पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के कुछ हिस्सों में हाल ही में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने कटाई के स्टेज में गेहूं की फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 25-50 प्रतिशत का नुकसान हुआ है. इसके अलावा, मौसम विभाग ने 29 मार्च से उत्तर-पश्चिम में बारिश और ओलावृष्टि के एक और दौर की भविष्यवाणी की है, जो पिछले पश्चिमी विक्षोभ से बचने में कामयाब रही फसलों को और नुकसान पहुंचा सकता है. वही कृषि मंत्रालय के मंगलवार को राज्यों के साथ फसल नुकसान का प्रारंभिक आकलन करने की संभावना है, क्योंकि गिरदावरी (सर्वेक्षण) के माध्यम से सामान्य जानकारी एकत्र करने में समय लगता है. पंजाब और हरियाणा सरकारें पहले ही विशेष गिरदावरी का आदेश दे चुकी हैं और प्रभावित किसानों को मुआवजे का वादा कर चुकी हैं.
बिजनेलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, कृषि मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि बेमौसम बारिश के कारण 112.18 मिलियन टन के अनुमानित उत्पादन में से लगभग 1 मिलियन टन (mt) का नुकसान हो सकता है.
हरियाणा के कुछ हिस्सों और हरियाणा, पंजाब और राजस्थान से आने वाली अन्य फील्ड रिपोर्टों से पता चला है कि भारी बारिश और तेज हवाओं के कारण खड़ी फसल चौपट हो गई या जलमग्न हो गई. हालांकि, नुकसान राज्यों में एक समान नहीं है और यह फसल की अवस्था पर निर्भर करता है.
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हरियाणा के सबसे अधिक प्रभावित जिलों महेंद्रगढ़, सिरसा और चरखी दादरी में फसल के लिए तैयार गेहूं को 25-50 फीसदी नुकसान हुआ है. इसके विपरीत, खड़ी फसल, जो 20-25 दिनों के बाद काटी जा सकती है, भारी वर्षा के प्रभाव से बच गई है.
हरियाणा के सिरसा के बांगू गांव के गुरदीप सिंह ने कहा, "फसल खेत में ही चौपट हो गई है क्योंकि अनाज के वजन के कारण यह बारिश और तेज हवा दोनों से नहीं बच सका." उन्होंने 50 प्रतिशत फसल नुकसान का अनुमान लगाया है. साथ ही उन्हें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana) के तहत दावों की भुगतान मिलने की उम्मीद है.
सिरसा के बड़ागुडा ब्लॉक के कई गेहूं किसानों ने फसल को 25-50 फीसदी नुकसान होने की सूचना दी है. बडागुडा के राम रतन लाल ने कहा, "24 मार्च की शाम ओलावृष्टि एक झटका थी, क्योंकि मेरी फसल तीन दिन पहले बारिश से बच गई थी." उन्होंने कहा, "अगर मैं इसे बेच भी देता हूं, तो भी मुझे (बाजार) कीमत नहीं मिलेगी क्योंकि गुणवत्ता प्रभावित हुई है."
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