बंपर मुनाफे का सौदा है ड्रैगन फ्रूट की खेती, नए-नए रिकॉर्ड बना रहे यूपी के किसान

बंपर मुनाफे का सौदा है ड्रैगन फ्रूट की खेती, नए-नए रिकॉर्ड बना रहे यूपी के किसान

मिर्ज़ापुर में किसान ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon fruit farming) कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. अब तक परंपरागत खेती कर रहे किसानों को जब उसमें घाटा हुआ तो सरकारी मदद से ड्रैगन फूट की खेती शुरू की. नतीजा ये हुआ कि इस साल उन्हें बंपर मुनाफा मिला है. आसपास के कई किसान इसकी खेती में लगे हैं.

Advertisement
बंपर मुनाफे का सौदा है ड्रैगन फ्रूट की खेती, नए-नए रिकॉर्ड बना रहे यूपी के किसानड्रैगन फ्रूट की खेती (फोटो-Unsplash)

यूपी में ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon fruit farming) नए कमाल कर रही है. अभी हाल में एक कंप्यूटर इंजीनियर की खबर ने सबको चौंका दिया जिन्होंने बंजर जमीन में ड्रैगन फ्रूट की खेती कर कमाई का रिकॉर्ड बनाया. ये कंप्यूटर इंजीनियर शाहजहांपुर के हैं जिन्होंने ड्रैगन फ्रूट की खेती को अपना पेशा बनाया है. इनका नाम है अतुल मिश्रा जिन्होंने बीटेक की पढ़ाई कर नौकरी शुरू की, लेकिन मन नहीं लगा और खेती में लग गए. अब वे अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं. ऐसे ही मिर्जापुर के किसान भी ड्रैगन फ्रूट की खेती से दिनों दिन अपनी कमाई बढ़ा रहे हैं. हालत ये है कि अभी उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक ड्रैगन फूट की खेती मिर्ज़ापुर में हो रही है.

मिर्ज़ापुर में किसान ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon fruit farming) कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. अब तक परंपरागत खेती कर रहे किसानों को जब उसमें घाटा हुआ तो सरकारी मदद से ड्रैगन फूट की खेती शुरू की. और नतीजा ये हुआ कि इस साल उन्हें बंपर मुनाफा मिला है. सिटी ब्लॉक के नुवाव में ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले आशाराम दुबे ने पहली बार इसकी खेती कर पहले साल ही बंपर मुनाफा कमाया. खरीदारों को उन्होंने 250 से 300 रुपये किलो तक यह फल बेचा. साथ ही खेती के लिए किसानों को ड्रैगन पेड़ के तने को भी 50 रुपया प्रति नर्सरी बेच कर मुनाफा कमाया.

मिर्जापुर में ड्रैगन फ्रूट की खेती

मिर्जापुर में ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon fruit farming) करने वाले किसान आशाराम दुबे का कहना है कि एक बार पेड़ लगाने के बाद इससे 25 वर्ष तक मुनाफा लिया जा सकता है. एक एकड़ में कम लागत पर 5 से 6 लाख रुपये का मुनाफा प्रति वर्ष होगा. यह लाभ 25 साल तक किसानों को मिलता रहेगा. इसकी खेती में बहुत ज्यादा खर्च नहीं लगता. वे कहते हैं, सीमेंट के पोल और लोहे के ग्रिल का खर्च जोड़ दें तो एक ड्रैगन पेड़ को तैयार करने में 15 सौ रुपये खर्च आता है.

परंपरागत खेती छोड़ कर ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले किसान आशाराम दूसरे किसानों को भी इस खेती से मुनाफा कमाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. उनका कहना है कि किसानों को पांच गुना अधिक मुनाफा इस खेती से मिल सकता है. मिर्जापुर में ड्रैगन फ्रूट की खेती को बढ़ावा देने के लिए उद्यान विभाग की तरफ से किसानों को अनुदान दिया जा रहा है. 30 हजार तक का अनुदान खेती पर सरकार की तरफ से दिया जा रहा है.

खेती में सरकारी सहायता

उद्यान अधिकारी मेवा राम का कहना है कि पूरे जनपद में प्रदेश में सबसे अधिक 85 एकड़ भूमि में ड्रैगन फ्रूट की खेती की जा रही है. 15 किसान बड़े स्तर पर ड्रैगन फ्रूट की पैदावार ले रहे हैं. इसके अलावा यहां सौ से अधिक किसान भी इसकी खेती करते हैं. मिर्ज़ापुर में सिटी ब्लॉक के अलावा राजगढ़ और मड़िहान इलाक़े में भी इसकी खेती होती है.

किसान आशाराम दुबे ने बताया कि उन्होंने एक बीघा खेत में ड्रैगन फ्रूट (Dragon fruit farming) लगाए हैं. इसमें पहले साल उन्हें बंपर मुनाफा हुआ. वे कहते हैं कि ड्रैगन फ्रूट की खेती किसानों की आय पांच गुना कर सकती है. वही उद्यान अधिकारी मेवाराम कहते हैं कि सभी रोगों में यह फल बहुत ही लाभदायक है. इसमे प्रति एकड़ 5 लाख की लागत है मगर तीन साल बाद जब फल निकलने लगेगा तब 25 वर्षों तक 5 से 6 लाख प्रति वर्ष मुनाफा किसानों को मिलेगा. इसके अलावा इसके पेड़ से भी मुनाफा होता है. सरकार इसमें अनुदान भी देती है.

शाहजहांपुर में भी खेती

मिर्जापुर से अलग शाहजहांपुर के अतुल मिश्रा की बात करें तो उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की है और उनकी कमाई लगातार बढ़ रही है. अतुल मिश्रा 2018 में महाराष्ट्र के सोलापुर से ड्रैगन फ्रूट के कुछ पौधे लाए और शाहजहांपुर में इसकी खेती शुरू की. खेती भी बंजर जमीन पर शुरू की जिसे उनके परिजनों ने परती छोड़ दिया था. धीरे-धीरे उन्हें इस खेती में कामयाबी मिली जिससे उन्होंने इसका रकबा बढ़ाकर 5 एकड़ कर दिया. मुनाफा ऐसा हुआ कि अतुल मिश्रा ने 5 एकड़ के अलावा उसमें 7 एकड़ और जमीन जोड़ दी और खेती बढ़ा दी. आज की तारीख में अतुल मिश्रा ने इस खेती (Dragon fruit farming) में कुछ लोगों को रोजगार भी दिया है जिससे उनका गुजर-बसर चल रहा है.(इनपुट/सुरेश कुमार सिंह)

POST A COMMENT