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गर्मियों में आम में कितने दिनों पर करें सिंचाई? किन बातों का रखें ध्यान?

गर्मियों में आम में कितने दिनों पर करें सिंचाई? किन बातों का रखें ध्यान?

आम एक बहुपयोगी फल है. कच्चे आम से अलग-अलग प्रकार के अचार, जैम और चटनी बनाई जाती है. पके आम को खाने के अलावा इसका उपयोग आम का जूस और अमावट बनाने में भी किया जाता है. जैम अधपके आम से बनाया जाता है.

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आम के पेड़ों की सिंचाई कब करें? आम के पेड़ों की सिंचाई कब करें?

आम भारत का राष्ट्रीय फल है. स्वाद और गुणों के आधार पर आम को "फलों का राजा" कहा जाता है. आम का जन्मस्थान पूर्वी भारत, बर्मा और मलाया क्षेत्र है और यहीं से यह फल पूरे भारत, श्रीलंका, उत्तरी ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस, दक्षिणी चीन, मध्य अफ्रीका, सूडान और दुनिया के अन्य गर्म और आर्द्र जलवायु वाले स्थानों में फैल गया. हमारे देश में आम के बाग लगभग 18 लाख एकड़ भूमि पर हैं, जिनमें से आधे उत्तर प्रदेश में हैं. बाकी आधा हिस्सा बिहार, बंगाल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, मद्रास और अन्य राज्यों में स्थित है.

कई गुणों से भरपूर है आम 

आम एक बहुपयोगी फल है. कच्चे आम से अलग-अलग प्रकार के अचार, जैम और चटनी बनाई जाती है. पके आम को खाने के अलावा इसका उपयोग आम का जूस और अमावट बनाने में भी किया जाता है. जैम अधपके आम से बनाया जाता है. आम से विटामिन "ए" और "सी" अच्छी मात्रा में प्राप्त होते हैं. ऐसे में आम की खेती से बेहतर उपज पाने के लिए जरूरी है की कब और कैसे सिंचाई करें. ऐसे में आइए जानते हैं गर्मियों में आम में कितने दिनों पर सिंचाई करना अच्छा होता है.

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भारत में पाई जाने वाली आम की किस्में

भारत में आम की लगभग 1000 किस्में पाई जाती हैं, लेकिन केवल 30 किस्में ही व्यावसायिक स्तर पर उगाई जाती हैं. विभिन्न राज्यों में आम की विभिन्न किस्में हैं जो जलवायु और मिट्टी के आधार पर अधिक लोकप्रिय हैं. उत्तर भारत में दशहरी, लंगड़ा, समरबहिस्ट, चौसा, बम्बई, हरा लखनऊ, सफेद और फजली, पूर्वी भारत में बम्बई, मालदा, हिमसागर, जर्दालू, किसनभोग, गोपाल खास, पश्चिम भारत में अलफोंजो, पायरो, लंगड़ा, राजापुरी, केसर, फरनादीन, मानबुराड, मालगोआ और दक्षिण भारत में बोगनपाली, बनिशान, लंगलोधा, रुमानी, मालगोआ, अमनपुर बनेशान, हिमायुदीन, सुवर्णरेखा और रसपुरी किस्में प्रसिद्ध हैं.

गर्मियों में आम में कब और कितनी करें सिंचाई

आम की अच्छी पैदावार के लिए सिंचाई बहुत जरूरी है. गर्मी के दिनों में नए पौधों की एक सप्ताह के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए. उत्तर भारत में फलों के पेड़ों की सिंचाई अक्टूबर से दिसंबर तक नहीं करनी चाहिए. लेकिन यदि उर्वरक सितंबर में देते हैं तो एक सिंचाई अवश्य करनी चाहिए, ताकि पेड़ों को उर्वरक आसानी से उपलब्ध हो सके. फूल आने के समय भी सिंचाई नहीं करनी चाहिए क्योंकि इस समय नमी अधिक होने के कारण चूर्णी फफूंद का प्रकोप बढ़ जाता है. सर्दियों के दौरान छोटे पौधों को लगातार पानी देते रहना चाहिए ताकि उन पर पाले का प्रभाव न पड़े. सिंचाई की आवश्यकता मिट्टी के अनुसार होनी चाहिए. भारी मिट्टी में कम और बलुई मिट्टी में अधिक सिंचाई करनी चाहिए.

जिन क्षेत्रों में पाला और लू चलती है, वहां पौधों को पाले या लू से बचाने का ध्यान रखना चाहिए. पौधा लगाने के बाद जड़ तने से निकलने वाली लटों को समय-समय पर तोड़ते रहना चाहिए. गर्मियों के दौरान बगीचे की सिंचाई 7-10 दिनों के अंतराल पर और सर्दियों के दौरान 15-20 दिनों के अंतराल पर करनी चाहिए.