केंद्र सरकार के भंडार में गेहूं का स्टॉक 1 अप्रैल को पिछले 16 वर्षों में सबसे कम हो गया. हालांकि, केंद्रीय भंडार में अभी भी गेहूं 74.6 लाख टन के बफर मानक से 42,000 टन अधिक है. खास बात यह है कि इसके बावजूद भी निजी व्यापारियों ने गेहूं की प्राइवेट खरीद शुरू कर दी है. जबकि, केंद्र सरकार ने खरीद लक्ष्य को पूरा होने तक निजी व्यापारियों को मंडियों से गेहूं नहीं खरीदने का आदेश दिया था. वहीं, सरकारी एजेंसियों ने भी पिछले कुछ हफ्तों में अपने खरीद अभियान को बढ़ावा दिया है.
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल 1 अप्रैल को सेंट्रल पूल का स्टॉक 75.02 लाख टन था. इससे पहले साल 2008 में सेंट्रल पूल स्टॉक का न्यूनतम स्तर 58.03 लाख टन पर पहुंच गया था. एक आटा मिल मालिक ने कहा कि हमें नहीं पता कि सरकार कितना गेहूं खरीद पाएगी. न ही हम जानते हैं कि यह प्रोसेसरों को कितनी मात्रा की पेशकश करेगी. अगर हम अभी नहीं खरीदेंगे तो हम अपनी जरूरतें कैसे पूरी करेंगे.
हालांकि केंद्र ने 1 अप्रैल से शुरू होने वाले विपणन वर्ष में 372.9 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा है. जबकि, अधिकारियों का कहना है कि वास्तविक खरीद 310 लाख टन से 320 लाख टन के बीच हो सकती है. कृषि मंत्रालय ने 2023-24 फसल वर्ष (जुलाई-जून) के लिए गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड 1120.2 लाख टन होने का अनुमान लगाया है.
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सूत्रों ने कहा कि खरीद 13 अप्रैल तक 27.2 लाख टन तक पहुंच गई है, जो साल भर पहले के 25.5 लाख टन से 7 प्रतिशत अधिक है. पिछले कुछ दिनों में बारिश के कारण मध्य प्रदेश में खरीद में बाधा आई है. इसके चलते कुल खरीद अब 20.06 लाख टन से घटकर 17.73 लाख टन रह गई है. सरकार का लक्ष्य मप्र से 80 लाख टन गेहूं खरीदने का है. इटारसी के एक कमीशन एजेंट ने कहा कि दक्षिण से मिल मालिकों की मांग पिछले साल की तरह सामान्य है और राज्य सरकार द्वारा एमएसपी 2,275 रुपये प्रति क्विंटल के ऊपर 125 रुपये का बोनस देने के बावजूद उन्हें ऑर्डर में कोई बड़ी गिरावट नहीं देखी गई है.
उन्होंने कहा कि छोटे किसान जो तुरंत पैसा चाहते हैं, वे सरकारी खरीद का इंतजार करने के बजाय मंडियों में बेचना पसंद करते हैं, जहां टोकन प्रणाली है और उन्हें केवल आवंटित तिथि पर ही बेचना होता है. राजस्थान में, मध्य प्रदेश की तरह राज्य द्वारा 125 रुपये क्विंटल बोनस का भुगतान करने के बावजूद केंद्र अभी तक 61,572 टन ही गेहूं खरीद पाया है. हालांकि खरीद एक साल पहले के 430 टन से काफी अधिक है. दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश में नीति को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है, क्योंकि वहां लगातार यू-टर्न देखने को मिल रहे हैं. एक दिन वे (राज्य अधिकारी) मंडी के अधिकार क्षेत्र से बाहर गेहूं ले जाने के परमिट पर प्रतिबंध लगाते हैं, और 3 दिनों में वे उस आदेश को वापस ले लेते हैं.
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यूपी के बहराइच जिले के एक स्टॉकिस्ट ने कहा कि एक दिन मंडी निजी व्यापारी को प्रतिबंधित करती है, दूसरे दिन वह आदेश निरस्त हो जाता है. खाद्य विभाग निजी व्यापारियों को डराकर केंद्र का अनुसरण करना चाहता है. जबकि कृषि विभाग मंडी समितियों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहता है कि किसान अधिक कीमतों पर माल बेचें. केंद्र ने यूपी से 12.48 लाख टन गेहूं खरीदा है जबकि इस सीजन में 60 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य है.
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