यूपी के इस जिले में पराली जलाने पर लगेगा जुर्माना! साथ ही नहीं मिलेगा किसान सम्मान निधि योजना का लाभ

यूपी के इस जिले में पराली जलाने पर लगेगा जुर्माना! साथ ही नहीं मिलेगा किसान सम्मान निधि योजना का लाभ

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पराली जलाने की घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाने में कामयाब रही है. सरकार की मॉनीटरिंग और अनुशासन के चलते 2017 की तुलना में 2022 में इसमें 65.65 प्रतिशत तक की कमी आई है.

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यूपी के इस जिले में पराली जलाने पर लगेगा जुर्माना! साथ ही नहीं मिलेगा किसान सम्मान निधि योजना का लाभउपनिदेशक सिंह ने बताया कि एनजीटी के नियमों के अनुसार खेतों में पराली जलाना गैरकानूनी है.

Stubble Burning In UP: कृषि विभाग ने पराली जलाने से किसानों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए है. यूपी के गाजीपुर जिले में कृषि विभाग ने तय किया है कि खेतों में पराली जलाने वाले किसानों को किसान सम्मन निधि का लाभ नहीं दिया जाएगा. उपनिदेशक कृषि अतिंद्र सिंह ने किसान तक से खास बातचीत में बताया कि एनजीटी के नियमों के अनुसार खेतों में पराली जलाना गैरकानूनी है, वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए हैं. शासन की ओर से खेतों में अवशेष पराली जलाने वाले किसानों को जुर्माना से दंडित किए जाने का प्रावधान है.

उपनिदेशक कृषि ने बताया कि 2 एकड़ या उससे कम के क्षेत्रफल वाले किसानों को खेतों में पराली जलाने के लिए 2500 रुपए तक की पेनल्टी ली जाएगी. वहीं 2 से 5 एकड़ भूमि वाले किसानों को पराली जलाते पकड़े जाने पर 5 हजार के जुर्माने का प्रावधान है. 5 से अधिक एकड़ क्षेत्रफल वाले किसानों पर 15 हजार जुर्माना लगाया जा सकता है. उपनिदेशक कृषि अतिंद्र सिंह ने बताया कि अगर किसान अपने खेतों में पराली जलाते हुए बार-बार पाए जाते हैं तो, किसान सम्मान निधि से वंचित होना पड़ेगा. कृषि विभाग ऐसे किसानों को चिन्हित कर उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई भी कर सकता है. क्योंकि बार-बार मना करने के बाद भी किसान अपने खेतों में पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे है. इसलिए ये सख्त कदम उठाये गए है, जिससे प्रदूषण नहीं फैले.

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उपनिदेशक कृषि ने आगे कहा कि धान की पराली के व्यावसायिक उपयोग पर भी ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए. उन्होंने इस बारे में किसानों को जागरूक करने पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि धान की पराली जलाने की घटनाओं में लगातार कमी देखने को मिल है. पराली जलाने से सिर्फ वायु प्रदूषण ही नहीं फैसला है, बल्कि मिट्टी के स्वास्थ्य और उसकी उर्वरता पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ता है. 

सिंह ने बताया कि विभाग की तरफ से जनपद में 25 हजार डीकम्पोजर किसानों के बीच वितरित किए जाने के लिए उपलब्ध है. किसान अपनी सुविधा अनुसार विभाग से संपर्क कर बिना किसी भुगतान के डीकम्पोजर ले सकते हैं.इसके साथ ही साथ पराली को मिट्टी में पलट देने वाले यंत्रों पर भी विभाग की ओर से भारी सब्सिडी दी जा रही है. किसानों को ऐसे यंत्र खरीदने पर 50 फीसदी तक की सब्सिडी उपलब्ध है. वहीं एफपीओ के माध्यम से अगर इस तरह के उपकरण की खरीददारी की जाती है तो 80 फीसदी तक की रियायत मिलना संभव है.

पराली से बनाएं ऑर्गेनिक खाद

अगर आपके सामने भी पराली के निपटान की समस्या है तो आप इससे ऑर्गेनिक खाद तैयार कर सकते हैं. पराली से खाद बनाने के लिए आपको सबसे पहले इसे एक गड्ढे में गलाना पड़ता है. आप इसे खाद बनाने की यूनिट में केंचुए डालकर ढक सकते हैं. कुछ दिनों में इससे खाद तैयार हो जाएगी. इस खाद को आप अपने खेत में इस्तेमाल कर सकते हैं या जरूरत नहीं होने पर किसी और को बेचकर पैसे भी कमा सकते हैं.

यूपी में 65% कम हुई पराली जलाने की घटनाएं!

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पराली जलाने की घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाने में कामयाब रही है. सरकार की मॉनीटरिंग और अनुशासन के चलते 2017 की तुलना में 2022 में इसमें 65.65 प्रतिशत तक की कमी आई है. बीते दिनों मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र के समक्ष हुए प्रस्तुतिकरण में इसकी जानकारी दी गई है. इसमें प्रमोशन ऑफ एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन फॉर इन-सीटू मैनेजमेंट ऑफ क्रॉप रेड्यूज (CRM) योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2022 में फसल अवशेष जलाए जाने की घटनाओं का विवरण प्रस्तुत किया गया. इसके अनुसार गत वर्ष (2022) में फसल अवशेष जलने की कुल 3017 घटनाएं हुईं, जो 2017 के 8784 की तुलना में 65 प्रतिशत रही. 

यूपी में लगातार मॉनीटरिंग का असर

फसल अवशेष (पराली) जलाए जाने से रोकने के लिए मुख्य सचिव ने निर्देशित किया है. कृषि विभाग को निर्देश दिया है कि आईईसी कार्यक्रमों के माध्यम से प्रचार प्रसार एवं जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएं. प्रिंट मीडिया के माध्यम से प्रचार-प्रसार किया जाए. जनपद स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम, राज्य स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम, न्याय पंचायत स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम का संचालन हो. ग्राम स्तरीय किसान पाठशालाओं के माध्यम से पराली प्रबंधन हेतु जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन हो. बता दें कि धान की कटाई के बाद बचे हुए अवशेषों को आग लगाने की प्रक्रिया को पराली जलाना कहा जाता है. यह अक्टूबर और नवंबर में मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में एक आम बात है.

 

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