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Til Ki Kheti: मध्य प्रदेश के बाद अब गर्मियों में UP के किसान भी कर सकेंगे तिल की खेती, शोध जारी

Til Ki Kheti: मध्य प्रदेश के बाद अब गर्मियों में UP के किसान भी कर सकेंगे तिल की खेती, शोध जारी

कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सब्जी विज्ञान विभाग के प्रभारी प्रोफेसर राम बटुक सिंह ने आगे बताया कि जलवायु की दृष्टि से तिल के लिए लंबे गर्म मौसम वाली उष्ण कटिबंधीय जलवायु की आवश्यकता होती है. यह पौधा गर्म जलवायु में उगता है.

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कानपुर के चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में चल रहा शोध (Photo-Kisan Tak) कानपुर के चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में चल रहा शोध (Photo-Kisan Tak)

UP Farmers Story: उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए बेहद खुशखबरी वाली खबर सामने आई है. कानपुर के चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में एक नया शोध कार्य किया जा रहा है. जिसमें तिल की फसल को गर्मियों में उगाई जाने की तैयारी की जा रही है. क्योंकि तिल की फसल बेहद प्रॉफिट वाली होती है और अगर गर्मी और सर्दी दोनों सीजन में तिल की खेती की जा सकेगी. तो किसानों को इसका सीधा लाभ होगा. किसानों के सामने अपनी आय को बढ़ाने का अच्छा मौका होगा.

उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए बेहद फायदेमंद 

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सब्जी विज्ञान विभाग के प्रभारी प्रोफेसर राम बटुक सिंह ने बताया कि सीएसए विश्वविद्यालय लगातार किसानों के लिए फसल करने के नए-नए तरीके को नई-नई फसलों के लिए काम कर रहा है. इसी क्रम में पहली बार यहां पर तिल की फसल को गर्मियों में उगाने का काम किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि अगर यह प्रयोग सफल रहा तो उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए यह बेहद फायदेमंद होगा. गर्मी और सर्दी दोनों सीजन में तिल की फसल उगाकर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकेंगे.

मध्य प्रदेश से मंगाए गए 16 प्रजातियों के बीज

प्रोफेसर राम बटुक सिंह ने बताया कि गर्मी के मौसम में तिल को उगाने के लिए वैज्ञानिकों ने खास तैयारी की है. मध्य प्रदेश से AVTS 1 से लेकर AVTS 16 तक के प्रजातियों के बीज मंगाए गए हैं. यहां पर प्रयोगशाला को 16 भाग में डिवाइड करके हर भाग में अलग प्रजाति का सीड लगाया गया है. इसमें सफेद और काले तिल दोनों शामिल है अब वैज्ञानिक इसकी लगातार स्क्रीनिंग कर रहे हैं कि किस प्रकार से फसल बढ़ रही है. यह फसल लगभग 75 से 80 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इसको लगे एक महीने से अधिक का समय हो चुका है. ऐसे में आने वाले वक्त में इसके परिणाम क्या होंगे ये एक शोध का विषय होगा.

मध्य प्रदेश में सबसे अधिक होती है तिल की खेती

प्रोफेसर राम बटुक सिंह बताते हैं कि मध्य प्रदेश में सबसे अधिक तिल की फसल होती है. वहां पर ग्रीष्मकाल में भी तिल की फसल की जाती है. उसी की तर्ज पर अब यहां पर भी गर्मी में तिल की फसल को उगाई जाने की तैयारी की गई है. इसके लिए खास बीज मध्य प्रदेश से मंगाए गए हैं. जिनको चंद्रशेखर आजाद कैसी विश्वविद्यालय की प्रयोग भूमि में लगाया गया है. तिल का प्रयोग अधिकतर तेल बनाने में किया जाता है. आपको बता दें कि तिल की खेती महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में बड़े पैमाने पर की जाती है.

तिल की खेती के लिए गर्मी का मौसम अनुकूल

कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सब्जी विज्ञान विभाग के प्रभारी प्रोफेसर राम बटुक सिंह ने आगे बताया कि जलवायु की दृष्टि से तिल के लिए लंबे गर्म मौसम वाली उष्ण कटिबंधीय जलवायु की आवश्यकता होती है. यह पौधा गर्म जलवायु में उगता है. इसकी खेती अच्छे जल निकास वाली भूमि में करनी चाहिए, इसके लिए वर्षा जल की आवश्यकता नहीं होती है, इसकी बुआई सामान्य पीएच मान वाली भूमि में करनी चाहिए, पौधे की अधिक वृद्धि के लिए 25 से 27 डिग्री तापमान अच्छा होता है, ऐसा इसलिए है क्योंकि इसकी पौधे 40 डिग्री का सामान्य तापमान आसानी से सहन कर सकते हैं.

बलुई दोमट मिट्टी

उन्होंने बताया कि वैसे तो तिल की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन अधिक उपज पाने के लिए किसान इसे बलुई दोमट मिट्टी में बोते हैं जिसमें जीवाश्म अधिक होते हैं जो तिल की खेती के लिए अच्छी होती है.