Gehu Ki Kheti: 15 दिसंबर तक गेहूं किसान कर लें ये काम, नहीं तो होगा भारी नुकसान

Gehu Ki Kheti: 15 दिसंबर तक गेहूं किसान कर लें ये काम, नहीं तो होगा भारी नुकसान

देश के अधिकांश हिस्सों में गेहूं की बुवाई अब संपन्न हो गई है. लेकिन कुछ क्षेत्रों में अभी भी बुवाई बाकी है. ऐसे में  जिन किसानों ने अभी तक बुआई नहीं की है, उन्हें सलाह भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने सलाह दी है. आइए जानते हैं.

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Gehu Ki Kheti: 15 दिसंबर तक गेहूं किसान कर लें ये काम, नहीं तो होगा भारी नुकसानगेहूं की खेती

देश के अधिकांश हिस्सों में गेहूं की बुवाई अब पूरी हो गई है. लेकिन कुछ क्षेत्रों में अभी भी बुआई होना बाकी है. ऐसे में  जिन किसानों ने अभी तक बुआई नहीं की है, उन्हें सलाह भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने सलाह दी है कि वे अच्छी पैदावार के लिए पछेती खेती के लिए उन्नत किस्में ही चुनें. साथ ही यह भी सलाह दी गई है कि वे जलवायु अनुकूल किस्मों का चयन करें, और बीज हमेशा भरोसेमंद दुकान से ही खरीदें. बता दें कि ये सलाह 1 दिसंबर से 15 दिसंबर तक के लिए दी गई है.

अगेती किस्मों के लिए करें ये काम

जिन किसानों ने गेहूं की अगेती बुवाई (25 अक्टूबर से 5 नवम्बर) की है, वे समय पर (30-35 दिन) खरपतवार प्रबंधन और पहली सिंचाई (21-25 दिन) अवश्य कर दें.  साथ ही, किसी भी प्रकार के कीट या रोग के लक्षणों की पहचान के लिए खेत की नियमित निगरानी करते रहें. 5 नवंबर के बाद बोई गई गेहूं के लिए, पहली सिंचाई (21-25 दिन) की व्यवस्था करें साथ ही पानी समुचित मात्रा में लगाएं. गेहूं की फसल में पहली सिंचाई बहुत आवश्यक है. अतः इसमें किसी भी प्रकार की कोताही न बरतें.

इन सुझावों का भी रखें ध्यान

  • अपने क्षेत्र की देर से बुआई के लिए उपयुक्त और रोग-प्रतिरोधी किस्म ही चुनें. अन्य क्षेत्रों की किस्में लगाने से रोग का जोखिम बढ़ता है.
  • नाइट्रोजन की पूरी मात्रा बुवाई के 40-45 दिन के भीतर पूरी कर लें और यूरिया हमेशा सिंचाई से ठीक पहले दें, ताकि इसकी दक्षता बढ़े.
  • इनपुट (उर्वरक, सिंचाई, कीटनाशक/शाकनाशी) का संतुलित उपयोग करें और सिंचाई सोच-समझकर करें, जिससे पानी की बचत के साथ अधिकतम उत्पादन मिल सके.
  • फसल में पीलापन दिखाई देने पर अतिरिक्त यूरिया न डालें, कोहरे या लगातार बादल वाली परिस्थितियों में भी नाइट्रोजन का प्रयोग टालें क्योंकि इससे नुकसान का जोखिम बढ़ता है.
  • सिंचाई से पहले मौसम पूर्वानुमान अवश्य देखें और बारिश की संभावना होने पर सिंचाई न करें.
  • फसल में रतुआ रोग की नियमित निगरानी करें और लक्षण दिखने पर नज़दीकी अनुसंधान संस्थान, राज्य कृषि विश्वविद्यालय या कृषि विज्ञान केंद्र से तत्काल सलाह लें.
  • पिछली फसल के अवशेषों को न जलाएं, इन्हें मिट्टी में मिला दें. यदि सतह पर अवशेष मौजूद हों, तो गेहूं की बुवाई के लिए हैप्पी सीडर/सुपर सीडर/स्मार्ट सीडर का उपयोग करें, जिससे बुआई में देरी नहीं होगी और मिट्टी की कार्बन मात्रा भी बढ़ेगी.
  • गेहूं की फसल में यूरिया की टॉप-ड्रेसिंग हमेशा सिंचाई से ठीक पहले करें, ताकि पौधों द्वारा पोषक तत्वों का उपयोग अधिकतम हो सके.

किसान ऐसे करें गेहूं की खेती

गेहूं की खेती के लिए सबसे पहले खेत को अच्छे से जोतकर तैयार करें. फिर बीज उपचार करके बुवाई करें. बीज उपचार करने के लिए बीज को कार्बेंडाजिम 50% W जैसे किसी रसायन से उपचारित करें. समय पर बुवाई के लिए 40 किलो प्रति एकड़ बीज की जरूरत होती है. वहीं, बुवाई की बात करें तो लाइन से लाइन की दूरी 22-25 सेमी रखते हुए सीड ड्रिल से बीज बोएं. बुवाई के समय डीएपी, यूरिया और पोटाश जैसी खाद डालें. उसके बाद फसल को 3-4 बार पानी दें.

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