यूपी की राजधानी लखनऊ से नजदीक बाराबंकी जिला है, जो यकुति आम के लिए देश-विदेश में मशहूर है. यहां आम के बड़े-बड़े बाग हैं. जो लगभग 12 हजार हेक्टेयर जमीन पर फैले हुए हैं. यहां एक कहावत भी बड़ी मशहूर है कि 'आम यहां के जो खाए वो ललचाए, जो न खाए वो पछताए.' जी हां, यहां का ये रंग बिरंगा यकुति आम आज कल बाजार में धूम मचाए हुए है. दिखने में खूबसूरत रंगीन, खाने में स्वादिष्ट और दाम में सबसे महंगा है. ये आम सिर्फ बाराबंकी जिले की पैदावार है. जो मसौली के बड़े गांव के हजारों बीघा बाग में फलते हैं. आमों की अच्छी फसल से बागवानी करने वाले किसान एक सीजन में 15 से 20 लाख रुपये तक आसानी से कमा लेते हैं.
यकुति आम की भीनी भीनी खुशबू से पूरा इलाका महक जाता है और ये रसीले आम सब के मन को आसानी से भा जाता है. यहां के अन्य आमों की प्रजाति, जैसे- लंगड़ा, चौसा, दशहरी और आम्रपाली आम भी बहुत प्रसिद्ध हैं, लेकिन यकुति आम की रंगत और स्वाद अपनी अलग ही पहचान रखता है. जो बागवानों और बाजार में विक्रेताओं को अच्छे दाम ग्राहकों से दिला देता है. ये आम राजधानी लखनऊ से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक अपने स्वाद की धूम मचाये हुए है.
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बाराबंकी के यकुति आम के स्वाद का कोई जवाब नहीं है. इस बार इसकी अच्छी पैदावार भी हुई है. यहां के आम राजधानी के आमों को टक्कर दे रहे हैं. वैसे तो आमों की किस्में बहुत ज़्यादा हैं, लेकिन जो मजा यकुति आम में है वो किसी और आम में नहीं है.
जब अधिकांश फलों की बिक्री कम होने से उनके भाव भी गिर जाते है तब भी फलों के राजा आम का भाव नहीं गिरता है. हर दिन यहां से मंडी में आम से भरी गाड़ियां भेजी जा रही हैं. यह सब देखकर अब अधिकांश व्यापारी भी आम पर दांव लगा रहे हैं. आपको बता दे कि आम के बाग लगाने में पांच साल का समय लगता है. यकुति आम का पेड़ भी पांच साल बाद फल देने लगता है और कई सालों तक लगातार अच्छे फल देता है. एक पेड़ को लगाने की लागत लगभग 5 हजार के आसपास आती है और फिर सालों-साल लाखों का लाभ आसानी से बागवानों को नकद फसल के रूप में मिल जाता है. जिससे अच्छा मुनाफा होता है, जिले में 12 हजार हेक्टेयर जमीन में आम के बाग लगे हैं और इस काम में लगभग 2 हजार बागवान लगे हैं.
बाराबंकी में आम के बड़े-बड़े बागवान हैं, जो लाखों रुपये एक सीजन में कमाते हैं, और यही नहीं इनकी बागों को खरीदने वाले किसान भी एक सीजन में 15-20 लाख रुपये तक आसानी से कमा लेते हैं. ये आम 100-200 रुपये किलो में बाजार में आसानी से बिक जाता है.
इसके अलावा यहां के बागों में दशहरी, लंगड़ा, चौसा, सफेदा, सुरखा, हुस्नहारा, कपूरी, गुलाब खास और आम्रपाली जैसी कई और भी किस्में उगाई जाती हैं. हालांकि, यकुति आम बाराबंकी की खास किस्म है. इस आम की दूर-दूर तक चर्चा है. व्यापारी और ग्राहक यहां के आमों को ज़्यादा तरजीह देते हैं.
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यहां का आम्रपाली, लंगड़ा और दशहरी आम भी बहुत ही स्वादिष्ट होता है. खास बात यह है कि यहां पैदा होने वाला आम ज्यादा टिकाऊ होता है. वहीं बनारसी लंगड़ा आम बाराबंकी में जब से पैदा होना शुरू हुआ तो यह प्रजाति बाकी आमों से अव्वल हो गई है. यह आम भी जून और जुलाई में डाल से गिरने लगता है. जिले में इस बार आम की अच्छी पैदावार हुई है. आम का उत्पादन तकरीबन लाखों मीट्रिक टन में हुआ है. जिले से ही लखनऊ, गोंडा, बहराइच, फैजाबाद, गोरखपुर जैसे मंडियों में आम बेचा जाता है. रोज़ 15-20 ट्रक यहां से रोज़ रवाना होते हैं.
बाराबंकी में आम की बागवानी और देख रेख करने वाले किसान शकेब और अकबर कहते हैं, “हम 20 साल से आम के बाग का काम कर रहे हैं. ये 40 बीघे की बाग को हमने 12 लाख रुपये मे खरीदा है. फसल भी अच्छी हुई. सब ठीक रहा तो 10-15 लाख रुपये का मुनाफा आसानी से एक सीजन में हो जाएगा. हम लोग लागत निकाल कर दोगुना कमा लेते हैं.”
वहीं बाराबंकी के जिला उद्यान अधिकारी महेश श्रीवास्तव ने बताया कि यहां लगभग 12 हजार हेक्टेयर ज़मीन में आम के बाग लगे हैं. जिसमें बड़े काश्तकारों में किदवाई परिवार का बहुत योगदान है. इनके बाग बहुत हैं. आम के बाग में 5 साल की मेहनत में 50 साल तक लाभ कमाते हैं. यकुति अच्छा आम है और बाजार में इसकी अच्छी कीमत भी मिलती है. इस बार 2 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा आम होने की संभावना है. यहां यकुति के अलावा दशहरी, लंगड़ा, चौसा, आम्रपाली सफेदा की अच्छी पैदावार है और बहुत ही स्वादिष्ट आम होता है. यहां का आम्रपाली आम जुलाई अगस्त तक रहता है.
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