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गुलाब के पौधों को हो सकता है इन रोगों का खतरा, बचाव के लिए अपनाएं ये उपाय

गुलाब के पौधों को हो सकता है इन रोगों का खतरा, बचाव के लिए अपनाएं ये उपाय

गुलाब के पौधों में लाल मकड़ी का घुन शुरू में पत्तियों के निचले हिस्से पर दिखाई देता है लेकिन बाद में पूरे पौधे में फैल जाता है. लाल मकड़ी पत्तियों से रस भी चूसती है जिससे प्रभावित पौधों की पत्तियां हरी से सफेद होने लगती हैं. गर्मी के मौसम में वातावरण में उच्च तापमान और कम आर्द्रता के कारण गुलाब पर लाल मकड़ी का आक्रमण होता है.

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गुलाब के पौधों में रोग की समस्या गुलाब के पौधों में रोग की समस्या

गुलाब अपनी खूबसूरती और मनमोहक खुशबू के लिए बेहद लोकप्रिय फूल है. यही कारण है कि लोग इसे अपने बगीचों में लगाना पसंद करते हैं. यह फूल न सिर्फ बगीचों में लगाया जाता है, बल्कि लोग इसे अपने घरों में भी आसानी से लगा सकते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं, मुलायम पंखुड़ियों और कांटेदार तनों वाले गुलाब के पौधों पर कई रोग और बीमारियों का खतरा मंडराता रहता है. दरअसल, गुलाब के पौधे बीमारियों के प्रति संवेदनशील होते हैं और ये रोग उनके बेहतर विकास में बाधा डालते हैं, इसलिए बीमारियों की सही पहचान और उनसे बचने के उपाय जानना बहुत जरूरी है. अगर आपने घर में गुलाब का पौधा लगाया है और जानना चाहते हैं कि गुलाब में कौन-कौन से रोग होते हैं, तो आइये हैं गुलाब के पौधों में लगने वाले रोग और उससे बचाव के तरीके के बारे में.

गुलाब के पौधों में रोग की समस्या

अगर आपने अपने घर के बगीचे में गमले में गुलाब का पौधा लगाया है और आप उसे स्वस्थ और निरोगी रखना चाहते हैं तो गुलाब के पौधे में होने वाली बीमारियों और उनसे बचाव के उपायों के बारे में जानना बहुत जरूरी है, ताकि आप आपके पौधे को बीमारियों से बचा सकता है. से बचा सकते हैं. गुलाब के पौधों में लगने वाले कुछ सामान्य रोग इस प्रकार हैं:-

गुलाब के पौधों में लाल मकड़ी रोग

गुलाब के पौधों में लाल मकड़ी का घुन शुरू में पत्तियों के निचले हिस्से पर दिखाई देता है लेकिन बाद में पूरे पौधे में फैल जाता है. लाल मकड़ी पत्तियों से रस भी चूसती है जिससे प्रभावित पौधों की पत्तियां हरी से सफेद होने लगती हैं. गर्मी के मौसम में वातावरण में उच्च तापमान और कम आर्द्रता के कारण गुलाब पर लाल मकड़ी का आक्रमण होता है. इसकी रोकथाम के लिए पॉलीहाउस में स्प्रे सिंचाई विधि के माध्यम से वातावरण में नमी बढ़ानी चाहिए. ऐसा करने से लाल मकड़ी का आक्रमण कम हो जाता है. गुलाब के पौधों पर हिलफोल 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से लाल मकड़ी की समस्या धीरे-धीरे खत्म हो जाती है. लाल मकड़ी की रोकथाम के लिए सूखे सल्फर का छिड़काव भी बहुत फायदेमंद पाया गया है.

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थ्रिप्स रोग 

थ्रिप्स एक सूक्ष्म आकार का भूरे रंग का कीट है. इसका प्रकोप गर्मी के मौसम में अधिक होता है. यह फूल के अंदर रहने वाला एक कीट है. इससे फूल की गुणवत्ता कम हो जाती है. इसकी रोकथाम के लिए रोगार 1.0 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए.

रेड स्केल रोग 

गुलाब के पौधों में रेड स्केल का प्रकोप बहुत अधिक होता है. ये कीट तनों पर चिपक जाते हैं और पौधों से रस चूसते हैं. कुछ समय बाद तना सूखने लगता है और धीरे-धीरे गुलाब के पौधे मर जाते हैं. इसकी रोकथाम के लिए रोगर 1-1.5 मिली या मोनोक्रोटोफॉस 1-1.5 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर पौधों पर छिड़काव करना चाहिए.

रोज चेफर

गुलाब के पौधे जुलाई-अगस्त में गुलाब की पत्तियां खाते हैं. इनकी रोकथाम के लिए पौधों पर 0.2 प्रतिशत मैलाथियान के घोल का छिड़काव करें या गैमैक्सिन जैसे किसी कीटनाशक पाउडर का छिड़काव करें. ऐसे कई रोग हैं जो गुलाब के पौधों को प्रभावित करते हैं. इनमें से कुछ प्रमुख बीमारियां इस प्रकार हैं.

पाउड्री मिल्ड्यू रोग

गुलाब के पौधों पर पाउड्री मिल्ड्यू का प्रकोप अक्सर देखा जाता है. इससे प्रभावित पौधों की पत्तियों के ऊपरी भाग पर सफेद पाउडर जमा हो जाता है. तेज हवा चलने पर पाउडर एक पौधे से दूसरे पौधे में स्थानांतरित होता रहता है. बाद में प्रभावित पत्तियां टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती हैं और उन पर भूरे धब्बे दिखाई देने लगते हैं. इसका प्रकोप अधिक आर्द्रता और कम तापमान होने पर देखने को मिलता है. पॉलीहाउस में गुलाब के पौधों पर चूर्णी फफूंदी का प्रकोप कम होता है. इसकी रोकथाम के लिए गुलाब के पौधों पर कैराथेन 0.1 प्रतिशत या क्लेविजेन 0.03 प्रतिशत के घोल का छिड़काव करना चाहिए.

डाउनी मिल्ड्यू रोग

बरसात के मौसम में गुलाब के पौधों पर डाउनी मिल्ड्यू  का प्रकोप सबसे अधिक देखने को मिलता है. प्रभावित पंक्तियां धीरे-धीरे पीली पड़ जाती हैं और पत्तियों के ऊपरी भाग पर गोल आकार के काले धब्बे दिखाई देने लगते हैं. अधिक प्रकोप होने पर पत्तियां गिरने लगती हैं तथा पौधों की वृद्धि पूरी तरह से रुक जाती है. इसकी रोकथाम के लिए पौधों पर रिडोमिल 0.2 प्रतिशत या डाइथेन एम-45 0.2 प्रतिशत के घोल का छिड़काव करना चाहिए.