योगी सरकार ने हाल ही में बुंदेलखंड में झांसी जिले को मूंगफली का क्लस्टर बनाने की घोषणा की है. जिससे इस इलाके में की जा रही मूंगफली की उन्नत किस्मों की खुशबू देश दुनिया में फैलाई जा सके. सरकार की इस पहल का आगाज 2019 में किसानों को मूंगफली की ज्यादा उपज देने वाले उन्नत बीज उपलब्ध कराने से हुई थी. किसानों ने इसके प्रति बेहतर रुझान दिखाते हुए पिछले कुछ सालों में न केवल मूंगफली का Crop Area बढ़ा दिया है, बल्कि साल में दो बार मूंगफली की उपज लेकर इसके उत्पादन में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी कर दी है. किसानों के इस रवैये से उत्साहित होकर अब योगी सरकार ने भी झांसी जिले को Peanut Cluster बनाकर किसानों की उपज को International Market तक ले जाने की कवायद तेज कर दी है.
मूंगफली को गरीबों का काजू कहा जाता है. इसकी पैदावार के लिए बुंदेलखंड की लाल मिट्टी बहुत अनुकूल होती है. रुक रुक कर होने वाली बारिश, मूंगफली की उपज में उम्मीद से ज्यादा इजाफा कर देती है.
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बुंदेलखंड में मूंगफली की खेती के लिए लगातार मुफीद हो रहे हालात को देखते हुए सरकार और वैज्ञानिकों ने भी किसानों का हरसंभव सहयोग करने की पहल की है. इसके तहत झांसी स्थित रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने यहां के किसानों को मूंगफली की उन्नत किस्में मुहैया कराने का सिलसिला शुरू किया.
विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ जितेन्द्र कुमार तिवारी ने बताया कि यहां के किसानों को 115 से 120 दिन में तैयार होने वाली 4 उन्नत किस्मों के बीज दिए गए हैं. इनमें गिरनार-3, गिरनार-4, टीजीए-73ए और टीजीए-37 शामिल हैं. उन्होंने बताया कि इन किस्मों से किसानों काे मूंगफली की 30 से 35 कुंतल प्रति हेक्टेयर पैदावार मिलती है. वहीं, सामान्य किस्मों की पैदावार 20 से 25 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक ही हो पाती थी.
स्पष्ट है कि इन किस्मों का इस्तेमाल करने से किसानों को एक लाख रुपये प्रति हेक्टेयर तक Net Profit होने लगा है. यही वजह है कि इस इलाके के किसानों को मूंगफली की इन किस्मों ने खूब लुभाया है. इससे झांसी जिले में मूंगफली की खेती का रकबा भी इस साल 27 हजार 710 हेक्टेयर हो गया है.
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झांसी और आसपास के किसान अब तक खरीफ सीजन में खेतों को खाली छोड़ने के बजाए मूंगफली की खेती कर लेते थे. मूंगफली की उपज किसानों की Extra Income का साधन मात्र थी. अगर बारिश ज्यादा हो गई तो फसल बर्बाद होना तय है. ऐसे में किसान जुआ मानकर इसकी बुआई करते थे.
पिछले कुछ सालों में Changing Monsoon Pattern मूंगफली की खेती के लिए मुफीद साबित होने लगा है. इससे किसानों ने मूंगफली का रकबा बढ़ा दिया है. किसानों के रुझान को देखते हुए सरकार की तरफ से उन्नत बीज सहित अन्य सहूलियत मिलने के कारण अब किसान Off Season यानी गर्मी में भी मूंगफली की बुआई करने लगे.
जिन किसानों के पास सिंचाई के साधन हैं, वे रबी सीजन में गेहूं की कटाई के बाद मार्च-अप्रैल में खेत को खाली छोड़ने के बजाय मूंगफली की बुआई कर देते हैं. जून-जुलाई में बारिश शुरू होने से पहले मूंगफली काटकर खरीफ सीजन की बुआई की तैयारी होने लगती है. इससे किसानों को मूंगफली की दो बार उपज मिलने से खासा मुनाफा हो जाता है.
झांसी मंडी में मूंगफली के खरीददार अंकित अग्रवाल ने बताया कि पिछले कुछ सालों से मूंगफली की आवक में 40 फीसदी तक का इजाफा हुआ है. उन्होंने बताया कि किसानों को मूंगफली की कीमत भी अच्छी मिलने के कारण इसका रकबा लगातार बढ़ रहा है.
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उन्होंने बताया कि झांसी मंडी से खरीदी गई मूंगफली को गुजरात भेजा जाता है. गुजरात के बड़े कारोबारी झांसी में उगाई गई मूंगफली का प्रसंस्करण कर इसे चीन, इंडोनेशिया और वियतनाम के लिए निर्यात कर देते हैं. इस प्रकार झांसी के किसानों की मूंगफली अब देश की सरहद के पार भी अपने स्वाद की रंगत बिखेर रही है.
इसके मद्देनजर योगी सरकार ने अब झांसी को मूंगफली की खेती का हब बनाने के लिए इसकी Processing Units भी खोलने की पहल की है. इस काम में भी स्थानीय किसानों को अग्रणी भूमिका मिलेगी. यूपी की खाद्य प्रसंस्करण नीति के तहत सरकार किसानों को Processing Unit लगाने में मदद कर रही है. इसका लाभ उठाकर यहां के किसान सरकारी अनुदान पर Oil Mill लगाने से लेकर मूंगफली के अन्य खाद्य पदार्थ बनाने के काम में रुचि दिखा रहे हैं.
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