उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन मे उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बन रहा है. उत्तर प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण के साथ कृषि आधारित प्रसंस्करण को बढ़ावा दिया जा रहा है. प्रदेश में गाजर, मटर, लहसुन, गोभी एवं मशरूम जैसे उत्पादों का उद्यमियों द्वारा क्रय कर प्रसंस्करण कार्य किया जा रहा है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि और स्थानीय रोजगार पैदा हो रहे है.
आस्ट्रेलिया और विएना में रहे प्रदेश को दो उद्यमियों ने फल एवं गन्ना उत्पाद प्रसंस्करण के लिए निवेश किया है. बता दें कि उत्तर प्रदेश में 2 साल के अंदर लगभग 400 खाद्य प्रसंस्करण इकाईयां स्थापित किया गया, जिनमें से तकरीबन 60 इकाईयों द्वारा उत्पादन प्रारम्भ कर दिया गया है. साथ ही साथ एफपीओ, एफपीसी एवं किसानों द्वारा उत्पादन किए जा रहे गाजर, मटर, लहसुन, गोभी तथा मशरूम का क्रय कर उद्यमियों द्वारा इकाई में प्रसंस्करण का कार्य किया जा रहा हैं.
स्थापित इन इकाईयों द्वारा बड़ी संख्या मे लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा चुका है. दूसरे राज्यों यथा-गुजरात, हरियाणा, बिहार, उत्तराखंड के उद्यमियों द्वारा जनपद-रामपुर एवं बरेली आदि जिलों में भूमि लीज पर लेकर खाद्य प्रसंस्करण आधारित इकाईयां स्थापित किये जा रहे हैं. प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण यूनिट स्थापित करने हेतु बैंकों के द्वारा योजनान्तर्गत टर्म लोन स्वीकृत करने हेतु प्रथमिकता दी गई है, जिससे की जनपद तथा प्रदेश में विकास एवं वृद्धि हो.
वहीं प्रसंस्करण को बढावा देने के लिए विभाग की ओर से दो वर्षीय परास्नातक कोर्स वर्ष संचालित है. यह लखनऊ निदेशालय एवं बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में चल रहे हैं, इसमें 40 सीटें हैं.
राजकीय खाद्य प्रसंस्करण एवं प्रोद्योगिकी संस्थान लखनऊ में पीएचडी पाठ्यक्रम चलाने की तैयारी है. हाल में ही राष्ट्रीय शुगर इंस्टीट्यूट द्वारा उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण के मध्य एमओयू हस्ताक्षरित किया गया है. 78 संस्थान/प्रशिक्षण केंद्रों में एक वर्षीय डिप्लोमा एवं दो वर्षीय पोस्ट ग्रेजुएट (पीजी) का कोर्स भी चल रहा है.
प्रदेश में लघु उद्यमों के विकास हेतु बेकरी, बिस्कुट एवं अन्य पेय पदार्थों के उत्पादन और प्रोडक्शन के लिए कुल 75 जनपदों में से प्रथम चरण में 22 जनपदों मे एक वर्षीय डिप्लोमा कार्यक्रम की व्यवस्था की जा रही है, ताकि इस क्षेत्र में तकनीकी कार्मिकों की बढ़ती मांग को पूरा कराया जा सके. इन केन्द्रों पर बेकरी, कार्बोनेटेड ड्रिक्स, होलिस्टिक पेय पदार्थों हेतु प्लांट एवं मशीनरी की व्यवस्था उप्र खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2023 के अंतर्गत प्राविधानित धनराशि के अंतर्गत किया जाना प्रस्तावित है.
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