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ओडिशा में महंगाई की मार, 30 रुपये किलो हुआ आलू, प्याज की बढ़ती कीमतों ने आंखों से निकाले आंसू

ओडिशा में महंगाई की मार, 30 रुपये किलो हुआ आलू, प्याज की बढ़ती कीमतों ने आंखों से निकाले आंसू

ओडिशा को सालाना 13.5 लाख टन आलू की आवश्यकता होती है और उत्पादन केवल 80,000 टन के आसपास होता है. पश्चिम बंगाल राज्य की आलू की लगभग 90 प्रतिशत आवश्यकता को पूरा करता है. यह ओडिशा के अलावा असम और आंध्र प्रदेश को भी सप्लाई करता है. चुनावों के चलते लोगों को डर है कि डब्ल्यूबी व्यापारी इसका फायदा उठा सकते हैं और मांग और आपूर्ति में अंतर पैदा कर सकते हैं. 

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आलू की कीमत में लगी आग. (सांकेतिक फोटो) आलू की कीमत में लगी आग. (सांकेतिक फोटो)

ओडिशा में गर्मी का असर खाने- पीने की चीजों पर भी दिखने लगा है. जैसे-जैसे लू के थपेड़े के साथ दिन का तापमान बढ़ रहा है, वैसे- वैसे आम आदमी की सबसे पसंदीदा सब्जी आलू की कीमत भी बढ़ती जा रही है. खास बात यह है कि पिछले एक पखवाड़े में राज्य में खाद्य वस्तु की खुदरा कीमत लगभग 50 प्रतिशत बढ़ गई है. अप्रैल के पहले सप्ताह में खुदरा बाजार में जो आलू 20 रुपये प्रति किलो बिक रहा था, अब उसकी कीमत 30 रुपये है. इससे आम जनता के किचन का बजट बिगड़ गया है.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, परसों स्थानीय बाजार में कीमत अचानक 25 रुपये से बढ़कर 30 रुपये हो गई. वहीं, अभी थोक बाजार में आलू की कीमत 2,100 रुपये प्रति क्विंटल है, जो एक पखवाड़े पहले 1,000 रुपये से 1,200 रुपये प्रति क्विंटल थी. वहीं, आलू के अलावा आवश्यक वस्तु प्याज भी महंगा हो गया है. अब इसकी कीमत एक हफ्ते में 15 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 26 रुपये से 30 रुपये प्रति किलो के बीच है. हालांकि अदरक और लहसुन की कीमत में थोड़ी गिरावट आई है. फिर भी वे क्रमशः 150 रुपये और 200 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचे जा रहे हैं.

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यूपी से नहीं खरीदा जा रहा आलू

बाजार के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि सीजन बढ़ने के साथ आलू और प्याज की कीमतें और बढ़ने की उम्मीद है. उन्होंने स्रोत बाजार में अचानक बढ़ी कीमत को जिम्मेदार ठहराया, क्योंकि कम सर्दियों के दिनों के कारण उत्पादन प्रभावित हुआ था. ओडिशा ब्याबसायी महासंघ के महासचिव सुधाकर पांडा ने कहा कि उत्तर प्रदेश से खरीदा गया आलू सर्दियों के बाद इस्तेमाल करने योग्य नहीं होने के कारण राज्य में आलू की कीमत बढ़ गई. वहीं, व्यापारियों ने यूपी से आलू खरीदना बंद कर दिया, क्योंकि वे गर्म और आर्द्र परिस्थितियों के कारण पारगमन के दौरान सड़ जाते हैं.

अब पश्चिम बंगाल पर निर्भर है ओडिशा

पांडा ने कहा कि अब, हम पूरी तरह से पश्चिम बंगाल पर निर्भर हैं जहां फसल के मौसम के बाद कीमत बढ़ गई है. पड़ोसी राज्य में कोल्ड स्टोरेज की रखरखाव लागत में वृद्धि ने भी आलू की कीमत बढ़ा दी है. स्थानीय खुदरा विक्रेता बुबुना नायक ने कहा कि आलू की बढ़ती कीमत ने पहले ही रसोई का बजट बिगाड़ दिया है. चूंकि चुनाव और अभी शादी का सीजन सामने है. इसलिए कोई अंदाजा नहीं लगा सकता कि कीमत कितनी बढ़ सकती है. लेकिन पश्चिम बंगाल के व्यापारी निश्चित रूप से चुनाव के दौरान पैसा कमाने की कोशिश करेंगे.

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