उत्तराखंड में जड़ों से भोजन लेने वाले 16 दुर्लभ प्रजाति के पौधे मिले हैं. बताया जा रहा है कि ये पौधे चोपता-तुंगनाथ क्षेत्र में मिले हैं. जीबी पंता राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के वैज्ञानिक जिस समय जैव विविधता यानी बायो-डायवर्सिटी पर रिसर्च कर रहे थे, उसी समय उन्हें ये प्रजातियां मिली हैं. इन प्रजातियों को बड़ी उपलब्धि करार दिया जा रहा है. इस दिशा में और ज्यादा रिसर्च होगी.
वैज्ञानिकों की मानें तो जलवायु परिवर्तन के अलावा कुछ और वजहों से ये प्रजातियां खतरे में आ गई हैं. वैज्ञानिक अब इस बात पर विचार कर रहे हैं और रणनीति बना रहे हैं कि संकटग्रस्त इन प्रजातियों को बाहर कैसे निकाला जाए. वो इस पर रिसर्च करेंगे. केदारनाथ वन्य जीव विहार में 2000 से 3000 मीटर की ऊंचाई पर चोपता-तुंगनाथ क्षेत्र में वैज्ञानिक पिछले तीन सालों से रिसर्च कर रहे हैं.
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इस रिसर्च में वैज्ञानिकों ने संवहनी पौधों, यानी ऐसे पौधे जो अपनी जड़ों से भोजन लेते हैं, उन पर ध्यान केंद्रित किया है. वैज्ञानिकों को कुल 295 प्रजातियां मिली हैं. इनमें से 212 जड़ी-बूटियां, 44 झाड़ियां और 39 पेड़ों की प्रजातिया हैं. जो 16 प्रजातियां मिली हैं, उनकी संख्या दुनिया में बहुत कम है. प्रजातियों का विश्लेषण हर 500 मीटर के तीन ऊंचाई वाले क्षेत्रों के संबंध में किया गया, 2000-2500 मीटर यानी निचला क्षेत्र, 2500-3000 मध्य क्षेत्र और 3000-3500 मीटर बहुत ऊंचाई वाला क्षेत्र.
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वैज्ञानिकों को रिसर्च में पता लगा है कि जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती गई है, वैसे-वैसे ही वैसै जैव विविधता में भी कमी आई है. वैज्ञानिकों की मानें तो प्रजातियों की विविधता पर भी ऊंचाई ने खासा असर डाला है. कम ऊंचाई पर जहां विविधता ज्यादा थी तो वहीं ऊंचाई बढ़ने पर विविधता में तेजी से गिरावट आई है. जैव विविधता का संरक्षण अहम पर्यावरणीय चिंताओं में से एक है क्योंकि जैव विविधता दुनियाभर में तेजी से घट रही है.
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