारनपुर मंडल गुड़ शक्कर के निर्माण में एशिया भर में विशेष स्थान रखता है. ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए किसान अब चीनी की बजाय गुड़ बनाने लगे हैं. बाजार में अब कई तरह के देसी गुड़ मिलने लगा है. सहारनपुर के गन्ना उत्पादक किसान के द्वारा बाजार में नई शक्कर और गुड़ की बिक्री शुरू हो चुकी है. सहारनपुर का गुड़ पूरे देश में जाना जाता है. देवबंद क्षेत्र में भी कोल्हू अब शुरू हो चुके हैं. किसान रामदास का कहना है कि इन दिनों गुड़ की अच्छी बिक्री होती है. बाजार में उनके गुड़ 60 से 80 रुपए प्रति किलो के भाव में बिक रहे हैं.
सहारनपुर और मुजफ्फरनगर की मंडी में अब देसी गुड़ की आवक बढ़ गई है. वैसे तो देवोत्थान एकादशी पर गन्ने से देवताओं की पूजा अर्चना करने के बाद ही गन्ना खाने और रस पीने का चलन है, लेकिन इस बार पैदावार अधिक होने के चलते समय से पहले ही किसान गुड़ बनाने लगे हैं. देवबंद और ननौता चीनी मिल अभी शुरू नहीं हो सकी है जबकि कोल्हुओं पर तेजी से गन्ने की खरीद शुरू हो गई है. कोल्हू संचालक चीनी मिल न चलने का फायदा उठा रहे हैं और 250 से 270 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से गन्ने की खरीद कर रहे हैं जबकि मिल द्वारा 350 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गन्ने की खरीद होती है.
उत्तर प्रदेश में बीते दो सालों से गन्ने की कीमत नहीं बढ़ाई गई है. प्रदेश में 350 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से अभी गन्ने की खरीद हो रही है लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले किसानों के द्वारा गन्ने का रेट बढ़ाने की मांग तेज होने लगी है. इसलिए सरकार ने भी रेट बढ़ने के लिए विचार मंथन शुरू कर दिया है. कोल्हू संचालक सुखबीर सिंह का कहना है की 06 माह का रोजगार उन्हें क्रेशर पर गुड़, शक्कर बनाने से मिल जाता है जिससे उनके पूरे साल का खर्च चलता है.
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