रज‍िस्ट्रेशन करवाने वाले आधे से अध‍िक क‍िसानों ने सरकार को नहीं बेचा गेहूं, क‍िसी भी राज्य का पूरा नहीं हुआ लक्ष्य 

रज‍िस्ट्रेशन करवाने वाले आधे से अध‍िक क‍िसानों ने सरकार को नहीं बेचा गेहूं, क‍िसी भी राज्य का पूरा नहीं हुआ लक्ष्य 

Wheat Procurement: केंद्र सरकार ने देश के 17,74,985 क‍िसानों के बैंक अकाउंट में गेहूं की एमएसपी के तौर पर भेजे 51,233 करोड़ रुपये. इस साल सरकार के सामने है अध‍िक गेहूं खरीदने की चुनौती, जबक‍ि उसका टारगेट भी पूरा होता हुआ नहीं द‍िख रहा है. 

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रज‍िस्ट्रेशन करवाने वाले आधे से अध‍िक क‍िसानों ने सरकार को नहीं बेचा गेहूं, क‍िसी भी राज्य का पूरा नहीं हुआ लक्ष्य गेहूं खरीद का कैसे पूरा होगा टारगेट.

गेहूं की सरकारी खरीद अब सुस्त पड़ गई है. अब तक स‍िर्फ 260.5 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं एमएसपी पर खरीदा जा सका है, जबक‍ि लक्ष्य 373 लाख मीट्र‍िक टन का रखा गया है. यानी अभी सरकार अपने लक्ष्य से सौ लाख टन से अध‍िक पीछे है. द‍िलचस्प बात यह है क‍ि इस साल गेहूं बेचने के ल‍िए रज‍िस्ट्रेशन करवाने वाले आधे से अध‍िक क‍िसानों ने अपनी उपज सरकार को बेची ही नहीं है. जबक‍ि सरकारी खरीद की प्रक्रिया अब खत्म होने की ओर है. खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के मुताब‍िक 36,91,499 क‍िसानों ने एमएसपी पर गेहूं बेचने के ल‍िए रज‍िस्ट्रेशन करवाया था, जबक‍ि अब तक 17,74,985 क‍िसानों ने ही फसल बेची है. इसका मतलब यह है क‍ि 19,16,514 क‍िसानों ने रज‍िस्ट्रेशन करवाने के बावजूद सरकार को गेहूं नहीं बेचा. 

दरअसल, इस साल ओपन मार्केट में गेहूं का दाम एमएसपी से ज्यादा चल रहा है. कई राज्यों में 2500 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल त‍क का भाव म‍िल रहा है. ऐसे में ज्यादातर क‍िसानों ने या तो व्यापार‍ियों को गेहूं बेच द‍िया है या फ‍िर और अच्छे दाम की उम्मीद में उसे स्टोर कर ल‍िया है. इसल‍िए अब तक एक भी सूबे में खरीद पूरी नहीं हो सकी है. उधर, अब त‍क सरकार ने एमएसपी पर गेहूं बेचने वाले क‍िसानों को 51,233 करोड़ रुपये का भुगतान कर द‍िया है. 

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क‍िस राज्य में क‍ितना टारगेट, क‍ितनी खरीद 

  • पंजाब में 132 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा गया है, जबक‍ि यहां अब तक 123.6 लाख मीट्र‍िक टन की खरीद हुई है. 
  • हर‍ियाणा में 80 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं को एमएसपी पर खरीदने का लक्ष्य रखा गया है. अब तक यहां 71 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं की खरीद हुई है. 
  • मध्य प्रदेश में 80 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा गया है. जबक‍ि अब तक मात्र 47.4 लाख मीट्र‍िक टन ही खरीदा जा सका है. यहां एमएसपी पर 125 रुपये बोनस म‍िलने के बावजूद खरीद पूरी होती नहीं द‍िख रही है. 
  • राजस्थान में 20 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य द‍िया गया है, जबक‍ि अब तक स‍िर्फ 9.38 लाख मीट्र‍िक टन की ही खरीद हो पाई है. राजस्थान में भी 125 रुपये का बोनस म‍िल रहा है फ‍िर भी खरीद पूरी नहीं हो सकी है. 
  • सबसे बड़े उत्पादक उत्तर प्रदेश में 60 लाख टन खरीद का टारगेट है, जबक‍ि अभी तक महज 8.89 लाख टन की ही खरीद हो सकी है. 

इस साल बड़ी है चुनौती  

इस साल 1 अप्रैल को गेहूं का सरकारी भंडार बफर स्टॉक नॉर्म्स के बॉर्डर पर ही था. कायदे से 1 अप्रैल को 74.60 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं बफर स्टॉक में होना चाह‍िए. इस साल देश के पास गेहूं इससे थोड़ा सा ही अध‍िक 75.02 लाख टन ही था. इससे पहले साल 2008 में गेहूं का भंडार 1 अप्रैल को महज 58.03 लाख टन ही रह गया था. ऐसे में सरकार के सामने इस बार अध‍िक से अध‍िक गेहूं खरीदने की चुनौती है, जबक‍ि उसका टारगेट भी पूरा होता हुआ नहीं द‍िख रहा है.   

इससे पहले भी दो साल से सरकार अपने खरीद लक्ष्य से बहुत पीछे रह रही है. प‍िछले साल यानी 2023-24 में सरकार 341.50 लाख टन के लक्ष्य के व‍िपरीत स‍िर्फ 262 लाख टन गेहूं ही खरीद कर पाई थी. इससे पहले 2022-23 में 444 लाख मीट्र‍िक टन के टारगेट की जगह महज 187.92 लाख मीट्र‍िक टन ही गेहूं खरीदा गया था. 

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