टमाटर के भाव आसमान छू रहे हैं. कई दिन हो गए और टमाटर के दाम 200 रुपये से नीचे नहीं जा रहे. ये वही टमाटर है जो कभी बाजारों में 10 रुपये किलो बिकता था. ये वही टमाटर है जिससे किसान तंग आ गए थे और नालियों में, सड़कों पर उसे फेंक रहे थे. किसान इसलिए तंग आ गए थे क्योंकि टमाटर की खेती से उनकी लागत भी नहीं निकल पा रही थी. अब वे ही किसान सदमे में हैं आखिर उन्होंने फसल पर ट्रैक्टर क्यों चला दिया. आखिर उन्होंने अपनी उपज को औने-पौने दाम पर क्यों बेच दिया. तो चलिए इन सभी बातों के बीच हम आपको बताते हैं कि टमाटर के भाव आसमान पर क्यों पहुंचे और इसके नीचे आने की संभावना कब है.
बारिश ने टमाटर की फसल को बड़े पैमाने पर चौपट किया है. जहां-जहां टमाटर की पैदावार अधिक होती है, वहां-वहां बारिश ने उपज को प्रभावित किया है. जो टमाटर खेत से निकल कर बाजारों में पहुंचना चाहिए, वह टमाटर खेत में ही सड़ रहा है. दूसरी ओर, टमाटर की मांग में कोई कमी नहीं है. टमाटर अब साल भर खाई जाने वाली सब्जी है. इसलिए मांग हमेशा की तरह ऊंची बनी हुई है जबकि सप्लाई बेहद कम. ऐसे में भाव तेजी से बढ़े हैं.
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महाराष्ट्र और कर्नाटक में टमाटर की बहुत अधिक पैदावार होती है. लेकिन इन दोनों राज्यों में टमाटर पर वायरस का अटैक देखा गया है. टमाटर पर दो वायरस का अटैक हुआ है जिनके नाम हैं कुकुंबर मोजैक वायरस और टोमौटो मोजैक वायरस. पिछले तीन साल में इन दोनों वायरस का प्रकोप टमाटर पर अधिक देखा जा रहा है. इन दोनों वायरसों ने टमाटर की फसल को बड़े पैमाने पर चौपट किया है जिससे पैदावार में भारी कमी आई है. बाजारों में इस वजह से भी टमाटर की आवक कम हुई है.
जिन प्रदेशों में टमाटर की खेती होती है, वहां मॉनसूनी बारिश ने बाढ़ और जलभराव की समस्या खड़ी की है. या देश के अलग-अलग हिस्सों में भी बारिश से बाढ़ की समस्या हुई है. इस वजह से टमाटर की ढुलाई बहुत कम हो गई है. उदाहरण के लिए हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड को ले लीजिए. इन दोनों प्रदेशों में बाढ़ के हालात हैं. इससे टमाटर खेतों से निकल कर बाजारों तक नहीं पहुंच पा रहा है. इससे मंडियों में आवक कम हुई है जिससे दाम में बढ़ोतरी देखी जा रही है.
इस बार टमाटर की खेती पहले से कम हुई है. वजह ये है कि पिछले साल टमाटर के भाव अच्छे नहीं मिले जिससे किसानों में इसकी खेती को लेकर दिलचस्पी नहीं दिखी. किसानों को लगा कि पिछले साल की तरह इस बार भी उन्हें खेती में घाटा होगा या बहुत कम मुनाफा होगा. शुरू में टमाटर की खेती हुई भी तो किसानों को उसका अच्छा पैसा नहीं मिला. इसे देखते हुए किसानों ने इस बार टमाटर की खेती कम की. इसका बुरा असर बढ़े हुए रेट के रूप में दिख रहा है.
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अब सवाल है कि क्या टमाटर यूं ही लाल होता रहेगा? क्या टमाटर यूं ही किचन का बजट बिगाड़ता रहेगा या आगे कुछ सुधार की गुंजाइश भी है? एक्सपर्ट की मानें तो इस पूरे महीने टमाटर के भाव में गिरावट की कोई संभावना नजर नहीं आती. कुछ एक्सपर्ट तो ये भी कह रहे हैं कि सितंबर तक यही स्थिति रहेगी. दिल्ली की बात करें तो जब तक हिमाचल और उत्तराखंड में मौसम नहीं सुधरेगा, तब तक दिल्ली में टमाटर के भाव नहीं गिरेंगे. इसके अलावा जब टमाटर की नई फसल निकलेगी, तब जाकर दाम में गिरावट की संभावना है.
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