यूपी में चीनी उद्योग के हाल ही में 120 साल पूरे हाेने पर कार्यक्रम में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, फोटो, किसान तक हर साल गन्ना की पेराई का सत्र अक्टूबर में शुरू होकर जून तक चलता है. योगी सरकार का दावा है कि गन्ना के चालू पेराई सत्र में अब तक हुए चीनी उत्पादन में यूपी ने महाराष्ट्र को पीछे कर दिया है. यूपी के चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने आंकड़ों के हवाला से इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि चालू सत्र में यूपी का चीनी उत्पादन 107 लाख टन के स्तर को पार कर गया है. वहीं महाराष्ट्र का कुल चीनी उत्पादन 105 लाख टन रहा है. योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला साल गत मार्च में पूरा होने पर चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग ने चालू सत्र के दौरान यूपी में 23 मार्च तक 83 लाख टन चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन होने का दावा किया गया था. चीनी उत्पादन को आगे बए़ाते हुए गन्ने की पेराई के मामले में भी यूपी ने इस साल महाराष्ट्र को पीछे कर दिया है. चौधरी ने इस उपलब्धि के पीछे नई चीनी मिलों की शुरुआत कर यूपी में चीनी उत्पादन की क्षमता बढ़ाने को मुख्य वजह बताया है.
चौधरी ने बताया कि यूपी ने चीनी उत्पादन को बढ़ाने में अपनी चीनी मिलों की संख्या में इजाफा किया, हालांकि महाराष्ट्र की चीनी मिलों की तुलना में यूपी की चीनी मिलों की संख्या कम है, इसके बावजूद यूपी का उत्पादन ज्यादा रहा. उन्होंने कहा कि यूपी में अभी 118 चीनी मिलें कार्यरत हैं और इनसे 107.29 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है. वहीं महाराष्ट्र में 210 चीनी मिलों से 105.30 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है.
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चौधरी ने कहा कि यूपी में 2017 से पहले की सरकार में 12 चीनी मिलों को बेच दिया गया था और 18 को बंद कर दिया गया था. उन्होंने कहा कि योगी सरकार ने पिछले 6 साल में न केवल नई चीनी मिलें खोलीं, बल्कि चीनी मिलों की उत्पादन क्षमता में भी इजाफा किया. इसके परिणामस्वरूप ही यूपी ने महाराष्ट्र को चीनी उपादन में पीछे कर दिया.
उपज की अगर बात की जाए तो इस मामले में महाराष्ट्र, यूपी से आगे है. आंकड़ों के मुताबिक यूपी में इस साल 28.53 लाख हेक्टेयर में गन्ना की खेती हुई थी. गन्ना की खेती के रकबा के हिसाब से यूपी में देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा क्षेत्रफल में गन्ना की खेती हुई. पिछले सालों की तुलना में यूपी का गन्ना का रकबा इस साल भी बढ़ा है. साल 2020-21 और 2021-22 के दौरान यूपी में गन्ना की उपज का आच्छादन 27.40 लाख हेक्टेयर और 2019-20 में यह 26.79 लाख हेक्टेयर था.
मगर, गन्ना एवं चीनी उत्पादन के आंकड़ों के मुताबिक गन्ना की उपज और इससे चीनी के उत्पादन के मामले में महाराष्ट्र यूपी से आगे हैं. आंकड़ों के अनुसार महाराष्ट्र में पिछले साल यूपी की तुलना में लगभग आधे क्षेत्रफल में ही गन्ना की खेती हुई थी. महाराष्ट्र में 2022-23 में 14.87 लाख हेक्टेयर में ही गन्ना उपजाया गया था. इससे महाराष्ट्र में 1413 लाख टन गन्ना उत्पादन हुआ और इसमें से 1053 लाख टन गन्ना की पेराई कर इससे 105.30 लाख टन चीनी उत्पादन किया.
वहीं, यूपी में पिछले साल 28.53 लाख हेक्टेयर में गन्ना की 2348 लाख टन उपज प्राप्त करके इसमें से 1084.57 लाख टन गन्ना की पेराई की गई. इससे 107.29 लाख टन चीनी का उत्पादन किया गया. इस प्रकार उपज के लिहाज से देखा जाए तो महाराष्ट्र ने यूपी से आधे रकबे में गन्ना की खेती कर मामूली कम अंतर से चीनी का उत्पादन किया है.
स्पष्ट है कि महाराष्ट्र में गन्ने की उपज यूपी की तुलना में ज्यादा है. इतना ही नहीं महाराष्ट्र में पैदा होने वाले गन्ने में रस की मात्रा भी यूपी में उपजे गन्ना की तुलना में थोड़ा ज्यादा है. इस कारण चीनी के उत्पादन पर भी इसका असर साफ तौर पर देखा जा सकता है.
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गन्ना और चीनी उत्पादन के मामले में यूपी ने महाराष्ट्र को भले ही पीछे कर दिया हो, मगर इससे पिछले सालाें में चीनी उत्पादन के अपने ही रिकॉर्ड से अभी भी यूपी पीछे है. यूपी सरकार के आंकड़ों के मुताबिक पिछले पांच पेराई सत्र में यूपी ने 2019-20 में सर्वाधिक 126.37 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था.
वहीं, 2017-18 में यह मात्रा 120.50 लाख टन, 2018-19 में 118.22 लाख टन, 2020-21 में 110.59 लाख टन एवं 2021-22 में यह घटकर 101.98 लाख टन पर आ गई. इस प्रकार पिछले साल की तुलना में यूपी का चीनी उत्पादन भले ही बढ़ा हो लेकिन इससे पहले के सालों की तुलना में अभी भी चीनी उत्पादन कम है.
यूपी सरकार की रणनीति है कि चीनी के उत्पादन के मामले में इजाफा कर इसके इस्तेमाल को ईथेनॉल के उत्पादन में बढ़ाया जाए. योगी सरकार के आंकड़ों के मुताबिक यूपी में इस साल उत्पादित 107.29 लाख टन चीनी में से 19.84 लाख टन चीनी का इस्तेमाल ईथेनॉल बनाने में किया गया. जबकि महाराष्ट्र में 15.70 लाख टन चीनी को ईथेनॉल बनाने में इस्तेमाल किया गया.
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