काबू में नहीं आ रहे गेहूं के भाव, अब खुले मार्केट में बिक्री कर सकती है सरकार

काबू में नहीं आ रहे गेहूं के भाव, अब खुले मार्केट में बिक्री कर सकती है सरकार

खुले बाजार में या राशन दुकानों में गेहूं की बिक्री होगी या नहीं, ये दोनों मुद्दे प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के विस्तार पर निर्भर करेंगे. अभी यह योजना चल रही है जिसमें गरीबों को सरकार की तरफ से मुफ्त अनाज दिया जाता है. अगली तिमाही के लिए इसे लागू करना होगा तो सरकार उसकी घोषणा पहले करेगी.

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काबू में नहीं आ रहे गेहूं के भाव, अब खुले मार्केट में बिक्री कर सकती है सरकारगेहूं के दाम में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है

खुले बाजार में आटा और गेहूं के दाम में लगातार तेजी देखी जा रही है. सरकार इस तेजी पर लगाम लगाने के लिए निर्यात पर प्रतिबंध लगा चुकी है. इसके बावजूद कीमतें चढ़ी जा रही हैं. अगर यही हालात रहे तो सरकार एक नए कदम पर विचार कर सकती है. इसमें सरकार खुले मार्केट में गेहूं बेच सकती है. अगले महीने खुले बाजार में गेहूं की सरकारी बिक्री पर विचार होने की संभावना है. ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के तहत गेहूं की बिक्री की जा सकती है.

सरकार जनवरी-मार्च की अवधि में या तो खुले बाजार में गेहूं की बिक्री करे या राशन वितरण प्रणाली के तहत इसे बेचा जाए, इस पर विचार होने वाला है. अगर ऐसा होता है तो गेहूं के दाम में कुछ नरमी आने की संभावना है. 

खुले बाजार में या राशन दुकानों में गेहूं की बिक्री की जाएगी या नहीं, ये दोनों मुद्दे प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के विस्तार पर निर्भर करेंगे. अभी यह योजना चल रही है जिसमें गरीबों को सरकार की तरफ से मुफ्त अनाज दिया जाता है. अगली तिमाही के लिए इसे लागू करना होगा तो सरकार उसकी घोषणा पहले करेगी. कोरोना महामारी के दौरान सरकार ने इस स्कीम को शुरू किया था जिसमें गरीबी रेखा से नीचे वाले लोगों को फ्री राशन दिया जाता है.

क्यों नहीं घट रहे दाम

सूत्रों ने 'बिजनेसलाइन' को बताया, मौजूदा ओएमएसएस पॉलिसी की मियाद 31 दिसंबर तक है. इसलिए खुले बाजार में अगर गेहूं की बिक्री करनी है, तो खाद्य मंत्रालय इस पर फरवरी 2023 में ही विचार कर सकेगा. देखा जा रहा है कि इस रबी सीजन में गेहूं की बंपर बुवाई के बावजूद उसके दाम में कमी नहीं आ रही है. रबी में गेहूं की अधिक बुवाई होने से उम्मीद थी कि व्यापारी अपना स्टॉक बाजारों में निकाल देंगे. लेकिन अभी ऐसा नहीं दिख रहा.

हाल में जारी खुदरा महंगाई के आंकड़े से साफ है कि चावल और गेहूं के दाम सामान्य से अधिक बने हुए हैं. नवंबर में अनाजों की खुदरा महंगाई 12.96 परसेंट दर्ज की गई जो मसाले के बाद दूसरी सबसे बड़ी महंगाई है. खाद्य महंगाई में एक नंबर पर मसाले हैं, उसके बाद अनाजों का स्थान आ पहुंचा है. 

गेहूं का फिक्स्ड रेट

इस साल फरवरी में सरकार ने ओमएसएस गेहूं की नीति जारी की थी. इस नीति के अंतर्गत फिक्स्ड रिजर्व प्राइस 30 सितंबर तक 2200 रुपये निर्धारित किए गए. इसी तरह अक्टूबर से दिसंबर के लिए 2225 रुपये गेहूं का फिक्स्ड रेट तय किया गया. लेकिन इस वित्त वर्ष के रबी मार्केट सीजन में गेहूं की सरकारी खरीद घटी है. 15 साल में सबसे कम 187.9 लाख टन गेहूं की खरीद हो सकी जिसके बाद सरकार ने ओपन मार्केट सेल स्कीम को बंद कर दिया.

सरकार आगे किस रेट पर खुले बाजार में गेहूं बेचेगा, इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता. सरकार का गेहूं आटा मिलर खरीदते हैं और बाद में आटा बेचते हैं. अभी यह पता नहीं चल रहा है कि ओमएसएस में कम दाम पर सरकार गेहूं बेचेगी या सब्सिडी रेट पर बेचेगी. उधर मिल वालों को पर्याप्त गेहूं नहीं मिल रहा जिसके चलते वे 2588 रुपये प्रति कुंटल तक गेहूं के दाम देने के लिए तैयार हैं.

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