पंजाब में 100 लाख टन के पार पहुंची गेहूं की खरीद, फिर भी चिंता में क्यों हैं अधिकारी

पंजाब में 100 लाख टन के पार पहुंची गेहूं की खरीद, फिर भी चिंता में क्यों हैं अधिकारी

पंजाब के मुख्य सचिव अनुराग वर्मा ने चल रही खरीद प्रक्रिया के लिए एक समीक्षा बैठक की. उन्होंने कहा कि 75 फीसदी अनाज बाजार में आ चुका है और सरकार अपना खरीद लक्ष्य पूरा कर लेगी, लेकिन ऐसा लगता है कि कई किसान बाद में कीमत बढ़ने पर बेचने के लिए गेहूं जमा कर रहे हैं.

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पंजाब में 100 लाख टन के पार पहुंची गेहूं की खरीद, फिर भी चिंता में क्यों हैं अधिकारी गेहूं खरीद में आ रही धीरे-धीरे गिरावट. (सांकेतिक फोटो)

पंजाब में गेहूं खरीद को लेकर बड़ी खबर है. राज्य में पिछले महीने ही गेहूं ही कुल खरीद 100 लाख मीट्रिक टन को पार कर गई. हालांकि, मंडियों में गेहूं की दैनिक आवक घटकर 5.14 लाख मीट्रिक टन हो गई है. ऐसे में खाद्य खरीद एजेंसियों के बीच चिंता का माहौल बना हुआ है. क्योंकि सरकार ने इस बार राज्य से 132 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा है. 

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में गेहूं की कुल आवक 104.28 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गई है, जिसमें से 95.96 लाख मीट्रिक टन सरकारी एजेंसियों द्वारा और 5.91 लाख मीट्रिक टन निजी व्यापारियों द्वारा खरीदा गया है. हालांकि, मंडियों में गेहूं की दैनिक आवक कम होने लगी है. पिछले सप्ताह 11 लाख मीट्रिक टन से अधिक और दो दिन पहले 8.57 लाख मीट्रिक टन से अधिक की दैनिक आवक के मुकाबले, 30 अप्रैल को आगमन 5.14 लाख मीट्रिक टन था.

बढ़ गया गेहूं का उत्पादन

पंजाब के मुख्य सचिव अनुराग वर्मा ने चल रही खरीद प्रक्रिया के लिए एक समीक्षा बैठक की. उन्होंने कहा कि 75 फीसदी अनाज बाजार में आ चुका है और सरकार अपना खरीद लक्ष्य पूरा कर लेगी, लेकिन ऐसा लगता है कि कई किसान बाद में कीमत बढ़ने पर बेचने के लिए गेहूं जमा कर रहे हैं. इससे यह आशंका पैदा हो रही है कि सरकार को लक्ष्य पूरा करना मुश्किल हो सकता है. द ट्रिब्यून द्वारा कृषि विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष गेहूं की पैदावार 467 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर अधिक है. फसल कटाई प्रयोगों से पता चला है कि इस वर्ष औसत उपज 5,177 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है. इस वर्ष कुल गेहूं उत्पादन 182 लाख मीट्रिक टन होने की उम्मीद है.

किसान नहीं बेच रहे गेहूं

नाभा के बाजीद्री गांव के किसान सरबजीत सिंह ने द ट्रिब्यून को बताया कि जिन बड़े जमींदारों के पास गेहूं रखने की जगह थी, वे मंडियों में उपज नहीं बेच रहे थे. उन्होंने कहा कि बाद में निजी व्यापारियों से अधिक कीमत मिलने की उम्मीद में वे स्टॉक को रोक कर रख रहे हैं. उन्होंने कहा कि केवल छोटे किसान, जिन्हें ऋण चुकाना है या आढ़तियों का बकाया चुकाना है, अपनी पूरी उपज सरकारी एजेंसियों को बेच रहे हैं.

क्या कहते हैं अधिकारी

रोपड़ में, मार्कफेड के एक अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा कि कई किसान अपना अनाज रोककर रखे हुए हैं. उन्होंने कहा कि बड़े निजी आटा मिलर्स जो आटा निर्यात करते हैं, उन्हें अधिक कीमत दे रहे हैं और उन्हें अगले तीन महीनों में कीमत और बढ़ने की उम्मीद है.

 

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