उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि आगामी रबी सत्र में बीज वितरण और क्षेत्राच्छादन के लक्ष्यों का निर्धारण किया गया. इस वर्ष रबी सत्र में 141 लाख हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें 2.27 लाख हेक्टेयर क्षेत्र गन्ने के साथ सहफसली खेती हेतु निर्धारित किया गया है. उन्होंने कहा कि किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराने की दिशा में सरकार ने विशेष कदम उठाए हैं. इस सत्र में किसानों को 10 लाख क्विंटल गेहूं बीज अनुदान पर दिया जाएगा. वहीं गन्ना उत्पादक किसानों को शीतकालीन गन्ने के साथ सहफसली खेती के लिए 7080 क्विंटल राई और सरसों तथा 12500 क्विंटल मसूर के बीज निःशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे. इसके अतिरिक्त प्रदेश सरकार द्वारा 6.50 लाख दलहनी और तिलहनी बीज मिनीकिट तथा भारत सरकार के सहयोग से 5.41 लाख दलहनी बीज मिनीकिट भी निःशुल्क वितरित किए जाएंगे.
कृषि मंत्री ने कहा कि लाभार्थियों के चयन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ई-लॉटरी प्रणाली अपनाई जाएगी, जिससे वास्तविक किसानों को ही लाभ मिल सके. इसके लिए किसानों को पहले से पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा. तोरिया बीज मिनीकिट हेतु पंजीकरण की अंतिम तिथि 31 अगस्त 2025 तय की गई है. इसके बाद 1 सितंबर से अन्य फसलों के बीज मिनीकिट के लिए पंजीकरण शुरू होगा.
उन्होंने कहा कि पीओएस मशीनों के माध्यम से बीज वितरण की व्यवस्था से किसानों का विश्वास बढ़ा है और बीज की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. प्रदेश सरकार का संकल्प है कि अन्नदाता किसानों को समय पर पर्याप्त और गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराया जाए, जिससे उत्पादन में वृद्धि हो और प्रदेश को ‘वन ट्रिलियन डॉलर इकोनोमी’ के लक्ष्य की प्राप्ति में सहायता मिले.
बैठक में उर्वरकों की उपलब्धता पर भी विस्तृत चर्चा हुई. वर्ष 2016 के खरीफ सीजन में 91.45 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में खरीफ फसलों की बुवाई हुई थी, जो बढ़कर वर्ष 2024 में 105.93 लाख हेक्टेयर हो गई है. यह वृद्धि लगभग 17 प्रतिशत है. इसी प्रकार वर्ष 2015-16 में रबी, खरीफ एवं गन्ना मिलाकर 225.87 लाख हेक्टेयर में खेती होती थी, जो वर्ष 2024-25 में बढ़कर 274.22 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है. शाही ने बताया कि उर्वरक खपत में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. वर्ष 2016 खरीफ में 23 लाख मीट्रिक टन यूरिया की खपत हुई थी, जबकि खरीफ 2024 में यह बढ़कर 39 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गई.
इस वर्ष खरीफ 2025 में 19 अगस्त तक किसानों द्वारा 32.07 लाख मीट्रिक टन यूरिया क्रय किया जा चुका है, जबकि अभी खरीफ सीजन समाप्त होने में एक माह से अधिक समय बाकी है. बीते वर्ष इसी अवधि तक 27.86 लाख मीट्रिक टन यूरिया की बिक्री हुई थी, जो इस वर्ष की तुलना में 4.21 लाख मीट्रिक टन कम थी.
उन्होंने कहा कि प्रदेश में उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने भारत सरकार के साथ लगातार समन्वय किया है. 1 अप्रैल 2025 को प्रदेश में यूरिया का स्टॉक 12.52 लाख मीट्रिक टन था. इसके बाद 25.45 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त यूरिया मंगाया गया, जिससे कुल उपलब्धता 37.97 लाख मीट्रिक टन हो गई. इसमें से 32.07 लाख मीट्रिक टन किसानों द्वारा पहले ही क्रय कर लिया गया है और वर्तमान में लगभग 6 लाख मीट्रिक टन यूरिया किसानों के लिए उपलब्ध है.
कृषि मंत्री शाही ने बताया कि विश्व बाजार में उर्वरकों के दामों में भारी वृद्धि के बावजूद किसानों पर बोझ न पड़े, इसके लिए केंद्र सरकार ने सब्सिडी की राशि में लगातार बढ़ोतरी की है और विक्रय मूल्य को स्थिर रखा है. उदाहरण स्वरूप यूरिया का वास्तविक बाजार मूल्य 2174 रुपये प्रति बोरी है, लेकिन अनुदान के बाद यह किसानों को मात्र 266 रुपये में उपलब्ध कराया जा रहा है. इसी प्रकार डीएपी, एनपीके, एमओपी और एसएसपी पर भी सरकार द्वारा भारी अनुदान दिया जा रहा है.
कृषि मंत्री ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों की प्राथमिकता किसानों को समय पर खाद और बीज उपलब्ध कराना है. सहकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में पर्याप्त मात्रा में उर्वरक मौजूद है और प्रतिदिन 10 से 12 रैक यूरिया तथा 5 से 6 रैक डीएपी प्रदेश में भेजे जा रहे हैं. उन्होंने किसानों से अपील की कि वे किसी भी प्रकार की कठिनाई होने पर तत्काल जिला कृषि अधिकारी से संपर्क करें.
सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि हम किसानों के हित में किसी भी अधिकारी तथा कर्मचारी की किसी भी प्रकार की ढिलाई को बर्दाश्त नहीं करेंगे. दायित्वों के निर्वहन में शिथिलता बरतने पर श्रावस्ती के जिला कृषि अधिकारी अशोक प्रसाद मिश्र को निलंबित कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि इससे पूर्व भी हमने उत्तरदायित्व में लापरवाही करने वाले सीतापुर के जिला कृषि अधिकारी मंजीत कुमार सिंह तथा बलरामपुर के जिला कृषि अधिकारी प्रकाश चंद्र विश्वकर्मा को निलंबित किया है.
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